UP चुनाव में ‘लखनऊ कैंट’ बनी VIP सीट, टिकट के लिए दिख रही खींचतान

लखनऊ कैंट से कितने ही दिग्गज और महारथी अपने बच्चों या खुद के लिये टिकट की चाहत लिये बैठे हैं

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे जैसे पास आ रही है, वैसे वैसे सीटों को लेकर छीनाझपटी की कोशिश भी लगातार तेज होती दिख रही है। भारतीय जनता पार्टी के लिये लखनऊ कैंट सीट अब ‘VIP सीट’ बन चुकी है, जहां से कितने ही दिग्गज और महारथी अपने बच्चों या खुद के लिये टिकट की चाहत लिये बैठे हैं।

इस ब्राह्मण बहुल इलाके की सीट पर उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा खुद के लिये तो रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे के लिये यह VIP सीट चाहती हैं, जबकि फिलहाल यहां से विधायक हैं, भाजपा के सुरेश चंद्र तिवारी। तिवारी ने तो इसी सीट से दोबारा लड़ने को लेकर जनता से संपर्क करने जैसी सारी तैयारियां भी पूरी रखी हुई हैं, लेकिन बुधवार 19 जनवरी 2022 को समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी ज्वॉइन करने वाली मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव की नजर भी लखनऊ कैंट की इस सीट पर है।

मयंक जोशी को इस बार लखनऊ कैंट से पार्टी दे मौका

इलाहाबाद की सांसद रीता बहुगुणा जोशी चाहती हैं कि उनके बेटे मयंक जोशी को इस बार लखनऊ कैंट से पार्टी मौका दे। लेकिन जब पार्टी के आला अधिकारियों ने बताया कि पार्टी एक परिवार से एक ही को टिकट दे रही है तो उन्होंने बेटे मयंक जोशी का राजनीतिक करियर बनाने के लिये पार्टी के नियमों के तहत अपने इस्तीफे की पेशकश तक कर दी।

बता दें कि कांग्रेस पार्टी की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने 2019 में यह सीट खाली कर दी थी, जब वे इलाहाबाद से सांसद बनी थीं। भाजपा ने इसके बाद लखनऊ छावनी सीट से सुरेश चंद्र तिवारी को मैदान में उतारा था, जो कि उपचुनाव में विजयी हुए थे।

बेटे के लिए अपना करियर खत्म करने को तैयार हैं जोशी

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवंती नंदन बहुगुणा की सुपुत्री रीता बहुगुणा जोशी पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं कि वह बेटे को राजनीति में आने देने के लिए अपना राजनीतिक करियर खत्म करने को तैयार हैं। उन्होंने पिछले दिनों कहा था कि अगर मयंक जोशी को लखनऊ छावनी से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में उतारा जाता है तो, “वह सांसद पद से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं।”

रीता बहुगुणा जोशी के समर्थकों ने तो पार्टी नेतृत्व के सामने यह सवाल उठाना शुरू भी कर दिया है कि अगर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को उनके बेटे पंकज सिंह के लिए टिकट मिल सकता है और सांसद राजवीर सिंह अपने बेटे संदीप सिंह के लिए ऐसा कर सकते हैं, तो फिर मयंक जोशी को रीता बहुगुणा जोशी के त्यागपत्र देने के बावजूद यह सीट क्यों नहीं दी जा सकती?

शर्मा कैंट की इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं

भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों की मानें तो ब्राह्मण बहुल इलाका होने के कारण उपमुख्यमंत्री और लखनऊ के पूर्व मेयर दिनेश शर्मा भी इसी सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। शर्मा कैंट की इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं क्योंकि यहां 1.5 लाख ब्राह्मण मतदाता, 60 हजार सिंधी और पंजाबी मतदाता हैं, जो लंबे समय से भाजपा का समर्थन करते रहे हैं।लखनऊ कैंट की इस  सीट पर 25 हजार वैश्य और 40 हजार मुस्लिम मतदाता भी हैं। ऐसे में दिनेश शर्मा इसे पार्टी के लिए एक सुरक्षित सीट मानते हैं।

वहीं, बुधवार को सपा छोड़ भाजपा में शामिल हुईं अपर्णा यादव की नजर भी इसी सीट पर है, जबकि 2017 में वे समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार के रूप में इस सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं, और तब कांग्रेस में रहीं रीता बहुगुणा जोशी के हाथों हार का सामना भी कर चुकी हैं।

लखनऊ कैंट की सीट के लिये खींचतान यहीं खत्म नहीं होती दिखती। चर्चा है कि लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया भी अपनी बहू को लखनऊ कैंट का उम्मीदवार बनते देखना चाहती हैं। उनके बेटे प्रशांत भाटिया के बारे में कहा जा रहा है कि इसके लिये वे संघ परिवार के वरिष्ठ पदाधिकारियों के संपर्क में हैं।

मौजूदा विधायक सुरेश तिवारी से फिर से उम्मीदवार

इन सभी उम्मीदवारों के बीच कुछ भाजपा नेताओं का विचार है कि मौजूदा विधायक सुरेश तिवारी को कैंट सीट से फिर से उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए। 2019 से पहले, उन्होंने भाजपा के टिकट पर 1996, 2002 और 2007 में भी ये सीट जीती थी। नामांकन की उम्मीद में तिवारी ने पहले ही मतदाताओं से मुलाकात कर जमीन पर अपना अभियान भी शुरू कर दिया हैै।

राजनीतिक टिप्पणीकारों की मानें तो लखनऊ कैंट सीट उत्तर प्रदेश की सबसे प्रतिष्ठित विधानसभा सीट बनने वाली है, जिसे भाजपा की सुरक्षित सीट भी माना जाता है, यही वजह है कि कई नेता वहां से अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं।

कैंट की सीट डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा को मिल सकती है

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कैंट की सीट डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा को मिल सकती है क्योंकि पार्टी में रीता बहुगुणा जोशी की स्थिति बहुत मजबूत नहीं है। जबकि शर्मा ने गुजरात में भी पार्टी के लिए काम किया है, जो उनके पक्ष में जा सकता है। ऐसे में अपर्णा यादव की राजनीतिक महत्वकांक्षा शायद ही इस बार भी पूरी होती दिखती है।

​​​​लखनऊ कैंट सीट पर युवा अभिजात को मौका

वहीं, चर्चा इस बात की भी है कि लखनऊ की सबसे हॉट विधानसभा सीट बन चुकी कैंट से पार्टी सारे विवादों को विराम देकर युवा नेता अभिजात मिश्रा को मौका दे सकती है। वह भाजपा युवा मोर्चा के महामंत्री रहे हैं। साथ ही ब्राह्मण युवा चेहरा हैं। चर्चा अभिजात मिश्रा को बीकेटी से खड़ा करने की भी थी। लिस्ट सामने आने के बाद पूरी तस्वीर स्पष्ट हो सकेगी।

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आइये, एक नजर डालते हैं लखनऊ कैंट सीट के इतिहास पर…

2017 विधानसभा चुनाव के आंकड़े

2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुईं रीता बहुगुणा जोशी जीतने में सफल रहीं थीं। उन्हें 95402 वोट मिले। दूसरे नंबर पर सपा प्रत्य़ाशी और मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव रहीं, उन्हें 61606 वोट मिले। 26 हजार वोट पाकर बसपा प्रत्याशी योगेश दीक्षित तीसरे नंबर पर रहे थे। वहीं 2019 के उपचुनाव में भाजपा के सुरेश चंद्र तिवारी ने सपा के मेजर आशीष चतुर्वेदी को 35438 वोट से हरा दिया।

सीट का इतिहास

लखनऊ कैंट विधानसभा सीट (Lucknow Cantt Assembly Seat) पर सबसे ज्यादा 7 बार कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की है। 1957 में श्याम मनोहर मिस्र, 1962 में बालक राम वैश्य, 1974 में चरण सिंह, 1980, 1985, 1989 में प्रेमवती तिवारी और 2012 में कांग्रेस से रीता बहुगुणा ने जीत दर्ज की थी। वहीं, भारतीय जनता पार्टी भी इस क्षेत्र से 7 बार चुनाव जीतने में सफल रही है। इसमें 1991 और 93 में सतीश भाटिया, 1996, 2002 और 2007 में सुरेश चंद्र तिवारी, फिर 2017 में रीता बहुगुणा जोशी और 2019 के उपचुनाव में सुरेश चंद्र तिवारी ने भाजपा को विजय दिलाई। वहीं 1977 में जनता पार्टी के कृष्णकांत मिस्र, 1969 में भारतीय क्रांति दल के सच्चिदानंद और 1967 में बीपी अवस्थी निर्दलीय चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। लेकिन कैंट विधानसभा सीट (Lucknow Cantt Assembly Seat) पर सपा-बसपा का कभी खाता नहीं खुल सका।

ब्राह्मण प्रत्याशियों का रहा दबदबा

कैंट विधानसभा सीट (Lucknow Cantt Assembly Seat) पर अब तक 17 बार चुनाव हुए हैं। इसमें ज्यादातर ब्राह्मण प्रत्याशियों का ही दबदबा रहा है। इस सीट पर सबसे ज्यादा 12 बार ब्राह्मण प्रत्याशियों ने ही बाजी मारी है। यहां सबसे ज्यादा तीन-तीन बार 1989, 85, 89 में कांग्रेस की प्रेमवती तिवारी और 1996, 2002, 2007, 2019 में बीजेपी के सुरेश चंद्र तिवारी चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। दो बार रीता बहुगुणा जोशी भी इस सीट (Lucknow Cantt Assembly Seat) से चुनाव जीती हैं। 2012 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुनी गई, वहीं 2017 में वह बीजेपी के टिकट पर विधानसभा पहुंचीं थीं।

2017 विधानसभा चुनाव का परिणाम

स्थान प्रत्याशी पार्टी वोट वोट (%)

1 रीता बहुगुणा जोशी भाजपा 95402 50.9

2 अपर्णा यादव सपा 61606 32.87

3 योगेश दीक्षित बसपा 26036 13.90

जीत का अंतर– 33796

2012 विधानसभा चुनाव का परिणाम

स्थान प्रत्याशी पार्टी वोट वोट (%)

1 रीता बहुगुणा जोशी सपा 63052 38.95

2 सुरेश चंद्र तिवारी भाजपा 41299 25.52

3 नवीन चंद्र बसपा 28851 17.83

4 सुरेश चौहान सपा 22544 13.93

जीत का अंतर- 21753

अब तक जीते विधायक

वर्ष 1957 श्याम मनोहर मिश्रा – कांग्रेस

वर्ष 1962 बालक राम वैश्य – कांग्रेस

वर्ष 1967 बीपी अवस्थी – निर्दल

वर्ष 1969 सच्चिदानंद – भारतीय क्रांति दल

वर्ष 1974 चरण सिंह – कांग्रेस

वर्ष 1977 कृष्णकांत मिश्रा – जनता पार्टी

वर्ष 1980 प्रेमवती तिवारी- कांग्रेस

वर्ष 1985 प्रेमवती तिवारी – कांग्रेस

वर्ष 1989 प्रेमवती तिवारी- कांग्रेस

वर्ष 1991 सतीश भाटिया – बीजेपी

वर्ष 1993 सतीश भाटिया – बीजेपी

वर्ष 1996 सुरेश चंद्र तिवारी – बीजेपी

वर्ष 2002 सुरेश चंद्र तिवारी – बीजेपी

वर्ष 2007 सुरेश चंद्र तिवारी – बीजेपी

वर्ष 2012 रीता बहुगुणा जोशी – कांग्रेस

वर्ष 2017 रीता बहुगुणा जोशी – भाजपा

वर्ष 2019 सुरेश चंद्र तिवारी – भाजपा

भाजपा नेताओं का कहना है कि इस बात में कतई भी संदेह नहीं किया जा सकता कि पार्टी उम्मीदवारों की जीत का आकलन करने के बाद ही टिकट बांटने को लेकर कोई भी फैसला करेगी।

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