कोरोना से अण्डमान के आदिवासियों के अस्तित्व पर खतरा
सुबीर भौमिक, वरिष्ठ पत्रकार, कलकता
सुबीर भौमिक, लम्बे समय तक बीबीसी के पूर्वोत्तर संवाददाता रहे हैं
चीन से उठी कोराना महामारी ने भारत की मुख्यभूमि के साथ बंगाल की खाडी़ में बसे भारतीय द्वीप अंडमान निकोबार को भी अपनी चपेट में ले लिया है जिससे संरक्षित श्रेणी के अण्डमानी आदिवासियों की प्रजाति की सुरक्षा को भारी खतरा उत्पन्न हो गया है। चिन्ता की बात यह है कि वहां 11 लोग कोरोना ग्रसित पाये गये हैं । सूत्रों के अनुसार सरकार ने जारवा आदिवासियों को बचाने के लिए पूर्वी तट से द्वीप के पश्चिमी तट पर ले जाने के आदेश दिये हैं।जारवा लोग घुमक्कड़ जनजाति है और इस तथ्य को देखते हुए जनजाति कल्याण विभाग उन्हें अधिसूचित क्षेत्र से बाहर न निकलने दे ताकि वे घुसपैठियों के संपर्क में न आयें क्योंकि घुसपैठिये बाहरी दुनिया से संक्रमित होकर वारस को जारवा लोगों तक पहुंचा सकते हैं ।
वनवासी क्षेत्रों के घुसपैठिये आमतौर पर मत्स्य आखेट के लिए उसी पश्चिमी तट पर जाते हैं जिस पर जारवा जन जातियों को रहने की व्यवस्था की गयी है। घुसपैठिये मत्स्य आखेटक पश्चिमी तट के छिछले पानी में अपने शिकार हेतु अपनी नावें लगाते है और जारवा वहां अपनी आदिवासी नावों से वहां पहुंच जाते हैं। इस घुसपैठ को रोकने के लिए आदिवासी कल्याण स्टाफ पहरेदारी की कुछ व्यवस्था रखते हैं जो इस कोरोना काल में अपूर्ण है। इस समय वायुसेना और नौ सेना की कडी़ पहरेदारी की जरूरत है ताकि कोई भी गैर जारवा व्यक्ति जारवा तक न पहुंच सके।
सूत्रों के अनुसार नियमित पहरेदारी से बचे हुए 500 जारवा लोगों के बच जाने की संभावना ठीक-ठाक दिखती है पर लिटिल अंडमान के ओंग लोगों को सुरक्षित बचा पाना एक बडी़ चिन्ता का विषय है। इस समय डुगोन्ग क्रीक में मात्र 124 ओंग लोग बचे हुए हैं। वहां आदिवासी कल्याण विभाग का कोई स्टाफ भी नहीं तैनात है जो किसी आकस्मिकता की स्थिति में कोई रोक थाम का उपाय कर सके। दुर्भाग्य से ओन्ग लोगों के क्षेत्र में घुसपैठ प्रभावित है। लगभग 10 वर्ष पूर्व की बात है जब ओन्ग जाति दस लोग एक ऐसे ड्रिंक को पीकर जीवन से हाथ धो बैठे जो बाद में जांच पड़ताल में समुद्री सतह पर फैला मिला। इससे उनकी जनसंख्या में 10 प्रतिशत की हानि हो गयी।
इन दो जनजातियों के अलावा ग्रेट निकोबार द्वीप के उपेक्षित पडे़ शाॅपमेन जनजातियों के लिए भी खतरा है। उनकी देखरेख के लिए एक कल्याण विभाग का केवल एक कर्मचारी तैनात है , इससे हास्यास्पद बात और क्या होगी?