सोनभद्र के मकरा गांव में 36 मौतों के बाद भी जारी है मौत का सिलसिला

आज भी गांव में 185 से ज्यादा लोग मलेरिया पीड़ित हैं, जिनकी जांच हो चुकी है, जिनकी रिपोर्ट मलेरिया, टाइफाइड और खून की कमी आई है। मीडिया में लगातार खबरें आने के बाद आनन-फानन में पिछले 1 सप्ताह से म्योरपुर सीएचसी की टीम दवाईयां व जांच किट लेकर गांव में कैंप लगाकर लोगों का इलाज कर रही है।

बीते दो माह से सोनभद्र के कई गांवों में अज्ञात बीमारी का कहर बरपा हुआ है। यहां अब तक 36 लोग इस अज्ञात बीमारी की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं। परिवार के परिवार तिनके की मानिंद इस बीमारी की हवा में बिखरते जा रहे हैं। सब कुछ खत्म होता दिख रहा है, लेकिन प्रशासन ने अब तक इसकी सुध लेना जरूरी नहीं समझा। मीडिया में लगातार आ रही खबरों ने अब जाकर इनकी नींद खराब की है। आनन फानन में कई प्रशासनिक अधिकारी मकरा गांव पहुंच चुके हैं। इलाज के लिये कैंप लगा दिये गये हैं। डीएम ने गांव वालों तक साफ पीने का पानी पहुंचाने का निर्देश दे दिया है। हालांकि, देखना यह है कि क्या इतना सब करने के बावजूद मकरा गांव में लगातार हो रही ये मौतें रूक पायेंगी या यह बीमारी अभी और भी कई परिवारों को अपने काल का ग्रास बनाने को तैयार है!

मीडिया स्वराज डेस्क

लखनऊ से 500 किलोमीटर दूर ऊर्जा की राजधानी कहे जाने वाले सोनभद्र जिले के मुख्यालय से 85 किलोमीटर दूर सेंदुर (मकरा) ग्राम पंचायत में स्वास्थ्य महकमे के तमाम दावों के बावजूद मौत का क्रम जारी है।

पिछले दो माह में 36 मौत होने की खबरें हैं जबकि स्वास्थ्य विभाग 16 मौतों की पुष्टि कर रहा है और जिलाधिकारी टी के शिब्बू ने 21 नवम्बर तक 32 मौतों की पुष्टि करते हुए जल निगम के अधिशासी अभियंता को शनिवार 4 दिसंबर को पत्र लिखकर गांव में टैंकर से पानी आपूर्ति कराने और सभी हैण्डपम्पों के पानी की जांच के आदेश दिए हैं।

पिछले दो माह में 36 मौत होने की खबरें हैं जबकि स्वास्थ्य विभाग 16 मौतों की पुष्टि कर रहा है और जिलाधिकारी टी के शिब्बू ने 21 नवम्बर तक 32 मौतों की पुष्टि करते हुए जल निगम के अधिशासी अभियंता को शनिवार 4 दिसंबर को पत्र लिखकर गांव में टैंकर से पानी आपूर्ति कराने और सभी हैण्डपम्पों के पानी की जांच के आदेश दिए हैं।

वहीं, इसके पूर्व की लैब की जांच में मृतकों के मलेरिया ग्रसित होने की बात सामने आई है। आज भी गांव में 185 से ज्यादा लोग मलेरिया पीड़ित हैं, जिनकी जांच हो चुकी है, जिनकी रिपोर्ट मलेरिया, टाइफाइड और खून की कमी आई है। मीडिया में लगातार खबरें आने के बाद आनन-फानन में पिछले 1 सप्ताह से म्योरपुर सीएचसी की टीम दवाईयां व जांच किट लेकर गांव में कैंप लगाकर लोगों का इलाज कर रही है।

ग्रामीणों में सबसे ज्यादा खून की समस्या देखने को मिल रही है, वहीं क्षेत्रीय विधायक और सूबे में समाज कल्याण राज्य मंत्री संजीव गौड़ ने 15 मौतों की पुष्टि तो की है लेकिन जब 36 मौतों की बात कही गई तो उन्होंने भाजपा के कार्यकर्ताओं से जांच कराने की बात कही।

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के म्योरपुर विकास खण्ड के अंतर्गत आने वाले मकरा गांव के लोगों के दिन की शुरुआत इन दिनों किसी न किसी अपने को श्मशान घाट पहुंचाने को लेकर शुरू होती है। बता दें कि करीब 4500 वाले आबादी वाले इस गांव में 40% से अधिक अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति हैं। यहां 16 टोला हैं। 8 किलोमीटर में फैले इस गांव में पिछले 2 माह में अब तक 36 लोगों की मौत बुखार लगने के कारण होने की बात सामने आई हैै।

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के म्योरपुर विकास खण्ड के अंतर्गत आने वाले मकरा गांव के लोगों के दिन की शुरुआत इन दिनों किसी न किसी अपने को श्मशान घाट पहुंचाने को लेकर शुरू होती है। मकरा गाँव में एक शव यात्रा।

एक ही परिवार में हुई 5 मौतें

मकरा गाँव की 65 वर्षीया लक्ष्मीनिया की कहानी रोंगटे खड़े करने वाली है। इस बुखार ने तो मानो उनका पूरा परिवार ही निगल लिया। सबसे पहले उनकी 26 वर्षीया बहू नीतू की मौत बुखार लगने से हो गई। फिर तो जैसे इनके घर पर मौतों की लाइन सी ही लग गई। बहू की मौत के सदमे से अभी उनका परिवार उबर भी नहीं पाया था कि उनके नाती कविता (12 माह), रिया (4 वर्ष), राजेंद्र (5 वर्ष), आरती (2 वर्ष) भी इस बुखार की भेंट चढ़ गये। महज एक महीने के अंदर इस परिवार के 5 लोगों की मौत हो जाने से पूरे परिवार में मातम छाया हुआ है।

बिलखती हुई लक्ष्मीनिया बताती हैं कि उनके परिवार के हर एक सदस्य को पहले बुखार आया और फिर पीलिया हो जाने के कारण एक-एक कर उन सभी की मौत हो गई। इस बुखार के कारण हमने परिवार के 5 लोगों को खो दिया है।

मेरे दो बच्चे, पत्नी और बड़े भाई की मौत हो गई

मकरा गाँव के ही 35 वर्षीय हरिनारायण ने भी गांव में फैली इस बीमारी के कारण अपने 2 पुत्रों और पत्नी को खो दिया। सबसे पहले 26 वर्षीय पत्नी सुशीला की मौत हुई। उसके बाद उनके पुत्रों दिव्यांशु (3 वर्ष) और हिमांशु (15 माह) की मौत भी 1 हफ्ते के अंदर हो गई। इसके अलावा हरिनारायण के परिवार में बड़े भाई के एक लड़के की मौत भी इसी बीमारी के कारण हो गई।
खेती-बाड़ी और मजदूरी करके जीवन यापन करने वाले हरिनारायण की पूरा दुनिया ही इस बीमारी के कारण उजड़ गई है।

हरिनारायण बिलखते हुये बताते हैं कि गांव में फैली इस बीमारी के कारण मेरे दो बच्चे, पत्नी और बड़े भाई की मौत हो गई। कैसे हुआ यह सब… पूछने पर वे बताते हैं कि पहले बुखार आया था तो हम रोड पर बंगाली डॉक्टर रहते हैं, वहां दिखाए थे, लेकिन कुछ समझ नहीं आया। एक-एक करके सभी अपने हमें छोड़ कर चले गये।

4 वर्षीय नाती प्रीतम को खो दिया

मकरा गांव की ही 55 वर्षीया सावित्री देवी के 4 वर्षीय नाती प्रीतम की मौत भी इसी बुखार के कारण हो गई। सावित्री बताती हैं कि 2 दिन से प्रीतम को बुखार आ रहा था। यहां सरकारी हॉस्पिटल पर कोई भी डॉक्टर नहीं बैठता है, न ही दवा मिलती है इसलिये उसे दिखाने के लिए दुद्धी ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।

सावित्री ने बताया कि पिछले ​दो दिनों से उसके नाती को बुखार आ रहा था। उनके पास पैसे नहीं थे कि निजी अस्पताल में उसका इलाज कराते इसलिये उसे सरकारी हॉस्पिटल दुध्दी ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।

पहले तो स्वास्थ्य विभाग इस गांव में हो रही मौतों की बातों पर पर्दा डालता रहा, लेकिन जब मीडिया में लगातार मकरा गांव में अज्ञात बीमारी से हो रही मौतों की खबरें आने लगीं, तब जाकर स्वास्थ्य विभाग जागा और गांव में कैंप लगाकर लोगों का इलाज करने लगा। हालांकि, मकरा गांव में बने सरकारी हॉस्पिटल में अब तक भी किसी डाक्टर की नियुक्ति नहीं की गई है।

कुछ नहीं, ₹5 लेगा, गोली दे देगा

मकरा गांव की रामा देवी रूंधे गले से बताती हैं कि पूरे गांव को इस बीमारी ने जकड़ लिया है। बीमारी बुरी तरह से फैली हुई है। यह पूछने पर कि आप के बगल में ही तो हॉस्पिटल है, इलाज के लिये आप वहां क्यों नहीं जातीं? इस पर रामा देवी का जवाब स्तब्ध कर देता है।

वे कहती हैं, कुछ नहीं। ₹5 लेगा, गोली दे देगा।

बता दें कि आज भी इस गांव में सैकड़ों की तादाद में मलेरिया, टाइफाइड और पीलिया के मरीज मौजूद हैं। स्वास्थ्य विभाग हर दिन कैंप लगाकर लोगों का इलाज कर रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार का वितरण किया जा रहा है। गांव में विशेष प्रकार के मच्छरदानी का वितरण किया जा रहा है। दीवारों पर साफ-सफाई के तमाम संदेश लिखे जा रहे हैं। झाड़ियों की सफाई का काम पूरे गांव में चल रहा है।

लोग अशिक्षित हैं इसलिये जागरुकता की है कमी

हालांकि, क्षेत्रीय विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार में समाज कल्याण राज्य मंत्री संजीव गौड़ इन मौतों के लिए प्रदूषित पानी को जिम्मेदार बताते हैं। उन्होंने 15 मौतों की पुष्टि तो की है, लेकिन जब यह पूछा गया कि 36 मौतों की खबरें हैं, तब उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं से इसकी जांच कराएंगे की कितनी मौतें हुई हैं?

रिहन्द जलाशय से पीने का पानी लेती मकरा गांव के कठहवा टोले की महिलाएं

संजीव गौड़ आगे कहते हैं कि मकरा गांव में गंभीर बीमारी से मौतें जो हुई हैं, उसका मुख्य कारण प्रदूषित पानी है। रिहन्द नदी का पानी इतना प्रदूषित है कि उसे पीकर लोग बीमार हो रहे हैं। यहां के लोग अशिक्षित भी हैं इसलिये इनमें स्वच्छता के प्रति जागरुकता की कमी है।

हालांकि, इस दौरान बनवासी सेवा आश्रम, गोविंदपुर के कार्यकर्ता लगातार गांव के लोगों, विशेषकर महिलाओं से संपर्क करके स्वच्छता के प्रति उन्हें जागरुक करने का प्रयास कर रहे हैं।

इस दौरान बनवासी सेवा आश्रम, गोविंदपुर के कार्यकर्ता लगातार गांव के लोगों, विशेषकर महिलाओं से संपर्क करके स्वच्छता के प्रति उन्हें जागरुक करने का प्रयास कर रहे हैं।

गांव में लगातार हो रही इन मौतों पर म्योरपुर सी एच सी अधीक्षक डॉ राजीव रंजन ने माना कि मौतें हुई हैं और हम बीमारी रोकने के हरसंभव प्रयास में लगे हैं।

आज शनिवार को शासकीय स्तर से सहायक निदेशक, मलेरिया अवधेश यादव और अन्य तीन सदस्यों की टीम मकरा पहुंची है। मकरा में बीमारियों को लेकर सीएमओ डॉ नेम सिंह और एसडीएम रमेश कुमार भी चर्चा करते दिखे। वहीं, डीएम ने गांव के लोगों तक साफ़ पानी पहुंचाने के निर्देश भी दे दिये हैं।

जिला प्रशासन सक्रिय हुआ है, पर गांव में हो रही मौतें अब भी रुक नहीं रही हैं। शानिवार को भी इस बीमारी से यहां दो महिलाओं की मौत हो गयी। वहीं, शुक्रवार को भी दो की मौत हो गयी थी।

बहरहाल, अब देखना यह है कि देर से ही सही, पर क्या प्रशासन की नींद टूटने का इस गांव के लोगों को कब तक कुछ फायदा हो पाता है!

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