यूनेस्को विश्व धरोहर धोलावीरा की अहमियत

🔊 सुनें   यूनेस्को विश्व धरोहर धोलावीरा सिंधु सभ्यता का प्रमुख शहर है. धोलावीरा के विशाल और विस्मयकारी खंडहर के प्रत्यक्षदर्शी वरिष्ठ पत्रकार शम्भूनाथ शुक्ल के संस्मरण. शंभूनाथ शुक्ल यूनेस्को विश्व धरोहर धोलवीरा सिन्धु सभ्यता के पाँच प्रमुख शहरों में से हैं. इनमे  मोहनजोदरो, हरप्पा एवं गनवेरीवाला सभी पकिस्तान में, एवं धोलावीरा तथा राखीगढ़ी भारत में।लोथल, कालीबंगा बनावली आदि कुछ अन्य पुरास्थल है।  धोलावीरा की खोज बाद में हुई, इसलिए उसका अस्तित्त्व बाद में पता चला। लेकिन धोलावीरा की खुदाई में जो कुछ मिला है, वह अनमोल है। जल्द ही पुरातत्त्व-विद इस सभ्यता की लिपि पढ़ लेंगे, तब बहुत कुछ नया जानने को मिलसकेगा।  यूनेस्को विश्व धरोहर धोलावीरा  भी मोअनजदडो और हरप्पा संस्कृति की समकालीन है, लेकिन चूंकि मोअनजदडो और हरप्पा की खुदाई अंग्रेजों के समय हुई थी, इसलिए वह अधूरी रही। जहां मोअनजदडो और हरप्पा में हमें शहर की बसावट डो स्तर पर मिलती है। सबसे ऊपर राज-पुरुषों (मुखिया) की बस्ती और उसके नीचे आम जनता की बस्ती।  हालाँकि यूनेस्को ने इसकी जानकारी मिलने और खुदाई शुरू होने के बाद ही धोलावीरा को अस्थायी स्मारक मान लिया था। पर 2014 में भारतीय पुरातात्त्विक सर्वे (एएसआई) के महा निदेशक राकेश तिवारी ने इसे विश्व धरोहर बनाने की कोशिशें भी शुरू कर दी थीं।  जनवरी 2020 में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने इस अभियान को और गति दी।यूनेस्को विश्व धरोहर  धोलावीरा दक्षिण एशिया की बहुत पुरानी नगरीय सभ्यता थी, ईसा से कोई 2500 और 3000 हज़ार वर्ष पूर्व की। हड़प्पा, मोअनजोदड़ो, राखीगढ़ी और गनवेरी वाला(आकार के क्रम में) की तरह यहाँ भी खुदाई से उसी पुरानी सिंधु सभ्यता केअवशेष मिले हैं। यह साइट कच्छ के रन में खदिर द्वीप में है। इसके उत्तर की तरफ़ मनसर और दक्षिण में मनहर नाम के दो मौसमी नाले हैं। … Continue reading यूनेस्को विश्व धरोहर धोलावीरा की अहमियत