शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को गालियाँ कौन दिलवा रहा है ?

–दीपक केसरी
 
ज्योतिष्पीठाधीश्वर होने के नाते शंकराचार्य जी ने 1 989 से ही अपने धर्मक्षेत्र अयोध्या के विवाद के लिए राम जी का सच्चा पक्ष रखने के लिए परमेश्वर नाथ मिश्र अधिवक्ता  उच्च न्यायालय कोलकाता को वकील नियुक्त किया । तब से लेकर श्री पी एन मिश्र जी ने शंकराचार्य जी के मार्गदर्शन पे 250 से अधिक प्रमाण कोर्ट में रखे और यह सिद्ध किया कि विवादित भूमि ही रामलला का जन्मस्थान है। मन्दिर का यही गर्भगृह है जहाँ रामलला की पूजा होती थी जिसे संघ ने मस्जिद बोल कर तोड़वा दिया।
 
advocate Parmeshwar Nath Mishra

इन्होंने ने हाई कोर्ट में कुल 90 दिन के निर्णायक बहस में अकेले लगातार 24 दिन तक बहस की और कुल 28 दिन तक बहस प्रस्तुत  की। जब ये अपने अकाट्य प्रमाणों से बोलना शुरू करते तो न्यायाधीश हाथ बांध कर केवल इनको ही सुनते रहते थे। इसी में लगातार एक महीने तक पूज्यपाद स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी महाराज ने राम जी के लिए धार्मिक विशेषज्ञ के रूप हाई कोर्ट में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक एक आसन पर ही बैठे रहकर गवाही देते रहे।

 
 
यही नही सुप्रीम कोर्ट में भी जब 40 दिनों की निर्णायक बहस हुई तो उसमे स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज के इन्ही अधिवक्ता ने सबसे ज्यादा 9 दिन अकेले बहस प्रस्तुत की जिसमे 5 दिन लगातार सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश भी इन्हें सुनते रहे। सुर9 कोर्ट ने भी स्वामिश्रीः को राम मन्दिर के मामले में धार्मिक विशेषज्ञ माना है।
 
राम जन्मभूमि विवाद में कुल 20 से अधिक पक्षकार थें। पर सबने 1, 2 या 3 दिन से ज्यादा बहस न्यायालयों में नही कर सके।
ये सब जो मैं कह रहा हूँ यह अपने मन से नही ये सब कोर्ट के आदेशों के आधार पर बोल रहा जो रिकार्ड में हैं। कोई भी पढ़ सकता है।
सोचिए आज का हिन्दू समाज राम जी के मामले में उन महापुरुष को गालियाँ दे रहा है जिन्होंने अपना पूरा जीवन राम के लिए तन मन धन से लगा दिया और चाहे राम के लिए समाज जाना हो चाहे राम के लिए कोर्ट में जाना हो चाहे राम की भक्ति का प्रचार करना हो सभी कार्यों मे जिन्होंने अपना जीवन खपा दिया और 97 वर्ष की आयु को होने को आये। आज राम मन्दिर के लिए ऐसे महापुरुष से राय लेने की तो छोड़िए बल्कि कुछ लोग इन्हें राम विरोधी और राम मन्दिर बनाने का विरोधी बता देता है, हद तो तब हो जाती है जब कोई इनपर मस्जिद बनवाने का आरोप लगा देता है। 
अब सोचिए जिन्होंने कोर्ट में इस बात के लिए लड़ा कि रामजन्मभूमि पे कोई मस्जिद नही थी उसे पूर्णतः हिन्दू समाज को दे दिया जाए और मुसलमान उसपे से अपना पूर्णतः दावा छोड़ दें उनपर आरोप यह लगाया जाता है कि ये मस्जिद बनवाना चाहते थे।
कोई इनपर कांग्रेसी होने का आरोप लगा देता है, जबकि सबसे अधिक भाजपा के शीर्ष नेता ही इनकी पदुकापुजन करते रहते हैं। कोई कुछ आरोप लगा देता है, सत्तापक्ष अपने लोगों को गालियाँ देने के लिए सोशल मीडिया  पर उतार देता है।

 

लेखक दीपक केसरी  दीपक केसरी

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