UP Election 2022: भाजपा ने जारी किया उम्मीदवारों के नाम, योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से लड़ेंगे चुनाव

UP Election 2022: योगी की पहली और आखिरी पसंद गोरखपुर सीट-योगी आदित्यनाथ की पहली और आखिरी पंसद गोरखपुर शहर की विधानसभा सीट ही थी।

UP Election 2022: उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) के लिए भाजपा ने पहले दो चरणों के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया है। पार्टी ने तमाम कयासों को दरकिनार कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (cm yogi adityanath) को गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। वहीं डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य इलाहाबाद की सिराथु सीट से चुनाव लड़ेंगे।

भाजपा (BJP) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ को गोरखुपर शहर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा रहा है। जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने की अटकलें तेज थी। अयोध्या में राममंदिर का निर्माण शुरु होने के बाद योगी आदित्यनाथ के लगातार अयोध्या जाने के बाद से ही यह अटकलें लगना शुरु हो गई है थी लेकिन अब सभी अटकलों को विराम देते हुए योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से चुनाव लड़ने जा रहे है।

अयोध्या से चुनाव लड़ने की खबरें मात्र शिगूफा- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर शहर से चुनाव लड़ने पर ‘वेबदुनिया’ से बातचतीत में गोरखपुर से आने वाले सूबे के वरिष्ठ पत्रकार मनोज कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने की खबरें केवल शिगूफा मात्र थी और उसमें कोई गंभीरत नहीं थी। योगी आदित्यनाथ गोरखपुर छोड़ कर जाना कभी पंसद नहीं करेंगे और वहीं हुआ है।

गोरखपुर शहर सुरक्षित सीट-गोरखपुर शहर की सीट भाजपा के लिए बहुत ही सुरक्षित सीट है। भाजपा गोरखपुर शहर सीट से 1989 के बाद से लगातार जीतती आ रही है। पहले शिवप्रताप शुक्ला भाजपा के टिकट पर विधायक बनें और उसके बाद डॉक्टर राधामोहन दास अग्रवाल भाजपा के विधायक के तौर पर जीतते रहे। परिसीमन के बाद गोरखपुर शहर विधानसभा सीट भाजपा के लिए और सुरक्षित सीट हो गई है और भाजपा यहां से बड़े अंतर से जीतती आई है। जबकि अगर गोरखपुर जिले की अन्य सीटों जैसे गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवां, कैंपियनगंज या पिपराइच विधानसभा सीट हो भाजपा को टफ फाइट का सामना करना पड़ता है। इसलिए गोरखपुर शहर विधानसभा सीट भाजपा और योगी आदित्यनाथ के लिए अनुकूल सीट है।   

योगी की पहली और आखिरी पसंद गोरखपुर सीट-योगी आदित्यनाथ की पहली और आखिरी पंसद गोरखपुर शहर की विधानसभा सीट ही थी। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी तमाम व्यस्ताओं के बावजूद योगी आदित्यानाथ जिस तरह से गोरखपुर से कनेक्टिविटी बनाए हुए थे। हर महीने वह 2 से 3 बार आते भी थे। इसके साथ-साथ गोरखपुर शहर को ध्यान में रखते हुए उन्होंने विकास के काम भी किए थे।

पूर्वांचल को साधने की कवायद- योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर से चुनाव लड़ने से पूर्वांचल को साधने की कवायद के सवाल पर मनोज कहते हैं कि योगी आदित्नाथ ने बतौर सांसद अपना प्रभाव गोरखपुर के आसपास के जिलों महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर वहां भी बढ़ाया। पूर्वांचल की 41 सीटों पर बहुत अधिक प्रभावशाली होंगे उतना नहीं होगा लेकिन एक दर्जन सीटों पर जरूर असर डाल सकेंगे।

अयोध्या से चुनाव लड़ाने के पक्ष में BJP नहीं- योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने के पक्ष में भाजपा भी नहीं थी। इसके लिए जातीय समीकरण और पार्टी के अंदरखाने की राजनीति भी जिम्मेदार थी। वहीं जो मैसेज गोरखपुर शहर से चुनाव लड़ने पर जनता की बीच जाएगा वहीं मैसेज अयोध्या से लड़ने पर जाता। वहीं अयोध्या एक नई सीट होती और वहां का जातीय समीकरण और संतुलन भाजपा के पक्ष में उतना नहीं दिख रहा था। इसलिए मुख्यमंत्री ने अपने ही घऱ से चुनाव लड़ना उचित समझा।

वहीं उत्तरप्रदेश की सियासत को और करीब से देखने वाले बीबीसी से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने के पीछे भाजपा के अंदरखाने की राजनीति को मानते है। वह कहते हैं कि अगर योगी आदित्यनाथ अयोध्या से चुनाव लड़ते तो वहं हिंदुत्व के ब्रांड एंबेसडर के तौर पर देश-दुनिया में स्थापित हो जाते जबकि राममंदिर निर्माण का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।

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