या देवी सर्वभूतेषु, शक्ति रूपेण संस्थिता…

सही मंत्रोच्चारण से करें मां दुर्गा की आराधना

नवरात्रि में जिसने शक्ति के नौ रूपों की श्रद्धा से आराधना कर ली, मां उसे हर मुश्किल से उबार लेती हैं, संकट के भंवर से उसे उबार देती हैं. नवरात्रि के इन पावन दिनों में हर ओर मां का जयकारा सुनाई देता है. भक्तों के द्वार पर दस्तक देकर मां उन्हें खुशहाल बनाती हैं, उनकी झोलियां भरती हैं.

शक्ति की आराधना और मां दुर्गा का आशीष पाने के लिए मनाई जाती है नवरात्रि. नवरात्रि नौ शक्तियों से युक्त है. नवरात्रि के नौ दिनों में प्रतिदिन एक शक्ति की पूजा का विधान है. नवरात्रि के इन पावन दिनों में हर ओर मां का जयकारा सुनाई देता है. भक्तों के द्वार पर दस्तक देकर मां उन्हें खुशहाल बनाती हैं, उनकी झोलियां भरती हैं.

मां ने भक्तों के द्वार पर दस्तक देकर अपना दरबार खोल दिया है और सभी को खुशियों का वरदान दे रही हैं. शक्ति की उपासना के सबसे बड़े पर्व नवरात्रि में मां अपने सभी भक्तों का बेड़ापार करेंगी. नवरात्रि में जिसने शक्ति के नौ रूपों की श्रद्धा से आराधना कर ली, मां उसे हर मुश्किल से उबार लेती हैं, संकट के भंवर से उसे उबार देती हैं.

मां भगवती की पूजा के ये वो नौ दिन हैं, जब हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं. इस बार तो नवरात्रि के पहले ही दिन की शुरुआत शुभ संयोग के साथ हुई है.

इन 9 दिनों में विधि-विधान से कलश स्थापना कर मां की पूजा-अर्चना कर ली जाए तो घर में निश्चित रूप से समृद्धि का वास हो जाता है. इस बार पूरी श्रद्धा और आस्था से मां को पुकारिए और उनका पूजन-अर्चन कीजिए. मां भवानी आपकी सारी मन्नत पूरी करेंगी.

ABCD पर विराजतीं मां अम्बे …

मां दुर्गा के कई नाम हैं. सच्चे मन से पुकारा जाए तो हर नाम असरकारी है, लेकिन अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों के आधार पर भी मां को कुछ नाम दिए गए हैं, आइए इन्हें जानते हैं…

A= Ambe अम्बे
B=Bhawani भवानी
C=Chamunda चामुंडा
D=Durga दुर्गा
E=Ekrupi एकरूपी
F=Farsadharni फरसाधारिणी
G=Gayatri गायित्री
H=Hinglaaj हिंगलाज
I=Indrani इंद्राणी
J=Jagdamba जगदम्बा
K=Kali काली
L=Laxmi लक्ष्मी
M=Mahamaya महामाया
N=Narayani नारायणी
O=Omkarini ओंकारिणी
P=Padma पद्मा
Q=Qatyayani कात्यायिनी
R=Ratnapriya रत्नप्रिया
S=Shitla शीतला
T=Tripura Sundari त्रिपुर सुंदरी
U=Uma उमा
V=Vaishnavi वैष्णवी
W=Warahi वाराही
Y=Yati यति
Z=Zyvana ज्यवना

प्रचलित कथाएं

असुरों के नाश के इस पर्व नवरात्रि को लेकर कई रोचक कथाएं प्रचलित हैं.
कहा जाता है कि दैत्य गुरु शुक्राचार्य के कहने पर दैत्यों ने घोर तपस्या कर ब्रह्माजी को प्रसन्न किया और वर मांगा कि उन्हें कोई पुरुष, जानवर और शस्त्र न मार सकें.

वरदान मिलते ही असुर अत्याचार करने लगे, तब देवताओं की रक्षा के लिए ब्रह्माजी ने वरदान का भेद बताते हुए बताया कि असुरों का नाश अब स्त्री शक्ति ही कर सकती है.

ब्रह्माजी के निर्देश पर देवों ने 9 दिनों तक मां पार्वती को प्रसन्न किया और उनसे असुरों के संहार का वचन लिया. असुरों के संहार के लिए देवी ने रौद्र रूप धारण किया था इसीलिए शारदीय नवरात्रि शक्ति-पर्व के रूप में मनाया जाता है.

लगभग इसी तरह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से 9 दिनों तक देवी के आह्वान पर असुरों के संहार के लिए माता पार्वती ने अपने अंश से 9 रूप उत्पन्न किए. सभी देवताओं ने उन्हें अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया. इसके बाद देवी ने असुरों का अंत किया. यह संपूर्ण घटनाक्रम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से 9 दिनों तक घटित हुआ इसलिए चैत्र नवरात्रि मनाया जाता है.

मां की आराधना के मंत्र

जीवन में सुख-दुख का साथ सदा बना रहता है. सुख की अभिलाषा तथा दुख से त्राण पाना मनुष्य का उद्देश्य रहा है. भौतिक रूप से प्रयास जब नाकाफी हो जाते हैं, तभी देवी शक्तियां मदद करती हैं. यदि अवरोधों का शमन न हो और परिस्थितियां विकराल हो जाएं तो परिस्थिति के अनुरूप मंत्र का जप कर समस्याओं से निजात पाई जा सकती है.

शत्रु शमन व बाधाओं से मुक्ति हेतु शीघ्र सिद्धि देने वाला मंत्र

(1) ‘ॐ इत्थं यदायदा बाधा दानवोत्था भविष्यति।
तदा तदावतीर्याहं करिष्याम्यरि संशयम् ॐ।।’

(2) ‘यं यं चिन्तयते कामं तं तं प्राप्नोति निश्चितम् परमेश्वर्यमतुलं प्राप्स्यते भूतले पुमान।।’

इन मंत्रों से सम्पुटित दुर्गापाठ करना या करवाना संभव न हो तो केवल मंत्र जाप करने से भी सिद्धि प्राप्त की जा सकती है. संकल्प लेना अनिवार्य है. फल प्राप्ति हेतु हवन आवश्यक है. श्री दुर्गाजी का पूजन कर जाप करें. स्त्रियों का सम्मान करते रहने से भी फल प्राप्ति शीघ्र होती है.

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