यूपी चुनाव के बीच अपनी अलग पहचान बना रही हैं नेहा सिंह राठौर

"यूपी में का बा" के बाद बीजेपी ने एक छोटा सा वीडियो जारी किया जिसमें एक महिला थाली बजाकर गाते हुये बता रही थी कि "यूपी में ई बा". मुझे अच्छा लगा. लगा जैसे मेरे गाने के जवाब में ये गाना बीजेपी ने लॉन्च किया.

नेहा सिंह राठौर, एक ऐसा नाम है, जो यूपी चुनावों के बीच अपना अलग नाम, अपनी अलग पहचान बना रही हैं. उत्तर प्रदेश के नेता और मंत्री जितना इन दिनों चर्चा में हैं, उससे कुछ कम चर्चा में नहीं है नेहा सिंह राठौर का नाम इन दिनों. आये दिन उनके गीत या फिर उनकी बातचीत सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बन जाता है. ऐसे में हम भी यूपी चुनाव से कुछ हटकर आज बात कर रहे हैं नेहा सिंह राठौर की.

सुषमाश्री

बिहार की लोकगायिका नेहा सिंह राठौर को जितनी चर्चा और नाम ‘बिहार में का बा’ गीत गाकर मिली, उससे कहीं ज्यादा “यूपी में का बा” गाकर मिल रही है. और जैसा कि हम अक्सर देखते हैं, नाम के साथ साथ बदनामी भी उनके काम के साथ चलता दिखता है. जितने लोग उनके काम की सराहना करते हैं, उससे ज्यादा नहीं तो उससे कम भी नहीं, लोग उन्हें बदनाम करने पर तुले रहते हैं. या कहें कि जिस तरह से सोशल मीडिया पर उन्हें गालियां दी जा रही हैं या उन्हें समाजवादी पार्टी का नुमाइंदा बताया जा रहा है, उनका नाम गलत ढंग से अलग अलग लोगों के साथ जोड़ा जा रहा है, वह वाकई दुखद है. आइए, हम जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर नेहा सिंह राठौर हैं कौन.

राठौर नाम कैसे पड़ा

नेहा बताती हैं, मूलत: वे बिहार की राजपूत जाति से हैं, इसलिये उनका नाम नेहा सिंह है, लेकिन जब सोशल मीडिया पर नेहा सिंह से वे गाने गा रही थीं, तो एक दिन उनकी एक दोस्त ने उन्हें यह सुझाव दिया कि एक ऐसा नाम रखो जिससे तुम्हें लोग अलग से पहचान पायें, जिससे तुम्हें आसानी से सोशल मीडिया पर ढूंढा जा सके. ये बात नेहा को जंच गयी और फिर काफी सोच विचारकर उन्होंने अपने नाम नेहा सिंह के आगे राठौर शब्द जोड़ा. नेहा खुश हैं कि इस तरकीब ने काम किया और वाकई में लोगों के बीच उन्हें एक अलग पहचान बनाने में कामयाबी मिली.

ब्रांड धरोहर की कहानी

जो लोग नेहा सिंह राठौर को जानते हैं, वे ये भी जरूर जानते होंगे कि उनके वीडियोज धरोहर ब्रांड के नाम से आते हैं. नेहा बताती हैं कि जब सोशल मीडिया पर उनके गाने लोग पसंद करने लगे तो उन्होंने अपना ब्रांड धरोहर नाम से बना लिया. हालांकि इससे उन्हें ढूंढने में लोगों को परेशानी होने लगी क्योंकि लोग उन्हें उनके नाम से ढूंढते थे न कि धरोहर नाम से. तब उन्होंने धरोहर के बजाय अपने नाम नेहा सिंह राठौर को ही अपना ब्रांड नेम बना लिया हालांकि धरोहर को भी उन्होंने अपने वीडियोज से हटाया नहीं.

भोजपुरी भाषा को लेकर

नेहा बिहार की हैं और बहुत जल्दी उनकी शादी उत्तर प्रदेश में होने वाली है. इसलिये वे खुद को बिहार की बेटी और यूपी की होने वाली बहू के रूप में देखती हैं. वे कहती हैं कि भोजपुरी उनकी अपनी भाषा है और वे चाहती हैं कि भोजपुरी को जिस तरह से बदनाम कर दिया गया है, वे उसकी उस पहचान को बदल सकें. आज भोजपुरी भाषा का जिक्र करते ही लोगों के जेहन में जो छवि उभरती है, वो वल्गर और फूहड़ गानों को लेकर ही होती है, नेहा अपने साफ सुथरे गानों के बल पर लोगों के जेहन से भोजपुरी भाषा को लेकर बन चुकी छवि को दूर करना चाहती हैं. वे कहती हैं कि ये आसान नहीं है लेकिन उनकी पूरी कोशिश है कि वे अपने इस मिशन में कामयाब हो सकें और वे लगातार इसके लिये प्रयासरत भी हैं.

सोशल मीडिया पर धूम

नेहा कहती हैं, ऐसा नहीं कि उनके पास सोशल मीडिया पर धूम मचाने का कोई खास नुस्खा है, या कोई जादू की छड़ी है, जिसे घुमाकर वे अपने चैनल धरोहर पर वीडियोज अपलोड करती हैं और उनके गाने लोगों के बीच खूब चर्चित हो जाते हैं. किस्मत की बात है कि मेरे कई गानों में से कुछ लोगों को पसंद आ जाती हैं और लोग उसे लेकर बातें करने लगते हैं. बिल्कुल इसी तरह कुछ लोगों को मेरे गाने पसंद नहीं आते तो वे मुझे गंदी गंदी गालियां लिखने से भी गुरेज नहीं करते.

यूपी चुनाव के बीच अपनी अलग पहचान बना रही हैं नेहा सिंह राठौर
नेहा सिंह राठौर

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अपशब्द लिखने वालों पर

अपशब्द लिखने वालों को आप कैसे हैंडल करती हैं, सवाल के जवाब में नेहा कहती हैं, आसान नहीं होता. कई बार तो बहुत ही मुश्किल हो जाता है. यूं तो अब मैं ज्यादातर कमेंट्स पढती ही नहीं, क्योंकि एक तो लोग बड़ी गंदे गंदे कमेंट्स भी देते हैं, दूसरे अब इतने ज्यादा कमेंट्स आते हैं कि सबको पढने के लिये मेरे पास वक्त भी नहीं होता. इस तरह कुछ तो इग्नोर हो जाते हैं पर जब लोग बहुत ज्यादा आलोचना करने लग जाते हैं और कुछ भी कहने लग जाते हैं तब तकलीफ होती है. आखिर मैं भी इंसान हूं. और सच कहूं तो मैं भी बिहार के एक मीडिल क्लास फैमिली से हूं, जहां जब मैं शुरू शुरू में गाने गाकर उन्हें सोशल मीडिया में पोस्ट कर रही थी और एक दो कमेंट्स भी लोग मुझे गंदे कर रहे थे, तो मेरे पापा ने कहा था, तुम ये सब क्या कर रही हो, तुम्हें लोग इतने गंदे कमेंट्स कर रहे हैं, तुम ये सब बंद क्यों नहीं कर देती? तब मैंने पापा से कहा था कि लोगों के कहने के कारण मैं अपना काम नहीं छोड़ना चाहती पापा. मम्मी को भी मेरा ऐसा काम करना पसंद नहीं आ रहा था हालांकि वे सोशल मीडिया से इस कदर जुड़ी हुई नहीं हैं कि बहुत ज्यादा समझ पायें कि वहां क्या हो रहा है. पर जितना भी उन्हें मालूम होता है, उनका कहना यही होता कि मुझे ऐसा काम नहीं करना चाहिए. लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो मुझसे कहते हैं कि मैं बहुत अच्छा काम कर रही हूं और मुझे ऐसे ही काम करते रहना चाहिये. तब मुझे खुशी होती है कि चलो कुछ लोग मेरे साथ भी हैं.

यूपी में का बा को लेकर बवाल

नेहा ने जब “यूपी में का बा” गाना गाया, उसके कुछ रोज पहले अब बीजेपी नेता बन चुके भोजपुरी कलाकार रवि किशन ने एक वीडियो जारी किया था, “यूपी में सब बा”. मैंने वो गाना सुना तो मुझे लगा कि मेरे “बिहार में का बा” गाने की तर्ज पर उन्होंने ये वीडियो लॉन्च किया है, मानो जैसे कि उन्हें मालूम हो गया था कि मैं “यूपी में का बा” भी गाने वाली हूं, जो कि सच भी था. मैं ऐसा कुछ सोच भी रही थी, लेकिन उनके वीडियो ने मुझे “यूपी में का बा” गाने को लेकर मेरी सोच को बल दिया और मैंने वो गाना गाया.

उसके बाद बीजेपी ने एक छोटा सा वीडियो जारी किया जिसमें एक महिला थाली बजाकर गाते हुये बता रही थी कि “यूपी में ई बा”. मुझे अच्छा लगा. लगा जैसे मेरे गाने के जवाब में ये गाना बीजेपी ने लॉन्च किया.

लेकिन फिर ये गाना कुछ ज्यादा ही चर्चा में आ गया और मुझे गंदे कमेंट्स भी आने लगे. लेकिन कुछ लोग मुझे इस गाने का पार्ट टू गाने के लिये भी कह रहे थे. उनकी बात मानकर मैंने “यूपी में का बा” गीत का पार्ट टू लॉन्च किया. लोगों को वो गाना भी खूब भाया, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्हें वो बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा और उन्होंने मुझे बदनाम करना शुरू कर दिया.

सोशल मीडिया पर मुझे बहुत गंदे और भद्दे कमेंट्स सुनने को मिलने लगे, जो कि कभी किसी भी महिला के लिये नहीं कहे जाने चाहिये. इससे मुझे बहुत तकलीफ हुई लेकिन मेरा ​संकल्प और दृढ़ हो गया कि मैं और ऐसे गीत लेकर आऊंगी. फिर मैंने लोगों से वायदा किया कि मैं बिहार और यूपी के उन छात्रों के लिये गाऊंगी, जिन पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और जिनके साथ गलत हुआ. उसके बाद “यूपी में का बा” का पार्ट 3 भी गाऊंगी. अभी मैंने जनता को जगाने के लिये हमारे संविधान के मौलिक अधिकारों पर भोजपुरी में गीत गाया है. उसे भी लोग पसंद कर रहे हैं.

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विपक्षी पार्टी से मिले होने का आरोप

नेहा ने बताया कि जनता का काम है कि वे सरकार से सवाल करे कि उन्होंने हमारे लिये क्या किया है? विपक्ष और मीडिया का काम है कि वे सरकार की आलोचना करें, पर न तो विपक्ष अपना काम ढंग से करता है और न ही मीडिया, ऐसे में मैंने ये काम किया. और मुझे खुशी है कि मैंने विपक्ष को समझाया कि उनका काम क्या है? नेहा कहती हैं, मैं खुद को जनकवि के रूप में देखती हूं इसलिये मुझे लगता है कि मैं जनता की आवाज बनकर सरकार से सवाल करूं, वहीं करती हूं. अब सरकार को मेरे सवाल पसंद नहीं आ रहे तो इसमें मेरी गलती नहीं, उन्हें अपने काम पर फोकस करना चाहिये कि जनता क्यों त्रस्त है या दुखी है.

भोजपुरी लोकगीतों को आगे लाना

नेहा कहती हैं, मैं भोजपुरी के उन लोकगीतों को भी आगे लाना चाहती हूं ​जिसे लोगों ने भुला दिया है. इसके लिये मैं गांव घर की हमारी पुरानी दादी नानी के पास जाकर उनसे पूछती हूं कि उनके जमाने में भोजपुरी में कौन कौन से लोकगीत गाये जाते थे, फिर उन्हें लिखती हूं और फिर गाती हूं ताकि हमारी भोजपुरी संस्कृति कहीं खो न जाये. मैं अपनी संस्कृति को बचाने के प्रयास कर रही हूं. हालांकि मुझे पॉलिटिकल सटायर लिखना भी बहुत पसंद है इसलिये बीच बीच में पॉलिटिकल सॉन्ग्स लिखती हूं और फिर उन्हें गाकर अपने चैनल पर अपलोड करती हूं. पर ये दुखद है कि लोग केवल उसे लेकर ही मेरी टांग खिंचाई करते हैं. वे मेरा काम नहीं देखते. पर इस तरह वे मुझे रोक नहीं सकते. मैं ऐसे ही अपना काम लगातार करती रहुंगी.

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कौन हैं नेहा सिंह राठौर?

नेहा सिंह राठौर एक भोजपुरी गायिका हैं. वह मूलत: बिहार के कैमूर जिले के रामगढ़ की रहने वाली हैं. 25 वर्षीय नेहा ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई कानपुर विश्वविद्यालय से की है. सामाजिक मुद्दों पर वह अपने गीत खुद ही लिखती हैं, खुद ही धुन तैयार करती हैं और गाती भी हैं. व्यंगात्मक और आलोचनात्मक तरीके से वह सामाजिक मुद्दों को उठाती हैं. इस वजह से वह सोशल मीडिया में खूब चर्चा में रहती हैं.

सोशल मीडिया पर प्रभावी

नेहा पिछले चार साल से गाने गा रही हैं. वह भोजपुरी में गीत गाती हैं और देसी व्यंगात्मक अंदाज में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे उठाती हैं. सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों के अलावा वह छठ पर्व और अन्य त्यौहारों पर गीत भी गाया करती हैं. बिहार विधानसभा चुनाव के समय राजनीतिक हालात पर गाए गीत, बिहार में का बा… लोकप्रिय हुआ था. बेरोजगार बानी साहेब, रोजगार मांगीला.. गीत भी काफी पसंद किया गया था.

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फेसबुक, ट्विटर से लेकर यूट्यूब तक उनके गाने खूब शेयर किए जाते हैं और वायरल होते हैं. सोशल मीडिया के इन प्लेफॉर्म्स पर उनकी अच्छी खासी फैन फॉलोइंग है. उनके यूट्यूब चैनल पर 3 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं, जबकि फेसबुक पर उन्हें 3.87 लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं.

उत्तर प्रदेश से क्या है कनेक्शन?

जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा, नेहा कानपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं. इसके अलावा यूपी से उनका गहरा जुड़ाव है. उनकी शादी यूपी के आंबेडकरनगर में तय हुई है. हालांकि सगाई हो चुकी है पर उनकी शादी अभी नहीं हुई है. जून 2021 में ही उनकी शादी होने वाली थी, लेकिन कोरोना की वजह से उनकी होने वाली सास ऊषा सिंह (53 वर्ष) का निधन हो गया. इस कारण शादी को आगे के लिए टालना पड़ा. पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, उनकी सास को तब रेमडेसिविर की जरूरत थी. बहुत आरजू-मिन्नत के बावजूद अंबेडकरनगर मेडिकल कॉलेज में रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं मिला और सास का निधन हो गया.

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