लखनऊ में गोमती तट पर गुलाचीन

गुलाचीन 15-20 फुट की लंबाई का वृक्ष है। इसका वैज्ञानिक नाम प्लूमेरिया अल्बा है।

यह सफेद, गुलाबी और पीले रंग के पुष्प देने वाला वृक्ष है।

सफेद पुष्प वाले गुलाचीन को क्षीर चम्पा भी कहते हैं। इसके पुष्पों में बीच का कुछ हिस्सा पीला भी होता है।

इसके पुष्प बारहमासी हैं।

इसके पुष्प बहुत आकर्षक और सुगंधित होते हैं।

इसकी सुगंध मीठी-मीठी होती है जिसका इस्तेमाल खासतौर पर मंदिरों और पूजा स्थलों पर किया जा सकता है।

इसलिए इसे अक्सर बगीचों में, घर के लॉन में लगाया जाता है।

इसे लगाना बहुत आसान है।

बरसात के दिनों में इसकी डाली का कलम बना कर रोपाई होती है।

यह कलम कुछ दिनों में जड़ पकड़ लेती है।

गुलाचीन का पौधा दक्षिण- पूर्व एशिया के देशों यानी चीन, मलेशिया, सुमात्रा, जावा और भारत में प्राकृतिक रूप से पाया जा सकता है।

हालांकि, इसकी मूल उत्पत्ति का स्थान भारत में पूर्वी हिमालय के साथ-साथ अन्य पड़ोसी देशों को माना जाता है।

निकरागुवा और लाओस देशों का ये राष्ट्रीय फूल भी घोषित किया गया है।

औषधीय गुण

गुलाचीन औषधीय गुणों से भी युक्त है।

इसके फूलों, नरम फलियों की सब्जी काफी स्वादिष्ट रहती है।

वैज्ञानिकों की मानें तो इसमें दूध की तुलना में चार गुना अधिक कैल्शियम व दो गुना प्रोटीन पाया जाता है।

कोमल पत्तों के साग के सेवन से कब्ज की समस्या से भी निजात मिलती है।

सफेद चंपा के तने की छाल का स्वाद कड़वा होता है।

इसे लैक्सिटिव, डायूरेटिक, सूजन, वात, बुखार, गोनोरिया और हर्पीस के उपचार में लाभकारी माना जा सकता है।

छाल का उपयोग आंतरिक रूप से और बाह्य रूप से अल्सेसर के उपचार के लिए भी किया जा सकता है।

साथ ही, इसकों जड़ों में त्वचा से संबंधित परेशानियों को कम करने की क्षमता होती है।

वहीं, इसके बीज का इस्तेमाल शरीर में खून को गाढ़ा करने नें मदद कर सकता है।

इसके बीज में हेमोस्टेटिक गुण होते हैं।

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