यूपी में चीफ़ सेक्रेटरी बदलने का राजनीतिक कनेक्शन क्या है!
भारतीय जनता पार्टी में आत्मविश्वास की कमी का लक्षण
राम दत्त त्रिपाठी
यूपी में चीफ़ सेक्रेटेरी बदलने के पीछे मुख्य कारण राजनीति माना जा रहा है। लोग कह रहे हैं उत्तर प्रदेश में ऐन चुनाव से पहले प्रशासन के मुखिया को बदलना सीधे – सीधे सीधे – सीधे विधान सभा चुनाव से जुड़ा है । या खुलकर कहें तो तो इसे भारतीय जनता पार्टी में आत्मविश्वास की कमी का लक्षण माना जा रहा है।इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि रिटायर होने वाले अधिकारी का कार्यकाल अचानक साल भर के लिए बढ़ाकर चुनाव कराने का ज़िम्मा दिया जाए।
लेकिन लगता नहीं कि चुनाव आयोग इस पर कोई टीका टिप्पणी कर सकेगा।
राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि चंद रोज़ पहले दिल्ली में भाजपा नेताओं की बैठक में ब्राह्मण समुदाय की नाराज़गी पर जो चिंता प्रकट की गयी थी और इस समुदाय को साधने के लिए कोशिश शुरू की गयी, दुर्गाशंकर मिश्र को रिटायरमेंट के बाद भी चीफ़ सेक्रेटरी बनाना उसी का हिस्सा है।
मज़ेदार बात यह है कि वर्तमान चीफ़ सेक्रेटेरी राजेंद्र कुमार तिवारी भी ब्राह्मण समुदाय से हैं, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विश्वासपात्र होने के कारण वह बहुत प्रभावशाली नहीं थे और सरकारी मशीनरी अथवा राजनीति में स्वजातीय लोगों को संरक्षण या मदद देने में कामयाब नहीं हो सके। लगातार उनको बदलने की भी चर्चा चलती रहती थी।
तीन महीने पहले श्री तिवारी का चयन भारत सरकार में सचिव पद के पैनल में हो गया था, उस समय भी चर्चा चली थी कि वह दिल्ली चले आएँगे और दुर्गा शंकर मिश्र उत्तर प्रदेश वापस आकर चीफ़ सेक्रेटेरी बन जाएँगे। पर किसी कारण से वह नहीं हुआ।
समझा जाता है कि इस महीने जब प्रधानमंत्री नरेंद्र क़रीब दस बार उत्तर प्रदेश के दौरे पर आए और तमाम सरकारी मशीनरी के मेहनत तथा बसें लगाने के बावजूद भीड़ नहीं आयी, तब उन्हें उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की ज़मीन खिसकने का एहसास हुआ। कहा जाता है कि पार्टी के आंतरिक सर्वे में भी चिंताजनक तस्वीर सामने आ रही है।
समझा जाता है कि प्रधानमंत्री मंगलवार कानपुर में मेट्रो रेल का उद्घाटन करने के बाद सड़क मार्ग से लखनऊ होते हुए वापस गए, उसके बाद ही अचानक उत्तर प्रदेश से दुर्गा शंकर मिश्र को चीफ़ सेक्रेटेरी बनाने का प्रस्ताव मंगाकर उनका कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाकर उत्तर प्रदेश वापस भेजने का आनन – फ़ानन विद्युत गति से निर्णय किया गया।
माना जाता है कि दुर्गा शंकर मिश्र की स्वजातीय ब्राह्मण समुदाय पर अच्छी पकड़ है। उनके इमेज एक तेज और मेहनती अफ़सर की है। केंद्रीय आवास एवं नगर विकास विभाग के सचिव रहते हुए वह प्रधानमंत्री के काफ़ी क़रीब आए, उनकी प्रिय परियोजनाओं को अंजाम दिया। इसलिए वह उनके विश्वासपात्र बन गए।
एक समय उन्हें केंद्र सरकार में कैबिनेट सचिव बनाने की चर्चा थी, लेकिन वह नहीं हो सका।अब उनसे यूपी में बीजेपी की नैया पार लगाने की उम्मीद की जा रही है।
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