चीन ने फिर एल ए सी का उल्लंघन किया
(मीडिया स्वराज डेस्क)
ताज़ा जानकारियों के अनुसार भारत चीन सीमा पर हालात लगातार गंभीर बने हुए हैं. चीनी सेना द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा के अतिक्रमण की नयी खबरें अब गलवान घाटी के अलावा सामरिक रूप से महत्वपूर्ण बोटलेनेक या Y जंक्शन से भी आ रही हैं, जो गलवान घाटी के उत्तर में देपसांग मैदानों पर स्थित है.
यह स्थान सामरिक रूप से भारत के लिये अति महत्वपूर्ण दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी से महज 30 किलोमीटर दूर है. सूत्रों के मुताबिक चीन ने भारी तादाद में वहाँ सैनिकों के साथ साथ विशेष सैन्य वाहन और साजोसामान भी जमा कर लिये हैं.
Y जंक्शन पर चीन का सैन्य जमावड़ा इसलिये भी अधिक खतरनाक हो जाता है कि यह दर्बुक श्योक दौलत बेग ओल्डी को जोड़ने वाली सड़क से महज सात किलोमीटर दूर है, और यहां तक भारत की स्थायी गश्ती चौकी यानी पेट्रोलिंग पोस्ट भी है.
अतिक्रमण का दायरा कितना व्यापक है यह ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की उस खबर से पता चलता है, जिसके अनुसार उक्त स्थान पर चीनी सेना भारत की ओर लगभग 18 किलोमीटर अंदर तक पहुच गयी है.
यह पूरा इलाका वास्तविक नियंत्रण रेखा के निकट भारतीय प्रभाव वाले क्षेत्र के अंतर्गत आता है जहां भारत ने 2013 के बाद से यहां कई गश्ती चौकियां बनायी हैं ताकि चीनी सेना के संभावित अतिक्रमण या हरकत पर नज़र रखी जा सके.
इस स्थान पर 2013 के बाद चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा का यह एक बड़ा उल्लंघन माना जा रहा है. उस वक़्त भी बड़ी संख्या में चीनी सैनिक यहां तक घुस आये थे, और बातचीत के माध्यम से, एक लंबी कूटनीतिक लड़ाई के बाद ही उनको वहाँ से हटाया जा सका था.
रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो इस Y जंक्शन के दोनो तरफ भारत की कई सारी गश्ती चौकियांहैं. चीन यदि इनको अपने अधिकार में लेने में सफल हो गया तो निश्चित रूप से भारत की स्थिति कमजोर हो सकती है और यह भी संभव है कि चीन उस पूरे क्षेत्र को अपना घोषित कर दे जिस पर परंपरागत रूप से भारत का अधिकार रहा है.
इसके अलावा सेटेलाईट से ली गयी नयी तस्वीरों से यह भी खुलासा हुआ है कि गलवान घाटी में चीन ने पुनः टेंट सरीखे कुछ ढांचे खड़े कर दिये हैं. चीन द्वारा किये गये ऐसे ही निर्माण कार्यों के चलते दोनों पक्षों में झगड़ा हुआ था, जो 15 जून को हिंसक हो गया और दोनों पक्षों के कई सैनिक अपनी जान गंवा बैठे .. तस्वीरों में साफ हो जाता है कि यह ढांचे 16 तारीख के बाद खड़े किये गये हैं. क्योंकि इससे पहले यानी 15 जून को भारतीय सेना ने झगड़े के समय ऐसे सभी ढांचों को उखाड़ फेंका था.