मदुरै में vandiyur झील-तालाब पहुंची विरासत स्वराज यात्रा
वर्तमान में तमिलनाडु की जल, जंगल, जमीन, नदियों की विरासतों पर सबसे अधिक संकट है। यहाँ की नदियां भूमि में अतिक्रमण, प्रदूषण, शोषण की शिकार हैं।
माँ केवल मैला धो सकती है, ढ़ो नहीं सकती। आजकल यहाँ की नदियों को मैला ढ़ोने का काम देते हैं, तब माँ और बच्चे दोनों बीमार हो जाते हैं। आज हमारा समाज और नदियाँ दोनों बीमार है। यदि हमें दोनों को स्वस्थ करना है तो, प्रकृति के शोषण करने वाली इंजीनियरिंग और तकनीक की जगह प्रकृति का पोषण करने वाली शिक्षा पढ़ाई जानी चाहिए।
मीडिया स्वराज डेस्क
विरासत स्वराज यात्रा, सर्वप्रथम सुबह-सुबह मदुरै में vandiyur झील-तालाब को देखने पहुंची। कभी यह तालाब 600 एकड़ में फैला हुआ होता था। यह तमिलनाडु की पुरातन विरासतों में से एक है। पूर्व में यह पानी से पूरा भरा हुआ होता था मगर आज इसमें न के बराबर पानी है अगर है तो सिर्फ गंदगी।
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वर्तमान में इस तालाब के कैचमेंट एरिया में ही होटल, पार्क, खेल मैदान, सब्जी मंडी, कई विभागों के भवन है और बाकी बची भूमि पर पर्यटन स्थल बना दिया है। यहां का सारा कचरा तालाब में फेंका जाता है। बहुत भयानक लापरवाही, आधुनिक विकास ने इस तालाब को कूड़ा घर बना दिया है। यह अतिक्रमण, शोषण का शिकार हो गया। इस तालाब की भूमि में बने पार्क में प्रतिदिन 4 से 5 हजार लोग खेलने और व्यायाम करने आते है और साथ ही कचरा फेंक जाते हैं।
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वहीं कुछ 1300 जागरूक लोगों ने एक क्लब बनाया हुआ है, उनके द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि यदि आप अपनी विरासतें नहीं बचाएंगे, तो आपका भविष्य अंधकार में चला जायेगा। आपको इस आधुनिक विकास को रोक कर, फिर से इस तालाब को पुनर्जीवित करने के काम में लगना होगा। इस तालाब का स्वास्थ्य आप के स्वास्थ्य से जुड़ा है।
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इसके बाद यात्रा Sri Meenakshi Government Arts College for Woman में पहुँची। यहाँ जल प्रबंधन विषय पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। यहाँ जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने मुख्य वक्ता के रूप में सरकारी अधिकारियों और छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि, वर्तमान में तमिलनाडु की जल, जंगल, जमीन, नदियों की विरासतों पर सबसे अधिक संकट है। यहाँ की नदियां भूमि में अतिक्रमण, प्रदूषण, शोषण की शिकार हैं।
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हमारी विरासत नदियों, जंगल आदि पर कब्जे बढ़ रहे है। हम सिर्फ नदियों से लेना ही जानते है। मगर अब दृष्टिकोण बदलना होगा, अब हमें नदियों को देना और लेना दोनों सीखना होगा। अगर हम लेते ही रहे तो नदियाँ मर जाऐंगी, तब समाज नहीं बचेगा। अब समाज को लेना और देना, दोनों तकनीक सीखनी होगी।
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इसके बाद यात्रा Arul Anandar College Karumathur, Madurai यहां अधिकारियों, बच्चों को संबोधित करते हुए जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि, नदियाँ हमारी माँ हैं, जब इंसान बच्चा होता है, तब माँ बच्चे का मैला धोती है, मगर बच्चा जब बड़ा हो जाता है, तब माँ मैला धोने का काम नहीं करती, माँ केवल मैला धो सकती है, ढ़ो नहीं सकती।
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आजकल यहाँ की नदियों को मैला ढ़ोने का काम देते हैं, तब माँ और बच्चे दोनों बीमार हो जाते हैं। आज हमारा समाज और नदियाँ दोनों बीमार है। यदि हमें दोनों को स्वस्थ करना है तो, प्रकृति के शोषण करने वाली इंजीनियरिंग और तकनीक की जगह प्रकृति का पोषण करने वाली शिक्षा पढ़ाई जानी चाहिए।
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राज्य में सामुदायिक विकेन्द्रित जल प्रबंधन और जल साक्षरता कार्यक्रमों को करने की आवश्यकता है। आज यात्रा मदुरई में ही रुकेगी। यात्रा दल में संजय राणा, टी. गुरु स्वामी, एस. देवीवाला, दुराई विजयापंदडियन, प्राचार्य डॉ एस. वनाथी आदि मौजूद रहे।
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