पैतृक गाँव खेवली में “धूमिल” की 85वीं जयन्ती
धूमिल लोकतंत्र के सजग प्रहरी थे, जिन्होंने सच्चे लोकतंत्र की वकालत की।
सेवापुरी। धूमिल ऐसे पहले कवि हैं जिन्होंने हिंदी में अपने नए मुहावरे गढ़े हैं। हिंदी साहित्य के क्रम में कबीर-निराला, मुक्तिबोध और धूमिल को रखा जा सकता है। 85 वी धूमिल जयंती के अवसर पर मुख्य अतिथि “चिंतन दिशा” मुंबई के सम्पादक हृदयेश मयंक ने व्यक्त की।
प्रोफेसर बीएचयू प्रकाश शुक्ल ने कहा कि गांव की असली संस्कृति धूमिल की कविताओं में दिखती है। बीएचयू के डॉ. रामाज्ञा शशिधर ने कहा कि धूमिल का काल विचार के संघर्षो का काल था। डॉ0 विनोद राय ने कहा कि आम आदमी की आवाज को पहचाने की क्षमता धूमिल की कविता में दिखती है। कवि शिवकुमार ‘पराग’ ने कहा कि धूमिल की रचनाएं जनतंत्र के लिए जागरण का माध्यम है।
मुंबई के कवि शैलेश सिंह ने कहा कि धूमिल ने पीछे नहीं बल्कि शोषण, अत्याचार को कविता द्वारा नया रास्ता व तेवर दिखाया है। जगतपुर डिग्री कालेज के रमेश पाठक जी ने कहा कि हिंदी कविता के क्षेत्र में धूमिल की कविताएं प्रखर हैं। अन्य प्रमुख वक्ताओं में काशी विद्यापीठ के प्रो0 श्रद्धानन्द, डॉ. गोरखनाथ, डॉ0 रामसुधार सिंह मुंबई से आये सत्यदेव त्रिपाठी, निलय उपाध्याय ने धूमिल को सच्चे लोकतंत्र के रहनुमा बताया।
जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्य ने दीप प्रज्वलन किया। एक तोरण द्वार बनाने का आश्वासन दिया।
रोहनिया विधायक सुरेन्द्रनारायण सिंह ने कहा कि इनके गौरव, सम्मान के लिए गाँव की मिट्टी से सनी असली लोकतंत्र की आजादी धूमिल को नियमित याद करना होगा। साथ ही सड़क बनवाने का आश्वासन दिया।
जनकवि धूमिल पुस्तकालय व वाचनालय के बच्चो व युवाओं ने बालिका सम्मान व पर्यावरण पर पर्यावरण प्रेमी मनीष पटेल व नन्दलाल मास्टर के नेतृत्व में रैली निकाली गई। कम्पोज़िट विद्यालय भतसार के बच्चों ने योग डांस व करतब दिखलाए और पोस्टर के जरिये सन्देश दिया।
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अध्यक्षता करते हुए डॉ0 सदानन्द सिंह ने कहा कि धूमिल वर्तमान परिस्थितियों में समयानुसार अपने तेवर और प्रेम भरी गुर्राहट की कविताओं को लिखा करते थे। कई प्रखर वक्ताओं ने कहा कि धूमिल अपने समय के सर्वाधिक जाग्रत और जीवंत कवि थे।
धन्यवाद ज्ञापित करते हुए साहित्यकार डॉ0 प्रभाकर सिंह व डॉ0 राजेश सिंह ने कहा कि अन्याय और शोषण के खिलाफ संघर्ष की सूची क्रांति हिंसा की जमीन से ऊपर उठकर वर्तमान व्यवस्था के विध्वंश की घोषणा धूमिल की कविता से मिलती है।
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आये हुए साहित्यकारों, कवियों, रचनाकारों के प्रति धूमिल के पुत्र रत्नशंकर पांडेय व आनन्द शंकर पांडेय ने स्वागत कर आभार प्रकट किया। संचालन अरविंद कुमार सिंह ने किया।
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