RBI ने एक बार फिर प्रमुख ब्याज दरों में की कटौती, घटेगा EMI का बोझ….

भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक बार फिर प्रमुख ब्याज दरों में कटौती की है। आरबीआई ने पॉलिसी रेपो रेट को 0.40 फीसद घटा दिया है। इस कटौती से अब रेपो रेट 4 फीसद पर आ गई है। रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह जानकारी दी है। दास ने बताया कि मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक 3 से 5 जून को होनी थी, लेकिन इससे पहले ही समिति ने बैठक आयोजित कर अहम फैसले लिए हैं। उन्होंने बताया कि एमपीसी के छह में से पांच सदस्य रेपो रेट में कटौती के निर्णय पर सहमत हुए हैं।

आरबीआई गवर्नर दास ने बताया कि एमपीसी ने रेपो रेट के साथ ही रिवर्स रेपो रेट को भी घटाने का फैसला किया है। आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट को 3.75 फीसद से घटा कर 3.35 फीसद कर दिया है। इससे पहले 27 मार्च को आरबीआई ने रेपो रेट में 0.75 फीसद की कटौती की थी।

साथ ही दास ने कहा कि ग्राहकों को दरों में कटौती का फायदा मिलने में तेजी आई है। रेपो रेट में कटौती से अब बैंक भी लोन पर अपनी ब्याज दरों को कम कर सकते हैं। यहां बता दें कि रेपो रेट वह रेट होती है जिस पर देश का केंद्रीय बैंक अन्य बैंकों को कर्ज देता है।

रेपो रेट में कटौती का फायदा ग्राहकों को बैंक उनकी लोन ईमआई के बोझ को कम करके पहुंचा सकते हैं। ईएमआई का बोझ कम होने से लोगों को थोड़ी लिक्विडिटी की राहत मिल सकती है। कोरोना वायरस के प्रकोप और देशव्यापी लॉकडाउन के कारण इस समय कई लोगों के सामने नकदी का संकट है।

आरबीआई गवर्नर ने बताया कि एमपीसी ने पॉलिसी पर एकोमोडेटिव रुख बरकरार रखने का निर्णय लिया है। इसका मतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक आगे भी जरूरत पड़ने पर अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए मौद्रिक नीतियों को आसान कर सकता है। सरकार द्वारा 20.97 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद पहली बार मीडिया को संबोधित करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कोरोना वायरस प्रकोप के चलते मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी के नकारात्मक रहने का अनुमान है।

आरबीआई गवर्नर ने बताया कि कोविड-19 से दुनिया की इकोनॉमी को बड़ा नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई घटकर 11 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। दास ने बताया कि WTO के मुताबिक, दुनियाभर में इस साल कारोबार 13 से 32 फीसद तक घट सकता है।

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