क्या चीन ने युद्ध के लिए कोरोना वायरस बनाया
इलाज ढूँढने के बाद गहराई से जॉंच की ज़रूरत
डा. आर डी मिश्र
निदेशक , ग्रेटर नोएडा प्रोडक्टिविटी काउंसिल , नोएडा
कोरोना यानी कोविड 19 महामारी ने पिछले तीन महीने में लगभग 175 देशों मेंअपना पैर पसार लिया है . इस बीमारी ने मानव जाति को डर – डर कर जीने को मजबूर कर दिया है .
यह एक ख़तरनाक क़िस्म का वायरस है जिससे चीन के वुहान चार नंबर लैब में एकपरीक्षण के समय देखा गया. कहा तो ये जा रहा है कि इसी लैब में बायो मेडिकलजींस बनाने के दौरान वह वहाँ के लैब से लीक हो गया .
बायोमेडिकल जींस एकतरह का युद्ध का हथियार होता है , जिसके ज़रिए किसी भी दुश्मन के देश में वायरस छोड़कर उसे पराजित किया जा सके. इसकी सत्यता अभी जाँच का विषयहै .
जो भी हो अभी तक जान गंवाने वालों का आंकड़ा 72 00 के पार हो गया है और यहदिन प्रतिदिन भयावह होता जा रहा है. दुनिया के बहुत से देश अपने – अपने तरीक़ेसे इसकी रोकथाम के उपाय बता रहे हैं . जैसा कि बार – बार हाथ धोना , सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना , एक दूसरे से दूरी बनाकर रखना.
सवाल इस बातका है कि अब तक इसका ऐंटिडोट तैयार क्यों नहीं हो पाया है . इस पर गंभीरता सेपूरे विश्व को काम करने की ज़रूरत है. ऐसा नहीं है कि हम लोग इस पर विजयनहीं पा सकते. इसके पहले भी समय – समय पर विश्व में महामारी आयी है , जिससे निबटा गया है . जैसे कि स्मॉलपॉक्स से विश्व 1979 में मुक्त हुआ. पोलियोवायरस के ख़िलाफ़ 1995 में टीकाकरण अभियान प्रारंभ हुआ और 2011 तक विश्वपोलियो मुक्त हो गया. एड्स में भी सफलता मिल चुकी है . बीमारी तो देर सब्र क़ाबू में आयेगी ,
पर इससे विश्व में जो आर्थिक तबाही हो रही है , उसकी क्षतिपूर्ति नहीं होपायेगी .
पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इसका इलाज खोजने में लगे हैं . भारत की पहल पर सार्क देश मिलजुल कर इसबीमारी से लड़ रहे हैं जो सराहनीय है .
बीमारी तो देर सब्र क़ाबू में आयेगी , पर इससे विश्व में जो आर्थिक तबाही हो रही है , उसकी क्षतिपूर्ति नहीं होपायेगी .कोविड 19 की रोकथाम के बाद अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा इस मामले की गहराईसे जाँच होनी चाहिए. देखा जाना चाहिए कि अगर चीन के शासकों की देख– रेख मेंइस नये कोरोना वायरस पर हथियार बनाने का काम किया गया है, तो चीन परउचित आर्थिक एवं दंडात्मक कार्यवाही होनी चाहिए ताकि कोई भी देश मानव जातिको ख़त्म करने का घृणित प्रयास न करे.