कैसा होता है अंतरिक्ष स्टेशनों के लिए भोजन?

अंतरिक्ष यात्रियों का सफ़र बेहद रोमांचक

अंतरिक्ष यात्रियों का सफ़र बेहद रोमांचक होता है। हम सभी को ये जानने की जिज्ञासा होती है कि अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष के सफ़र में कैसे रहते हैं, वहाँ समय कैसे बिताते हैं और वहाँ क्या खाते हैं। अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में पहुंचकर कैसा खाना खाते हैं, इसे कैसे तैयार किया जाता है  और इसकी विशेषता क्या है?

ज्योति सिंह

12 अप्रैल, 1961 को यूरी गार्गिन सोवियत संघ के वोस्तोक अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष में पहुँचे। अंतरिक्ष यान का ये सफर कुल 108 मिनटों का था। अपनी छोटी लेकिन ऐतिहासिक यात्रा के दौरान, गार्गिन जो भोजन अपने साथ ले गए थे उसे टूथपेस्ट जैसी पैकिंग में पैक किया गया था, इसे क्यूब्स के आकार का बनाया गया था। सिर्फ पेट भरने लायक इस भोजन में शुद्ध मांस के दो सर्विंग और चॉकलेट सॉस थे। अंतरिक्ष यात्रियों ने वापस आकर इस भोजन की शिकायत भी की।

भोजन मानव अंतरिक्ष अभियानों का एक महत्वपूर्ण पहलू है। हम ट्यूबों में परोसे जाने वाले अंतरिक्ष भोजन से लेकर डीहाइड्रेटेड (निर्जलित) भोजन तक का एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। आज, अंतरिक्ष में ले जाये जाने वाला भोजन भारहीन परिस्थितियों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए प्लास्टिक बैग में पैक किया जाता है। सिर्फ गर्म या ठंडा पानी डाल कर इस स्वादिष्ट खाने का मज़ा लिया जा सकता है। भोजन का गीलापन इसे सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में तैरने के बजाय चम्मच से चिपका देता है।

अंतरिक्ष भोजन की इस कड़ी में साल २०२१ में उड़ान भरने के लिए तैयार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का मानव अंतरिक्ष मिशन, गगनयान स्वादिष्ट भारतीय व्यंजनों से लैस होगा। अंतरिक्ष यात्री अंडे , काठी रोल, सब्जी काठी रोल, इडली के साथ सांबर और नारियल चटनी, मूंग दाल हलवा और सब्जी पुलाव जैसे लज़ीज व्यंजनों का लुत्फ़ भी उठा सकेंगे। इन व्यंजनों को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के तहत आने वाले मैसूरु स्थित रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला (DFRL) ने तैयार किया है।

अंतरिक्ष भोजन का इतिहास

सोवियत संघ के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के पास की कक्षा में मानव मिशन को भेजने की योजना बनाई। ठीक उसी समय राष्ट्रीय एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने अपने चंद्रमा मिशन की रूपरेखा तैयार की। सोवियत मिशन के शुरुआती दौर में खाद्य पदार्थों को ट्यूबों में भेजा गया जबकि नासा ने भोजन को पाउडर के रूप में बनाया, इन्हें तकरीबन एक ग्रास में खाए जाने वाले क्यूब्स का आकार दिया गया। इन भोजन पदार्थों को अर्ध-तरल बना कर एल्यूमीनियम ट्यूबों में भरा गया। खाने से पहले भोजन को फिर से हाइड्रेट करना पड़ता था।

सत्तर के दशक के अंत तक अंतरिक्ष मेनू में सुधार हुआ। अब यहाँ लगभग 72 विभिन्न खाद्य पदार्थ थे जिसमें सब्ज़ियाँ, चिकन, एप्पल सॉस, श्रिम्प (झींगा) कॉकटेल जैसे स्वादिष्ट विकल्प भी थे।

अंतरिक्ष में भोजन के पैकेट

सोवियत संघ द्वारा शुरू किया गए, मीर स्टेशन ने 1986 से 2001 तक पृथ्वी की परिक्रमा की है। यह स्टेशन दीर्घकालिक अंतरिक्ष निवास के लिए पहला प्रयोग था- कॉस्मोनॉट वैलेरी पॉलाकोव अभी भी सबसे लंबे समय तक निरंतर अंतरिक्ष में बने रहने के लिए रिकॉर्ड रखता है।

 स्टेशन में स्लॉट्स के साथ एक कस्टम-निर्मित डाइनिंग टेबल को भी जगह दी गयी जहां अंतरिक्ष यात्री भोजन के टिन और ट्यूबों को गर्म कर सकते थे। इसमें भोजन के पुन: जलयोजन के लिए गर्म और ठंडे पानी को निकालने की सुविधा उपलब्ध थी। इसमें एक अंतर्निहित वैक्यूम सक्शन सिस्टम भी था जो इधर-उधर फैले हुए खाद्य कणों  को समेटने में मददगार था। मीर अंतरिक्ष स्टेशन में अधिकतर खाद्य पदार्थ डिब्बाबंद भोजन और पुनर्जलीकरण वाले थे, लेकिन जब वहाँ आपूर्ति जहाज से संभव हुई तो वो अपने साथ ताज़े फल और सब्जियां भी अंतरिक्ष स्टेशन में ले कर गए। 

आमतौर पर अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए छह महीने का लंबा प्रवास होता है। अंतरिक्ष यात्री खानपान संबंधी इच्छाओं को पूरा करने के लिए ऑनलाइन ऑर्डर भी नहीं कर सकते। ऐसी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उनके लिए कई उपकरण इजाद किये गए हैं। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) ने विशेष रूप से एक कॉफी मशीन तैयार की है जो अंतरिक्ष में काम कर सकती है। इसे साथ ही आईएसएस मिशनों में चालक दल के पास चुनने के लिए 300 खाद्य वस्तुओं का विकल्प है, जिसमें से कुछ हैं फलों का सलाद और स्पेगेटी ।

आईएसएस मिशन में भोजन क्रू द्वारा अंतरिक्ष में ले जाया जाता है। लॉन्च से पहले रंग, गंध, स्वाद और बनावट को देखते हुए चालक दल अपने मेनू का चयन करते हैं। एक विशेषज्ञ पसंद किये गए आहार की जाँच करता है और यह सुनिश्चित करता है कि उसमें पर्याप्त कैलोरी और पोषक तत्व हों। इस प्रक्रिया के बाद ही ये व्यंजन दल के लिए बनाये जाते हैं और लॉन्च के लिए तैयार किए जाते हैं।

यदि कोई आपात स्थिति हो तो क्या होगा? एक बार अंतरिक्ष यान को सेवा से बाहर कर दिया गया था, ऐसे में आईएसएस में रहने वाले चालक दल को केवल रूसी सोयुज आपूर्ति पोत पर निर्भर रहना पड़ा था। 

क्या होगा अगर भोजन की आपूर्ति में कोई परेशानी आयी तो ? आईएसएस में सुरक्षित हेवन फूड सिस्टम आपातकालीन खाद्य आपूर्ति को संग्रहीत करता है जो कि 22 दिनों तक प्रति दिन 2,000 कैलोरी प्रति अंतरिक्ष यात्री के हिसाब में चालक दल को दिया जा सकता है।

अंतरिक्ष-ग्रेड भोजन

वैज्ञानिक अंतरिक्ष में खाए जाने वाले भोजन को आठ समूहों में वर्गीकृत करते हैं। निर्जलित भोजन, जिसके लिए सिर्फ पानी की आवश्यकता होती है, र्मोस्टैबिलाइज्ड फूड, जिसे कमरे के तापमान में रखा जा सकता है, इंटरमीडिएट नमी वाले खाद्य पदार्थों वो हैं जिनमें कुछ नमी अभी भी बची हुई है और इन्हें डीप फ्रीज स्टोरेज की जरूरत है, नेचुरल फॉर्म फूड जैसे नट और बिस्कुट, विकिरण के साथ निष्फल खाद्य , फ्रोजन फूड, जो गहरे जमे हुए हैं, सेब और केले जैसे ताजा भोजन जो अधिक समय तक रखे जा सकते हैं, रेफ्रिजरेटेड फूड जैसे क्रीम अंतरिक्ष क्रू के तालू के लिए रेंज प्रदान करते हैं। 

शरीर को माइक्रोग्रैविटी में काम करने के लिए सामान्य पोषण के अलावा, विशेष आहार की आवश्यकता होती है इसलिए अक्सर अंतरिक्ष के लिए तैयार भोजन को फोर्टीफाइड किया जाता है।

बहुत सारे घटक मिलकर ये निर्धारित करते हैं कि अंतरिक्ष के लिए विशेष रूप से संसाधित भोजन वहाँ के लिए अनुकूल है या नहीं। पौष्टिक मूल्य, भूख लगना, पाचन गुण और स्वाद कुछ बुनियादी मापदंड हैं। इन सबके साथ इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कि खाना जल्दी ख़राब न हो क्योंकि उससे खाद्य विषाक्तता का खतरा बढ़ जाता है।

 डिब्बाबंद भोजन को कीटाणु मुक्त रखना ज़रूरी है ताकि वो अधिक समय तक खाने योग्य बने रहें। भोजन को खराब होने से बचाने के लिए और उसमें से सूक्ष्मजीवों को नष्ट करने के लिए उसे फ्रीज-ड्राय या थर्मोस्टैबिलिलाज्ड किया जाता है।

 एक और प्रमुख पोषण संबंधी चिंता है- भोजन में विटामिन के स्तर को बनाए रखना। जब भोजन को जमा दिया जाता या फिर उसे बहुत कम तापमान में रखा जाता है तो उसके विटामिन ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करते हैं और धीरे-धीरे विटामिनों का क्षय होने लगता है। 

कुछ दिनों तक चलने वाले मिशनों के लिए ये अधिक चिंता की बात नहीं है लेकिन लंबी अवधी तक चलने वाले मिशन जैसे आईएसएस मिशन जहां चालक दल छह महीने या उससे अधिक समय तक अंतरिक्ष में रहते हैं, तो यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि अंतरिक्ष में उन्हें किसी भी प्रकार के प्रमुख विटामिनों की कमी ना हो।

अंतरिक्ष में वजन बढ़ाना महंगा पड़ सकता है इसलिए वहाँ हल्का भोजन खाये जाने की सलाह दी जाती है। 

 साथ ही वहाँ खाद्य पदार्थ अपशिष्ट नहीं छोड़े जाएँ तो अच्छा है क्योंकि अंतरिक्षयान में उड़ते हुए खाद्य पदार्थ अपशिष्ट अंतरिक्षयान के उपकरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं। खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग न केवल हल्की होनी चाहिए बल्कि खाद्य पुनर्गठन के लिए कंटेनर के रूप में दोगुनी होनी चाहिए।

गगनयान मेनू

डीएफआरएल ने इसरो मानव उड़ान मिशन के लिए 24 से 30 देसी व्यंजनों का चयन किया है। डॉ जगन्नाथ, वैज्ञानिक, डीएफआरएल ने बताया “खाना वही है लेकिन उसकी पैकिंग अलग है।

 सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में खाया जाने वाला भोजन और अंतरिक्ष यात्रियों को खिलाने की चुनौतियां अलग हैं, इसलिए हमें इस मुद्दे को तकनीकी रूप से इस तरह से संबोधित करना होगा कि वे आसानी से भोजन का उपभोग करने में सक्षम हों।” भोजन को गर्म करना या गर्म पानी का उपयोग करके भोजन के पुनर्गठन पर ध्यान दिया गया है। कैप्सूल में ही हीटिंग स्टेशन प्रदान करने के लिए योजना बनाई जा रही है। 

प्रयोगशाला भोजन के पुनर्गठन के लिए अलग डिब्बे प्रदान करने के विकल्प पर भी विचार कर रही है। भोजन कितना मसालेदार होना चाहिए? हर किसी के लिए स्वाद का एक अलग अर्थ है। इसलिए अंतरिक्ष भोजन को हल्का मसालेदार बनाया जाता है ताकि अगर किसी को अधिक मसालों की ज़रूरत है तो बाद में मिलाए जा सकें।

अंतरिक्ष में खाये जाने वाले भोजन के विकास के साथ खाने के बेकार पैकटों को निपटाना भी एक चुनौती है। डीएफआरएल स्टार्च से प्लेट और कप तैयार करने के विचार कर रहा है ताकि उपयोग के बाद उन्हें फेंकने की बजाय खाया जा सके। “अंतरिक्ष में सिपर से पानी नहीं पिया जा सकता है आपके पास एक लॉक सिस्टम होना चाहिए ताकि जब आप पानी या कोई तरल पदार्थ पीयें तो बचा हुआ तरल अंतरिक्षयान में न उड़ने लगे” डॉ जगन्नाथ ने बताया। डीएफआरएल कैप्सूल में पानी या तरल पदार्थ के लंघन से बचने के लिए किसी क्लिपिंग तंत्र की योजना बना रहा है।

ज्योति सिंह, विज्ञान लेखक

जन संपर्क अधिकारी,

राष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थान

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