गोवा में तो मोदी की मदद कर रहीं हैं ममता बनर्जी !
गोवा में मोदी की मददगार ममता
गोवा में मोदी की मददगार ममता: भाजपा और कांग्रेस के बीच भले ही ज्यादातर सीटों पर मुकाबला हो पर टीएमसी और आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव को रोचक बना दिया है. प्रचार में खर्च के साथ लुभावने वादे चर्चा में तो हैं ही. टीएमसी ने ममता बनर्जी को गोवा का नया सवेरा बताया है तो केजरीवाल दिल्ली माडल को बेच रहे हैं. मुफ़्त बिजली, अच्छी शिक्षा के साथ ओबीसी को मुख्यमंत्री बनाने की पेशकश चर्चा में है. आम आदमी पार्टी तो राज्य में पहले भी चुनाव लड़ चुकी है पर ममता बनर्जी पहली बार आई हैं.
अंबरीश कुमार
पणजी: गोवा में मोदी की मददगार ममता: पणजी से उत्तरी गोवा के आरंबोल के रास्ते पर चलें तो कलंगूट से आगे बढ़ते ही सड़क के दोनों ओर जो बड़ी बड़ी होर्डिंग देख कर लगता है इस राज्य में चुनाव होने जा रहा है. और इन होर्डिंग में सबसे ज्यादा दिखने वाला चेहरा ममता बनर्जी का है . साफ है तृणमूल कांग्रेस गोवा में सबसे ज्यादा पैसा खर्च कर रही है .
गोवा में मोदी की मददगार ममता: ममता बनर्जी की होर्डिंग बड़ी संख्या में लगी हुई है तो उसके बाद आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल का नंबर है . तीसरे नंबर पर मोदी का चेहरा नजर आता है बावजूद इसके कि गोवा में भाजपा की सरकार है. इस खर्चीले प्रचार में कांग्रेस कहीं नजर नहीं आती है . पर अगर स्थानीय लोगों से बात की जाए तो मुख्य मुकाबला प्रचार में तीसरे चौथे नंबर पर रहने वाली भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है .
गोवा में मोदी की मददगार ममता: पर तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का भाजपा को आभार जताना चाहिए जो उसे पहले नंबर पर पहुंचा चुकी है . कई राज्यों की तरह यहां के चुनाव में भी भाजपा का चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही है और वे सभी पर भारी भी है. गोवा में छोटे छोटे दल हैं और दुर्भाग्य से किसी के पास भी कोई बड़े कद का चेहरा नहीं हैं . पिछली बार कांग्रेस के जीतने के बावजूद भी ज भाजपा ने दल बदल कर सरकार बना ली तो कांग्रेस के मतदाता भी निराश हो गए .
गोवा में मोदी की मददगार ममता: चुनावी राजनीति में भाजपा साम दाम दंड भेद सब अपनाती है तो कांग्रेस इस खेल में उसके सामने फिसड्डी मानी जाती है. फिर डबल इंजन की सरकार का मुहावरा इस राज्य में जरूर चलता है क्योंकि यहां छोटे छोटे दलों की सौदेबाजी से राजनीतिक अस्थिरता का दौर भी लोग देख चुके है . इस वजह से भाजपा फिलहाल विधान सभा चुनाव में सबसे आगे नजर आती है .
मापूसा में रहने वाले नौजवान सुदीप दलवी ने कहा ,ममता बनर्जी और अरविंद केजरिवाल भाजपा का रास्ता साफ कर रह हैं . तृणमूल कांग्रेस हो या आम आदमी पार्टी दोनों ही कांग्रेस के परंपरागत वोटों में सेंध लगाकर अपना आधार बना रही हैं . दूसरे रोमन कैथोलिक समुदाय जो कांग्रेस का परंपरागत मतदाता रहा है उसका एक हिस्सा पार्टी की बदहाली से निराश होकर ममता बनर्जी या केजरीवाल आ समर्थन कर सकता है . इससे कांग्रेस का वोट बटेगा और भाजपा को फायदा मिलेगा .
हालांकि ये दोनों दल लोकप्रियता हासिल करने के लिए तरह तरह के वादे कर रहें हैं जिसका बोझ अगर इनकी सरकार बनी तो आम आदमी को ही झेलना पड़ेगा . जैसे महिलाओं को हर महीने पांच हजार रुपए देने का वादा . दूसरे अरविंद केजरीवाल ने तो पिछड़ा मुख्यमंत्री बनाने का वादा कर गोवा में भी अगड़ा पिछड़ा मुद्दा बना दिया है . यह जातीय राजनीति का नया दौर है . ‘
सुदीप दलवी की इस बाद से बहुत से लोग असहमत भी है .दिनेश कामत एक कारोबारी हैं कैन्डोलिम के . उनका मानना है कि गौड़ सारस्वत ब्राह्मण तो भाजपा का खुलकर समर्थन करते है .
गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को राज्य में गौड़ सारस्वत ब्राह्मण का बड़ा चेहरा माना जाता है . गोवा की ब्राह्मण बिरादरी पूरी तरह भाजपा के साथ है . यह भी एक तथ्य है . दूसरे भाजपा ने राज्य में सरकार बनाने के लिए जितना पैसा खर्च किया उतना किसी और दल के लिए संभव भी नहीं थी . यह इस बार भी होगा .
कांग्रेस हो या कोई और दल अगर उनका विधायक जीत कर आता है तो उसे भाजपा पैसा देकर अपनी तरफ कर लेगी. इसी वजह से बहुत से लोग मानते हैं कि सरकार तो भाजपा की ही बनेगी. कांग्रेस के पास कोई ऐसा चेहरा भी नहीं है जिसके नया पर उसे इतना वोट मिल पाए कि वह सरकार बना सके. गौरतलब है कि पिछली बार सबसे बड़ा दल होने के बावजूद सरकार भाजपा की ही न थी.
भाजपा और कांग्रेस के बीच भले ही ज्यादातर सीटों पर मुकाबला हो पर टीएमसी और आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव को रोचक बना दिया है . प्रचार में खर्च के साथ लुभावने वादे चर्चा में तो हैं ही . टीएमसी ने ममता बनर्जी को गोवा का नया सवेरा बताया है तो केजरीवाल दिल्ली माडल को बेच रहे हैं . मुफ़्त बिजली ,अच्छी शिक्षा के साथ ओबीसी को मुख्यमंत्री बनाने की पेशकश चर्चा में है.आम आदमी पार्टी तो राज्य में पहले भी चुनाव लड़ चुकी है पर ममता बनर्जी पहली बार आई हैं . इस वजह से संभवतः उन्हे वह सफलता न मिल पाए जो आप को मिल सकती है . फिर अगर आप का पिछड़ा कार्ड चल गया तो उसका आगे का रास्ता साफ हो जाएगा .
गौरतलब है कि गोवा की आबादी बहुत ज्यादा नहीं है करीब पंद्रह लाख . राज्य में 40 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो रहा है. विधान सभा क्षेत्र छोटा होता है तो विधान सभा उम्मीदवार का रिश्ता भी गांव के लोगों से बना रहता है . पैसा शराब सब चलता है इसलिए अगर उमीदवार पैसे से मजबूत हुआ तो जीत तय होती है .
राजनीतिक दल टिकट देते समय इसका ध्यान भी रखती है कि उम्मीदवार पैसा कितना खर्च कर सकता है . यही वजह है कि आम आदमी पार्टी के पोस्टर में भी दागी चेहरा मिल जाएगा भले वह बात राजनीतिक शुचिता की करती रहे . दूसरे भ्रष्टाचार यहां सर्वदलीय गुण है . कांग्रेस के विधायक अगर न बिकते तो भाजपा की सरकार न बनती . भाजपा ने पैसा खर्च कर विधायक खरीद लिया और कांग्रेसी तो ज्यादातर राज्य में बिकने को तैयार बैठे रहते हैं .
फिर भी हर विधान सभा क्षेत्र में कांग्रेस का परंपरागत आधार अभी भी है पर कांग्रेस के पास कोई चेहरा नहीं है . पर स्थानीय चेहरा तो न भाजपा के पास है न टीएमसी या आप के पास जो चुनाव जीता से . ऐसे में मोदी ,ममता और अरविद केजरीवाल ही गोवा में दिखते है . पोस्टर ,बैनर और होर्डिंग में . जब ये ही तीन चेहरे लड़ेंगे तो साफ है मोदी को फायदा होगा . फिर ममता बनर्जी और केजरीवाल भी गोवा में मोदी के मददगार साबित होते तो दिख ही रहे है .
इसे भी पढ़ें: