कालिंदी ताई : सेवा, साधना और सादगी की मूर्तिमान प्रेरणा

ब्रह्म विद्या मंदिर, पवनार (वर्धा, महाराष्ट्र) की वरिष्ठ सदस्या और प्रख्यात आध्यात्मिक साधिका कालिंदी ताई का निधन हो गया है। उनका जीवन सेवा, सादगी और आत्मिक साधना की अनुपम मिसाल रहा। वे 93 वर्ष की थीं।

पवनार आश्रम में अंतिम संस्कार

कालिंदी ताई का जन्म 1932 में मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता उस समय संसद सदस्य थे। उन्होंने बड़ौदा विश्वविद्यालय से सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की और बाद में राजकोट के एक रिमांड होम सहित कई सामाजिक क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाई। सेवा के क्षेत्र में गहराई से उतरने की इच्छा ने उन्हें महान बुद्घपुरुष विनोबा भावे से मिलवाया। एक बार जब वे विनोबा जी से मिलीं, तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1960 से उन्होंने अपना पूरा जीवन ब्रह्म विद्या मंदिर, पवनार में समर्पित कर दिया।

उन्होंने भूदान आंदोलन में भी सक्रिय भागीदारी की और विनोबा जी के निकट सहयोगी के रूप में लंबे समय तक कार्य किया। विनोबा जी अपनी आत्मकथा स्वयं नहीं लिखना चाहते थे, ऐसे में कालिंदी ताई ने उनके जीवन की घटनाओं और विचारों को संकलित कर एक गहन आत्मकथात्मक कृति तैयार की, जिसे हिंदी में अहिंसा की तलाश और अंग्रेज़ी में “Moved By Love” के नाम से प्रकाशित किया गया।

कालिंदी ताई ने न केवल हिन्दू धर्म, बल्कि इस्लाम सहित अन्य आध्यात्मिक परंपराओं का भी गहराई से अध्ययन किया और विभिन्न भाषाओं में अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकों का लेखन और अनुवाद किया।

उच्च कोटि के बौद्धिक कार्यों से लेकर साधारण श्रम जैसे शौचालय से खाद ले जाना या मंदिर की सफाई करना — उन्होंने हर कार्य को पूरी श्रद्धा और विनम्रता से किया। 88 वर्ष की आयु में भी वे आश्रम में प्रतिदिन मंदिर परिसर की सफाई करती थीं।

उनका जीवन संपूर्ण रूप से एक साधना था — न किसी प्रदर्शन की चाह, न किसी पद या प्रतिष्ठा की आकांक्षा। केवल प्रेम, करुणा और सेवा की एक अनवरत धारा।

ब्रह्म विद्या मंदिरविनोबा विचारधारा, और संपूर्ण समाज ने एक महान आत्मा को खोया है। लेकिन कालिंदी ताई की तपस्या और विचारों की विरासत हमेशा हमारे

मीडिया स्वराज परिवार की ओर से उनकी स्मृति को कोटिशः नमन।

कालिंदी दीदी मूलतः इंदौर मध्यप्रदेश की थीं। उनके पिताजी बाबा की भूदान यात्रा के सहयोगी तात्या साहब सरवटे संविधान सभा के सदस्य हुआ करते थे। पूज्य विनोबा जी के कार्यों से जुड़े  तीनों इंद्र (*नरेंद्र भाई,देवेंद्र भाई,और महेंद्र भाई)* इंदौर के ही थे।

डा पुष्पेंद्र दुबे द्वारा दीदी को दी गई श्रद्धांजलि*               

    मृति स्मृति शुध्दये 

मरण के स्मरण से व्यक्ति का आंतरिक और बाह्य जीवन शुध्द और पवित्र होता है। 

आज प्रात:काल 5:00 बजे सूचना प्राप्त हुई कि विनोबा जी की शिष्य सुश्री कालिंदी ताई का 93 वर्ष की आयु में देवलोकगमन हुआ। हरेक व्यक्ति की इच्छा होती है कि *जीवन का अंतिम उत्तर* ठीक आना चाहिए। उसके लिए बहुत तैयारी की आवश्यकता होती है। साधनामय जीवन से यह संभव होता है। सुश्री कालिंदी ताई विगत दो माह से मृत्यु की तैयारी कर रही थीं। भोजन त्याग कर सिर्फ जल का ही आधार ले रखा था। इस बीच उनसे दो बार मिलने जाना हुआ। उनकी स्मृति सतेज थी और इंदौर के साथ पूरे देश की गतिविधियों की जानकारी ली। जब 6 मार्च को उनसे मिलने गया, तब  सुश्री कालिंदी ताई को  इंदौर में केरल यात्रा के बारे में बताया। पूरा वृत्तांत सुनकर अत्यंत प्रसन्न हुई और अपनी जगह से बैठे-बैठे आश्रमवासियों तक जानकारी भेज दी। चूंकि सुश्री कालिंदी ताई इंदौर की पुत्री थीं, इसलिए विशेष स्नेह था। वे स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य तात्या साहब सरवटे की पुत्री और बालनिकेतन संघ की संस्थापक संचालक पद्मश्री शालिनी ताई मोघे की बहन थीं। तात्या साहब ने अपनी पुत्री कालिंदी ताई को विनोबा को समर्पित किया। कालिंदी ताई ने विनोबा के साथ पूरे देश में भूदान पदयात्रा की। ब्रह्मविद्या मंदिर से निकलने वाली मासिक पत्रिका ‘मैत्री’ का लगभग 40 वर्षों तक संपादन किया। कुरान शरीफ का गंभीर अध्ययन करने के बाद ‘इस्लाम का पैगाम’ पुस्तक लिखी। कालिंदी ताई विनोबा विचार की अप्रतिम भाष्यकार थीं। अभी कुछ दिन पहले उन्होंने भूदान यात्रा पर भी अपनी लेखनी चलाकर एक पुस्तक लिखी थी।उनका लेखन कार्य निरंतर चलता रहा। अभी चार माह पहले उनके भूदान आंदोलन से संबंधित संस्मरण की पुस्तक का प्रकाशन हुआ, जिसका विमोचन श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति में किया गया। ब्रह्म विद्या मंदिर में तरुण से लेकर वृध्द को कोई न कोई श्रम करना आवश्यक है। सुश्री कालिंदी ताई अपनी उम्र के अनुसार कोई न कोई श्रम का कार्य हमेशा करती रहीं। 

आज वे व्यक्त से अव्यक्त में चली गयी हैं। व्यक्त से अधिक अव्यक्त में से प्रेरणा मिलती है। पहले शरीर तक सीमित थीं। अब वे व्यापक हो गयी हैं। उनके जीवन कार्यों का स्पर्श हम सभी को हो। ऐसी प्रार्थना के साथ सुश्री कालिंदी ताई को विनम्र श्रध्दांजलि। 

ॐ शांति शांति शांति:।।🙏🌹💐

आदरणीय कालिंदी ताई कुछ समय पहले अनंत में विलीन हो गईं। चित्र सौजन्य से डा अशोक हिउरे पवनार

मैत्री का मतलब

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