चौथे दिन अपने गृहनगर, गुजरात पहुंची ‘सेवाग्राम से साबरमती विरोध यात्रा’

सेवाग्राम से साबरमती यात्रा का चौथा दिन

यह आश्रम किसी सरकार का नहीं है. यह भारत का हृदय है, जहां से हम प्रेरणा लेते हैं, उसे सरकार बदलकर पर्यटन स्थल बनाना चाहती है, जो देश के लिए घातक है. उसे हमें बनने नहीं देना है इसलिए इस गौरव को हम बचाने निकले हैं. आप भी साथ आइये और हमारे साथ कंधे से कंधे मिलाकर चलिए.

सेवाग्राम से साबरमती आश्रम तक की यात्रा का 20 अक्टूबर को चौथा दिन था. चौथे दिन यात्रा की शुरुआत सुबह 7 बजे सर्वप्रथम बाबा साहब अम्बेडकर के मूर्ति के माल्यार्पण के साथ हुई. धुले में जहां विनोबा जी को जिस जेल में रखा गया था, उसे देखते हुए गांधी प्रतिमा तक पहुँच कर उसका माल्यार्पण कर यात्रा दोंडाईचा पहुंची, जहां स्थानीय साथियों ने यात्रा का स्वागत किया, जिसके बाद यात्रा व्यारा के लिए रवाना हुई.

नंदूरबार पहुँच कर यात्रा का स्वागत मदर टेरेसा कॉलेज में किया गया. स्वागत उपरांत सभा का आयोजन किया, जहां आबिदा जी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि साबरमती आश्रम बापू ने तब बनाया, जब बापू भारत आये और अपने रहने के लिए जगह ढूंढ रहे थे. तब साबरमती आश्रम का निर्माण हुआ.

यह आश्रम किसी सरकार का नहीं है. यह भारत का हृदय है, जहां से हम प्रेरणा लेते हैं, उसे सरकार बदलकर पर्यटन स्थल बनाना चाहती है, जो देश के लिए घातक है. उसे हमें बनने नहीं देना है इसलिए इस गौरव को हम बचाने निकले हैं. आप भी साथ आइये और हमारे साथ कंधे से कंधे मिलाकर चलिए.

गांधी अगर अभी होते तो यही सोचते कि ऐसे माहौल में घर सबसे कम खर्च में कैसे बनाया जाए, तो उनकी झोपड़ी को 1200 करोड़ रुपये खर्च कर पर्यटन स्थल बनाना गांधी के विचारों के अनुकूल काम नहीं है.

डॉ बिस्वजीत जी ने कहा कि गांधी जी ने हमें जैसे आज़ादी दिलाई, गांधी जो किसी भी पंक्ति में खड़े अंतिम आदमी तक के लिए हमेशा आवाज उठाते रहे, उनकी उस कुटिया को सरकार पर्यटन स्थल बनाने में लगी है, जबकि आज देश भुखमरी में जी रहा है. गांधी अगर अभी होते तो यही सोचते कि ऐसे माहौल में घर सबसे कम खर्च में कैसे बनाया जाए, तो उनकी झोपड़ी को 1200 करोड़ रुपये खर्च कर पर्यटन स्थल बनाना गांधी के विचारों के अनुकूल काम नहीं है.

आपने कहा कि जब इस आश्रम को देखने और बचाने की बात हुई, तब यह बात हुई थी कि जनता के पैसे से इसकी देखरेख होगी. साथ ही, सारा काम भी बेहतर ढंग से होगा. आज भी हम यही कहते हैं कि सरकार का पैसा नहीं चाहिए. जनता के पैसे से हम इसे देखेंगे और बनाएंगे भी.

जल पुरुष राजेन्द्र सिंह जी ने कहा कि दुनिया के लोग बापू के आश्रम को वैसे ही देखना चाहते हैं, जैसा कि यह खुद गांधीजी ने तैयार करवाया था. तब इस सरकार को इतना पैसा लगाकर आश्रम को बदलने की क्या जरूरत है? कहीं ऐसा तो नहीं कि सत्ता सत्य से डर रही है इसलिए वो झूठ की दुनिया खड़ी करना चाहती है. कुमार प्रशांतजी ने कहा कि सरकार सभी जगह नई नई बिल्डिंग्स का निर्माण कर रही है, जबकि इस कोरोना काल में जो लोग ऑक्सीजन की कमी से मरे, वो उनकी प्राथमिकता में नहीं हैं.

गांधी के साबरमती आश्रम का अस्तित्व ख़तरे में क्यों ?

अब तो वे यह भी कहते हैं कि जो चाहेंगे वो करेंगे. यह तो लोकतंत्र की बात नहीं है और यह देश राजतंत्र का नहीं है. ऐसा ही काम अब वो गांधी के साबरमती आश्रम में करने जा रहे हैं, वहां इतना पैसा लगा रहे हैं, जितना गांधीजी ने कभी देखा भी था या नहीं, मैं यह भी नहीं जानता. ऐसे में इतना पैसा लगाने से आश्रम की गरिमा खत्म होगी, इसलिए मैं इस सरकार से कहता हूं कि आप सरकार में हैं, इससे हमें दिक्कत नहीं है पर गलत करेंगे तो हम गाँधीवादी तो कम से कम आपके साथ नहीं आएंगे, यह जान लीजिए. हम उनकी सद्बुद्धि के लिए 24 तारीख को प्रार्थना करेंगे. आप सब भी आइये, हमारे साथ जुड़िये, तो आप खुद ही सत्य के सिपाही बन जायेंगे.

आखिर में उन्होंने कहा कि हमने अनेक सभाएं देखी हैं, लेकिन यह सभा एक प्रार्थना व आह्वान सभा है. गांधी जी के जीवन में चलने वाली सच्चाई और अच्छाई को समझने की जरूरत है. गांधी जी वो थे, जिन्होंने स्कूल में शिक्षक के कहने पर भी नकल नहीं की, लेकिन हम उनकी पूरी नकल करते हैं.

सारी दुनिया यह मानती है कि आने वाले समय मे गांधी ही एकमात्र रास्ता हैं हमारे लिए. उन्होंने यात्रियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आप आये, इस​के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद. साथ ही यह भी कहा कि साबरमती आश्रम को सरकार जो भी बनाना चाह रही है, उसके हम सब खिलाफ हैं और हम सब इसके खिलाफ अपनी आवाज भी उठाएंगे.

सेवाग्राम से साबरमती यात्रा के ​दूसरे दिन गुजरात सरकार का पोस्ट किया यह वीडियो कई सवाल खड़े करता है

बता दें कि सेवाग्राम से साबरमती संदेश यात्रा अब अपने गृहनगर गुजरात में प्रवेश कर चुकी है, जहां इस यात्रा का पुरजोर स्वागत किया गया. स्वागत करने वालों में पूर्व सांसद अमर सिंह चौधरी, ग्राम सेवा समिति, डोरा के उपाध्यक्ष गणपत भाई, ग्राम सेवा समिति अध्यक्ष आनंद भाई जी, विधायक अशोक भाई समेत चौधरी लाल भाई, सत्यकाम जी, मनीष भाई, लाल सिंह रवि भाई, इन सभी साथियों ने ग्राम सेवा समिति द्वारा यात्रा का पुरजोर स्वागत करते हुए कहा कि आज दूसरी क्रांति का समय आ गया है जबकि हम इस क्रांति के साथ हैं. हम साबरमती आश्रम के अस्तित्व को मिटने नहीं देंगे. हम तन मन धन से आप सभी के साथ हैं.

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