सेवाग्राम से साबरमती यात्रा के ​दूसरे दिन गुजरात सरकार का पोस्ट किया यह वीडियो कई सवाल खड़े करता है

गुजरात सरकार का वीडियो

सुषमाश्री

गुजरात सरकार ने सोमवार 18 अक्टूबर 2021 को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लगभग साढ़े चार मिनट का एक वीडियो पोस्ट किया है, जो आश्रम से जुड़े लोगों ने आजादी के 75 साल पूरे होने पर तैयार किया है. इस वीडियो में भी गांधी आश्रम के नए रूप का वर्णन किया गया है. ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर इस यात्रा का उद्देश्य है क्या? अगर गांधीवादी संगठन सरकार की इस योजना के खिलाफ हैं तो पहले इस वीडियो में इसे सकारात्मक ढंग से पेश क्यों किया गया? और अगर वे इस योजना के साथ थे तो फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि वे इसके विरोध में रैली निकालने को मजबूर हो गए?

एक ओर जहां गांधीवादी संगठन विरोध स्वरूप सेवाग्राम से साबरमती की यात्रा पर निकला है, वहीं इस यात्रा के दूसरे ही दिन सोमवार 18 अक्टूबर 2021 को राज्य सरकार ने महात्मा गांधी द्वारा बनाए गए साबरमती आश्रम को पुनर्जीवित करने या यूं कहें कि नए रूप में तैयार करने को लेकर अपनी योजना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर डालकर पहली बार आम जनता के बीच पेश किया है.

एक ओर जहां राज्य सरकार इस योजना को गांधी जी की कर्मभूमि की मरम्मत या रीस्टोरेशन बता रही है वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार आम जनता से कह रही है कि गांधी के मूल्यों और दर्शन को अगली पीढी तक पहुंचाने और उन्हें प्रेरित करने के लिए सरकार यह कदम उठा रही है.

‘गांधी आश्रम रीस्टोरेशन प्रोजेक्ट’ शीर्षक से 4.48 मिनट का लंबा वीडियो मुख्यमंत्री आफिस के ट्वीटर और इंस्टाग्राम हैंडल्स पर सोमवार 18 अक्टूबर 2021 को अपलोड किया गया.

यह वीडियो ‘महात्मा गांधी साबरमती आश्रम मेमोरियल ट्रस्ट’ ने आजादी के 75वें साल में प्रवेश की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है, जिसमें गांधी के साबरमती आश्रम की खूबियों के अलावा आश्रम को नए ढंग से तैयार करने की सरकार की योजना के बारे में भी बताया गया है. कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष के. कैलाशनाथन ने कई बार पूछने पर भी इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

यह सब​ हो, तब तक गांधीवादी संगठनों के तकरीबन 50 लोग सरकार के इस मरम्मत योजना के खिलाफ सेवाग्राम से साबरमती संदेश यात्रा के रूप में शांतिपूर्ण आंदोलन शुरू कर चुके थे. यह यात्रा वर्धा के सेवाग्राम आश्रम से शुरू हुई और 23 अक्टूबर तक अहमदाबाद पहुंचेगा. 24 अक्टूबर को आश्रम में एक शांतिपूर्ण रैली का आयोजन भी किया जाएगा.

डेक्कन हेराल्ड में छपी एक खबर के मुताबिक, इस शॉर्ट वीडियो में दिखाया गया है कि गांधी जी द्वारा 1917 में जो साबरमती आश्रम बनाया गया था, उसकी सफाई, सादगी और वास्तुकला गांधीजी की दार्शनिकता और मूल्यों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई थी.

वीडियो के मुताबिक, आज का गांधी आश्रम मेमोरियल न केवल हमें प्रेरित करता है बल्कि हमारी आकांक्षाओं और इच्छाओं को और बढ़ाता है. जब यह आश्रम तैयार किया गया था तब अहमदाबाद में 120 एकड़ जमीन इसके लिए प्रयोग की गई थी. इस परिसर में 63 बिल्डिंग्स तैयार किए गए थे, जिनके अंदर आश्रम से जुड़ी अलग अलग तरह की गतिविधियां होती थीं.

आज लोग मानते हैं कि इस गांधी आश्रम का असल आसरा, जिसे मेमोरियल के तौर पर संजोकर रखा जाएगा, वह केवल पांच एकड़ भूमि में मौजूद है. इनमें से केवल तीन मौलिक बिल्डिंग्स पर्यटकों के लिए खोले गए हैं. अन्य में से ज्यादातर या तो गिर गए हैं या महज दिखावे के लिए खड़े करके रखे गए हैं. वीडियो के मुताबिक बहुत सी बिल्डिंग्स तो मूल आश्रम से मेल तक नहीं खाते, उन्हें भी आश्रम के ग्राउंड में तैयार किया गया है. ऐसी कई बिल्डिंग्स हैं, जिन्हें गांधीजी की आजादी की लड़ाई का गवाह नहीं कहा जा सकता.

सेवाग्राम से साबरमती आश्रम तक यात्रा: गांधी जी की विरासत को बचाने का एक प्रयास

वीडियो में आगे कहा गया है, देश की आजादी के 75वें साल के दौरान सरकार गांधी आश्रम की मरम्मत इस तरह से करना चाहती है जिससे इस आश्रम की मौलिकता बनी रहे. आश्रम रोड को तोड़ कर उसका रूट डायवर्ट कर दिया जाएगा. इस आश्रम के दायरे को और भी बढ़ा दिया जाएगा ताकि सभी बिल्डिंग्स गांधी जी के समय की लगने लगें.

बिल्डिंग्स समेत अन्य ऐसी गति​विधियां, जो आश्रम मेमोरियल के अनुकूल न हों, उन्हें आश्रम से सटे सैटेलाइट कैंपस की ओर भेज दिया जाएगा. आश्रमवासी जो फिलहाल अलग अलग ट्रस्ट में किराये में रह रहे हैं, उन्हें एक मकान दे दिए जाएंगे, जो उनकी मौजूदा लोकेशन से 50 मीटर के दरम्यान हो. इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि उन्हें सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया की गई हों. कुछ लोग जो आश्रम से कुछ दूर या अलग जगह पर जाकर भी रहने को तैयार होंगे, उन्हें अनुकंपा के आधार पर चार बेडरूम वाले घर तैयार करके दिए जाएंगे.

सरकार ने अपनी इस योजना को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए कहा, आश्रम के मरम्मत और इसे बढ़ाने को लेकर हमारा मास्टर प्लान तैयार है. आश्रम को बड़ी ही सावधानी के साथ कुछ इस तरह से तैयार किया जाएगा जिससे उसकी मौलिकता बनी रहे, ताकि यहां आने वाले पर्यटकों को यह जगह पहले की तरह ही प्रेरित करती रहे.

यहां कुछ और ऐसे म्यूजियम तैयार किए जाएंगे, जो गांधी जी के जीवन और उनके कार्यों को अपने अंदर समेटे हुए हो, ताकि पर्यटकों के लिए यह आकर्षण का केंद्र बने. गांधी आश्रम आर्काइव एंड लाइब्रेरी के मकान को और बेहतर बनाया जाएगा और यहां मौजूद सुविधाओं को और भी आधुनिक बनाने की कोशिश की जाएगी. इसके पीछे मकसद यह होगा कि यह बिल्डिंग गांधी जी पर रिसर्च और ट्रेनिंग करने के उद्देश्य से पहुंचने वाले शोधार्थियों के लिए एक बेहतर प्लेटफॉर्म मुहैया करा सके.

यह वीडियो ‘महात्मा गांधी साबरमती आश्रम मेमोरियल ट्रस्ट’ ने आजादी के 75वें साल में प्रवेश की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है, जिसमें गांधी के साबरमती आश्रम की खूबियों के अलावा आश्रम को नए ढंग से तैयार करने की सरकार की योजना के बारे में भी बताया गया है. कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष के. कैलाशनाथन ने कई बार पूछने पर भी इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

यह सब यहां आने वाले पर्यटकों और शोधार्थियों की लगातार बढ़ती संख्या को ध्यान में रखकर किया गया है. हालांकि इस दौरान आश्रम की मौलिकता के साथ छेड़छाड़ का सरकार को कोई इरादा नहीं है.

आश्रम के आसपास स्थित चंद्रभा विद्रोह के स्थान पर एक खूबसूरत शहरी जलमार्ग के तौर पर तैयार किया जाएगा. साथ ही, ऐतिहासिक दांडी पुल का भी जीर्णोद्धार किया जाएगा.

वीडियो में दिखाया गया है कि आश्रम को इस नए विशाल रूप में तैयार करने के लिए तकरीबन 1,200 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है. इसके लिए केंद्र सरकार ने फंड दिया है और गुजरात सरकार को आश्रम के सभी स्टेकहॉल्डर्स के साथ मिलकर, उनसे बातचीत करके और उनकी सहमति लेकर इन सभी कार्यों की जिम्मेदारी लेनी है. वीडियो में यह भी दिखाया गया है कि गांधीजी की इस कर्मभूमि के मरम्मत का कार्य कुछ इस तरह सावधानी से किया जाएगा, जिससे उसकी मौलिकता भी बने रहे और गांधीजी की दार्शनिकता और उनके मूल्य आने वाली पीढ़ी को लंबे समय तक प्रेरित भी करती रहे.

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