विनोबा विचार प्रवाह : चित्त पर जानकारियों का आक्रमण

विनोबा विचार प्रवाह – विनोबा सेवा आश्रम, शाहजहाँपुर.आज चित्त पर जानकारियों का आक्रमण हो रहा है। प्रत्येक समस्या को वोट की निगाह से देखा जा रहा है, और उसका हल भी वोट में खोज रहे हैं। मानवीय आधार कहीं पीछे छूट गया है। आज वैज्ञानिक साधनों का उपयोग मानवीय दृष्टि से करने की जरूरत है। विज्ञान युग में विनोबाजी का जयजगत का मंत्र भारत का राम नाम बन गया है। 


यह बात पद्मश्री धर्मपाल सैनी (बस्तर) ने विनोबाजी की 126वीं जयंती पर विनोबा विचार प्रवाह द्वारा आयोजित संगीति में कही। विषय था वर्तमान परिस्थिति और विनोबा विचार।

श्री सैनी ने कहा कि भूदान आंदोलन में शामिल होने वाले नवयुवकों के पास आध्यात्मिक दृष्टि थी। उनके पास रचनात्मक कार्य से समाज परिवर्तन का स्वप्न था। उसे विनोबाजी ने पूरा किया।

श्री सैनी ने कहा कि व्यक्तिगत कार्य में सामाजिक दृष्टि का समावेश होने से शांति और समाधान दोनों हासिल होते हैं। उन्होंने शिक्षा में योग, उद्योग और सहयोग को दाखिल करने की बात कही। विनोबाजी ने जीवनभर दिलों को जोड़ने का काम किया।

श्री सैनी ने लोकतंत्र की सीमा को रेखांकित करते हुए कहा कि जब बहुमत अपने को सर्वसम्मत समझने लगता है तब परेशानी शुरू हो जाती है। इससे मुक्ति का रास्ता विनोबाजी ने स्वराज्य शास्त्र में बताया है। 


परिचर्चा की दूसरी वक्ता सुश्री उर्मिला बहन ने कहा कि विनोबा विचार लोगों को आकर्षित करता है। व्यक्तिगत और समाज जीवन में संघर्ष के स्थान पर सहयोग की भावना का विस्तार करने में विनोबा विचार समर्थ है। उन्होंने अत्यंत सरल शब्दों में जीवन मूल्यों की व्याख्या की है, जिसे कोई भी अपना सकता है।


हिमाचल प्रदेश के श्री अव्यक्त भाई ने कहा कि आज अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, असंग्रह के एकादश व्रत को अपनाने की जरूरत है। आज निंदा के कारण समाज में वैर भाव बढ़ रहा है, उसे अनिंदा व्रत अपनाकर दूर किया जा सकता है।

इसके साथ अविरोधी देश सेवा का व्रत भी लेने की आवश्यकता है। व्रत निष्ठा के बिना समाज सेवा असंभव हो जाती है। 
संगीति में वरिष्ठ सर्वोदय सेवक श्री हरिभाऊ के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी। 
प्रारंभ में संगीति के संयोजक श्री रमेश भैया ने सभी वक्ताओं का परिचय दिया। संचालन डॉ.पुष्पेंद्र दुबे ने किया। आभार श्री संजय राय ने माना। 


डॉ.पुष्पेंद्र दुबे , इंदौर

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