विश्व- व्यापार युद्ध – 2020 जारी है

डॉक्‍टर अमिताभ शुक्ल

जैसी योजना तैयार की गई थी , उसके अनुसार तृतीय विश्व युद्ध – 2020 का प्रारंभ हो गया है और वह जारी है. इस विश्व युद्ध में व्यापार, शक्ति प्रदर्शन और आर्थिक लाभ के उद्देश्य प्रमुख थे। अतः उसके अनुसार ही सारी क्रियाएं संचालित हो रही हैं.

तृतीय विश्व युद्ध अथवा प्रथम विश्व – व्यापार- युद्ध

आज से तीन – चार दशक पूर्व भी यह स्थापित हो चुका था कि अगला विश्व- युद्ध हथियारों से नहीं लड़ा जाएगा , क्योंकि उसमें पूर्णरूपेण नष्ट होने की स्थितियां निर्मित होंगी। अतः अगला विश्व युद्ध केमिकल- वार पर होगा। लेकिन , इस मध्य , विज्ञान की प्रगति के साथ नए हथियार का जन्म हुआ और इस बायो- लॉजिकल शस्त्र के द्वारा विश्व युद्ध का श्रीगणेश हुआ। यह मेरी स्पष्ट मान्यता है और इसके आधार वह सारे तथ्य हैं जो घटनाओं के तटस्थ विश्लेषण से दृष्टिगत हुए हैं। चूंकि यह युद्ध है, अतः क्षति तो होना ही थी , जो हो रही है. यह कहना उचित नहीं कि द्वितीय विश्व- द्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम से हुए नुकसान की तुलना में यह कम है, लेकिन कहा जा सकता है कि इस में सहने की सामर्थ्य होने के साथ जीवन चलाते रहने की सुविधा है क्योंकि, इसके उद्देश्य में व्यापार भी है। अगर मनुष्य नहीं होंगे , तो व्यापार कैसे होगा ? अतः विश्व के शक्ति संतुलन की दिशा और स्थिति में परिवर्तन करते हुए , विश्व व्यापार के ढांचे और आर्थिक लाभ प्राप्त करने की क्षमता में वृद्धि करते हुए यह जारी है. सत्ता और सरकारों को फर्क नहीं पड़ता , प्रभावित जनता होती है ,और संपूर्ण विश्व की जनता गहरे रूप में प्रभावित हुई है .आर्थिक , शारीरिक, सामाजिक , मानसिक और भावनात्मक रूप से.

संपूर्ण विश्व समुदाय प्रभावित

संपूर्ण विश्व और भारत, जीवन और जीवन- रक्षा के मिश्रित ताने-बाने के मध्य झूल रहा है. जो सक्षम हैं , फिर भी आराम से हैं। लेकिन जिनके पास पर्याप्त संसाधन और सुविधाएं नहीं हैं , उनकी जान सांसत में है . अभी भी, संपूर्ण- विश्व में संक्रमण की गति चिंतनीय है . भारत में भी संक्रमण से उत्पन्न चिंता और भय स्पष्ट रूप से आम आदमियों में देखा जा सकता है . रोजी – रोटी की चिंता लोगों को काम पर ले आई है . यही वर्तमान दौर का विकास है, जिसमें जीवन की समस्त क्रियाएं और सुरक्षा के उपाय साथ साथ चलते हैं। आश्चर्यजनक यह है कि, अमेरिका में इस संक्रमण से एक लाख से अधिक लोगों की जीवन लीला समाप्त हो जाने के बाद भी और विश्व के अनेकों राष्ट्राध्यक्ष और राजनयिकों के संक्रमित हो जाने के बाद भी वहां के राष्ट्रपति चिंता मुक्त रहे हैं। चुनाव रैलियां करते रहे हैं . उन्होंने कौन सी अमृत बूटी प्राप्त की है, यह जिज्ञासा का विषय है?

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संकट से उत्पन्न किया गया व्यापार और अकूत लाभ

कोई भी वैज्ञानिक भविष्यवाणी करने की स्थिति में नहीं है, सिवाय इसके कि वैक्सीन की प्रतीक्षा है। इस बीच भारत में बाबा रामदेव की जड़ी बूटी से तैयार “कोरोनिल ” को लेकर विवाद सामने आया और अनेकों लोगों को वह “संजीवनी” के समान प्रतीत हुई और संपूर्ण घटनाक्रम के बाद भी विधिवत वह बाजार में प्रगट हो कर ” बाजार” कर मुनाफा प्रदान कर रही है. इस प्रकार ही , संपूर्ण विश्व की सरकारें और दवा निर्माता कम्पनियों के द्वारा पूरे जोश के साथ वैक्सीन बनाने के प्रयास जारी हैं , और विश्व स्वास्थ्य संगठन बारम्बार किसी वैक्सीन के सफल होने पर संदेह की घोषणा आधिकारिक रूप से करता जा रहा है. सदस्य देशों के दबाव में जांच दल चीन जाता है और वायरस के जन्म के लगभग 8 माह पश्चात वुहान पहुंचने पर सबूत या तथ्य साफ हो चुकते हैं -कर लीजिए जांच ?

अकूत व्यापार और लाभ की रचना

जैसी कि योजना और विश्लेषण थे , ” वर्चुअल विश्व ” बनाने की , उस के अनुसार ” ऑन लाइन व्यापार ” कई सौ गुना बढ़कर गूगल , फेसबुक , बिल गेट्स , जुकुरबर्ग और अन्यान्य कंपनियों को फायदा देकर उसमें मल्टीपल वृद्धि और लाभ देना जारी रखेगा . बुद्धजीवी वर्ग , सरकारें , व्यापारिक कंपनियां ” वर्चुअल संगोष्ठियों , मीटिंग्स , सेमिनार , कॉन्फ्रेंस द्वारा कोरोना संकट के उपायों , आम जनता के कल्याण , अर्थव्यवस्था को ” नई दिशा ” देने के कार्यक्रमों में अतिव्यस्त हैं . क्योंकि , जो स्थिति तैयार कर उपलब्ध कराई गई है , उसमें कार्य जारी रखने के लिए यही “सबसे सर्वोत्तम उपाय” है। विश्व की 7 बिलियन से अधिक आबादी को वैक्सीन उपलब्ध करवाना है , जाहिर है , दवा कंपनियों के लिए यह वैज्ञानिक चुनौती और व्यापार है , जिसमें कल्याण और लाभ दोनों शामिल हैं.अतः प्रतियोगिता स्वाभाविक है , सबसे पहले वैक्सीन उपलब्ध कराना और प्रतियोगी कीमतों पर ज्यादा लाभ प्रदान करेगा. एक कंपनी ने अन्य कंपनियों और विश्व के बहुत बड़े व्यापारी और दानदाता ( यह भी दोनों ही हैं , व्यापारी भी और दानदाता भी ) बिल गेट्स के सहयोग से शीघ्र वैक्सीन 225 रुपए में आम जनता के कष्ट और दुख दर्द को दूर करने के लिए उपलब्ध करवाने की घोषणा भी कर दी है . भारत के बाबा के बाद विश्व के एक बड़े बाबा बिल गेट्स द्वारा कल्याण की भावना के साथ इसके व्यापार की सारी योजनाएं बन चुकी है .

दर्द और दवा , व्यापार और अर्थशास्त्र , राजनीति और समाज की साझा योजनाएं

इस प्रकार , क्रमश: सारे ढांचे और व्यवस्थाएं मिलजुल कर विश्व को अपने प्रभाव में लेकर अत्यंत खूबसूरती के साथ पुरानी व्यवस्थाओं को ध्वस्त कर ” सर्विवाईवल फार द फिटेस्‍ट” के मुहावरे को सत्य साबित करते हुए इस वैश्विक महामारी से जनता को निजात भी दिला पाएंगे , लेकिन, नुकसान और घाव जैसे हिरोशिमा और नागासाकी के अब तक नहीं भरे हैं , वैसे इस विश्व युद्ध के भी नहीं भर सकेंगे और सारा घटनाक्रम इतिहास में दर्ज होकर ” काल पात्र ” में जमीन के नीचे गाड दिया जाएगा जैसे लाखों मानव शरीर दफना दिए गए हैं . क्योंकि , ” व्यापार , युद्ध , और मनुष्य बहुत क्रूर होते हैं ” , और ” मोहब्बत और जंग में सब जायज है ” की मान्यताएं सारे विश्व में लागू होती हैं .

लेखक परिचय:-
डॉक्टर अमिताभ शुक्ल ने सागर विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की शोध- वृत्ति प्राप्त कर पीएच डी कर 80 के दशक से वहां अध्यापन कार्य प्रारंभ किया.  भारत एवम विश्व के अनेक संस्थानों में अध्यापन एवम शोध कार्य किया है। आईसीएफएआई , बिजनेस स्कूल , पुणे में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर एवम पुणे में प्रेस्टीज और आस्मा बिजनेस स्कूल के निदेशक रहे हैं। अनेक शोध परियोजनाओं का निर्देशन किया है। अंतरराष्ट्रीय पूंजी एवं रीजनल इकोनॉमिक्स आदि विषयों पर 7 किताबें एवं100 शोध पत्र विभिन्न शोध जर्नल्स में प्रकाशित एवं राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में प्रस्तुत किए हैं । रीजनल साइंस एसोसिएशन , इन्डिया के २ बार वाइस प्रेसिडेंट और इंडियन इकनॉमिक एसोसिएशन की कार्यकारिणी परिषद के सदस्य रहे हैं। विकास के मुद्दे पर उनकी किताब को भारत सरकार योजना आयोग द्वारा ” कोटिल्‍य पुरस्कार ” ( वर्ष १९९४ में ) प्रदान किया जा चुका है। 

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