मीडिया जगत
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बुखार और आपातकाल सूचना देकर नहीं आते, लक्षणों से ही समझना पड़ेगा
🔊 सुनें -श्रवण गर्ग, पूर्व प्रधान सम्पादक दैनिक भास्कर एवं नई दुनिया, इंदौर से कुछ लोगों को ऐसा क्यों महसूस…
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इमर्जेंसी : जब काग़ज़ के पुर्ज़े ही क़ीमती स्मृति चिन्ह बन जाते हैं !
🔊 सुनें -श्रवण गर्ग, पूर्व सम्पादक दैनिक भास्कर एवं नई दुनिया पच्चीस जून ,1975 का दिन।पैंतालीस साल पहले।देश में ‘आपातकाल’ लग…
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इंदिरा गांधी केस, जब पहले खबर देने के लिए रिपोर्टर हाईकोर्ट की छत से कूद गया
🔊 सुनें राम दत्त त्रिपाठी, राजनीतिक विश्लेषक 12 June 1975 तब आज की तरह टीवी चैनल्स नहीं थे. मोबाइल फ़ोन…
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वे दिन वे लोग : राव बीरेंद्र सिंह की साफ़गोई
🔊 सुनें — त्रिलोक दीप, वरिष्ठ पत्रकार राव बीरेंद्र सिंह मेरे बहुत अच्छे मित्र थे। बेशक़ वह कई बार केंद्रीय…
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यादों के झरोखे से : किस्से अटल जी के
🔊 सुनें त्रिलोक दीप , वरिष्ठ पत्रकार, दिल्ली इस फोटो की एक दिलचस्प कहानी है। गाहेबगाहे मैं अटल बिहारी वाजपेयी…
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गिरीश कारनाड को याद करते हुए : कुछ पल गिरीश के साथ,
🔊 सुनें डा मोहम्मद आरिफ़, वाराणसी बात 1990 के दशक की है जब मैं प्रो.इरफान हबीब के एक आमंत्रण पर…
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How Media Failed in an Hour of Crisis
🔊 सुनें Prof. Pradeep Mathur, Delhi The battle against Corona Virus continues and by all accounts it is going…
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Social Media As an Indicator To Judge People’s Mood
🔊 सुनें Prof. Pradeep Mathur Whatever you may call me, an old-timer or a puritan I am among those who…
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