केदारनाथ धाम और नरेंद्र मोदी का अनूठा है रिश्ता

वर्षों से बाबा केदार के बड़े भक्त हैं मोदी

केदारनाथ धाम और नरेंद्र मोदी का रिश्ता अनूठा है. अपने जीवन के कई साल पीएम मोदी ने बाबा केदारनाथ के चरणों में बिताए हैं. मोदी उन दिनों को कभी नहीं भूल पाते, बल्कि उन दिनों को वे अपनी जिंदगी के सबसे कीमती और यादगार दिन मानते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को करीब से जानने वाले मानते हैं कि मोदी बाबा केदार के बड़े भक्त हैं. अपने जीवन के कई साल उन्होंने यहां गुजारे हैं. पिछले साल का कोरोना काल छोड़ दें तो मोदी नियमित रूप से हर साल यहां आकर बा​बा केदारनाथ का आशीर्वाद अवश्य लेते हैं. कुछ ऐसा ही है बाबा केदारनाथ धाम और नरेंद्र मोदी का रिश्ता.

मीडिया स्वराज डेस्क

केदारनाथ के साथ यह मोदी का लगाव ही है, जो अपने भाषण में आज यहां उन्होंने कहा, ‘बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था. मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था और अपने आप को रोक नहीं पाया था. मैं यहां दौड़ा चला आया था. मैंने अपनी आंखों से उस तबाही को देखा था, उस दर्द को सहा था. जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे कि क्या ये हमारा केदारधाम फिर से उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी कि ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा. यह विकास कार्य ईश्वर की कृपा से हुआ.’

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज, शुक्रवार की सुबह उत्तराखंड स्थित केदारनाथ धाम पहुंचे थे. उन्होंने यहां गर्भगृह में करीब 15 मिनट तक पूजन किया, फिर मंदिर की परिक्रमा की. पीएम मोदी ने केदारनाथ धाम पहुंचकर बाघांबर वस्त्र चढ़ाए. यहां उन्होंने षोडशो पूजन किया. दूध, दही, मधु आदि चीजों से बाबा केदार की पूजा की गई.

‘जय बाबा केदार’ के उद्घोष के साथ PM मोदी ने अपना संबोधन शुरू किया. उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उत्तराखंड में चार धामों से सड़क संपर्क और हेमकुंड साहिब के पास रोपवे सहित कई बुनियादी ढांचागत कार्यों की योजना है.

इसके बाद ‘जय बाबा केदार’ के उद्घोष के साथ PM मोदी ने अपना संबोधन शुरू किया. उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उत्तराखंड में चार धामों से सड़क संपर्क और हेमकुंड साहिब के पास रोपवे सहित कई बुनियादी ढांचागत कार्यों की योजना है. उन्होंने आगे कहा कि हमारे यहां तीर्थस्थलों की यात्रा, तीर्थाटन को जीवनकाल का हिस्सा माना गया है. यह हमारे लिए सिर्फ सैर-सपाटा नहीं है. यह भारत का दर्शन कराने वाली जीवंत परंपरा भी है. हमारे यहां व्यक्ति की इच्छा होती है कि जीवन में एक बार चारधाम यात्रा जरूर कर लें, गंगा में एक बार डुबकी जरूर लगा लें.’

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आदि शंकराचार्य और केदारनाथ का क्या है रिश्ता

PM मोदी ने आगे कहा, ‘कहा जाता था कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आती. मैंने यह तय किया कि यहां का पानी और जवानी दोनों पहाड़ के काम आएगी. उत्तराखंड से पलायन को रोकना है. अगला दशक उत्तराखंड का है. यहां पर्यटन काफी बढ़ने वाला है. भगवान बुद्ध और भगवान राम से जुड़े जितने भी तीर्थस्थान हैं, उन्हें जोड़कर सर्किट बनाने का काम चल रहा है. अब देश अपने लिए बहुत बड़े बड़े लक्ष्य निर्धारित करता है. कठिन समय ही नहीं, समय की सीमा भी हम निर्धारित करते हैं.’

इसके बाद आदि गुरु शंकराचार्य के हाल ही में बने समाधि स्थल पर 12 फुट लंबी और 35 टन वजनी शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया. इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि आज के दौर में आदि शंकराचार्य का सिद्धांत और ज्यादा प्रासंगिक हो गया है. इसके बाद पीएम मोदी ने कहा कि इस साल पूरा देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, यानि अमृत महोत्सव. देश अपने भविष्य के लिए नए संकल्प भी ले रहा है. इन संकल्पों में हम आदि शंकराचार्य को बहुत बड़ी परंपरा के रूप में देख सकते हैं.

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बता दें कि इसके बाद PM ने केदारनाथ धाम में कई प्रोजेक्ट का शिलान्यास और लोकार्पण भी किया. प्रधानमंत्री ने केदारनाथ में 150 करोड़ रुपये की लागत से शुरू होने वाले कई प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया. उन्होंने उत्तराखंड में करीब 250 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हुए अलग-अलग बुनियादी ढांचों का भी उद्घाटन किया.

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