किसान एक बड़े आन्दोलन के लिए तैयार रहे – चौ0 राकेश टिकैत

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले रविवार को उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, दिल्ली, चण्डीगढ़, मध्यप्रदेश सहित सभी राज्यों में  जिला/तहसील मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन किया।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत मुजफ्फरनगर में चल रहे धरनों पर पहुंचें। चौ0 राकेश टिकैत ने कहा कि देश का किसान अपने ट्रैक्टरों को तैयार रखें कभी-भी एक बडे़ आन्दोलन की जरूरत पड़ सकती है। भारतीय किसान यूनियन ने अपनी मांगों को लेकर देश के प्रधानमंत्री के नाम सभी राज्यों में ज्ञापन सौंपें।
भारतीय किसान यूनियन पिछले 36 सालों से देश-दुनिया के खेती-किसानी के मुद्दों पर आंदोलनरत है। मौजूदा दौर में देश की डांवाडोल आर्थिक हालात को केवल कृषि ने ही अपने दम पर संबल देने काम किया है। यह किसी भी कृषि प्रधान देश के लिए गर्व की बात है। लेकिन मौजूदा समय में किसान घाटे में जाती खेती की वजह से संकट का सामना कर रहा है। उसकी खेती से आय लगातार घट रही है और इसकी वजह से वह शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर है। सही सरकारी नीतियों को लागू न करने से वह खुद को ठगा महसूस कर रहा है। अतः ज्ञापन के माध्यम से देशभर का किसान आपका ध्यान इस ओर आकृष्ट कराना चाहता है-
1- एमएसपी गारंटी कानून बनाने के मामले में केंद्र सरकार की ओर से ऐसी कमेटी बनाई गई है, जिस पर संयुक्त किसान मोर्चा को विश्वास ही नहीं है। कमेटी में उन नौकरशाहों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को अधिक स्थान दिया गया जो तीन कानूनों के प्रबल समर्थक रहे। ऐसे में उनसे किसान हितों के लिए एमएसपी पर कोई सही फॉर्मूला देने की संभावना नगण्य है। इसलिए इस कमेटी को सिरे से नकारने के अलावा भाकियू के पास अन्य विकल्प नहीं है। हमारी एकमात्र मांग एमएसपी गारंटी कानून को अमल में लाने की दिशा में पहल की जाए। 
2- फसलों के उचित लाभकारी मूल्य के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को केंद्र सरकार लागू करे। इसके लिए सी2$50 के फामूले को लागू किया जाए।
3- सात राज्य सूखे की चपेट में हैं और आधा दर्जन राज्य बाढ़ की चपेट में हैं। ऐसे में फसलें चौपट हो गई हैं। किसानों को धन-जन के अलावा पशुओं की हानि हुई है। सरकार तत्काल ग्राम स्तर पर नुकसान का आंकलन कर किसानों को तत्काल उचित मुआवजे की व्यवस्था करे।
4- अग्निपथ योजना से मात्र चार साल बाद चयनित में से 75 फीसदी जवानों की छंटनी से देश के युवा बेरोजगार होंगे। उनके भविष्य और देश की उन्नति के लिए युवाओं को देश की अन्य एजेंसियों जैसे पुलिस, अर्द्धसैनिक बलों में प्राथमिकता के आधार पर अनिवार्य तौर पर चयनित किया जाए। साथ ही चयन न होने तक की दिशा में उन्हें बेरोजगारी भत्ता भी दिया जाए।
5- देश में एक अलग से किसान आयोग का गठन किया जाए।
6- देश के कई राज्यों में भूमि अधिग्रहण को लेकर चल रहे किसान आंदोलनों के मद्देनजर सरकार एकरूप पॉलिसी के आधार पर किसानों की भूमि अधिग्रहीत करे और मांग के अनुरूप मुआवजा राशि सर्किल रेट से चार गुना अधिक किसानों को दिलाने की दिशा में प्रयास करे।
7- सात राज्यों में किसानों को बिजली मुफ्त में देने का काम राज्य सरकारें कर रही हैं। बाकी राज्यों में भी किसानों को मुफ्त बिजली दी जाए।
8- खाद-बीज व कीटनाशक के क्षेत्र समेत अन्य क्षेत्रों में किसानों के नाम पर उद्योगों को दी जा रही सब्सिडी सीधे किसानों को दी जाए।
9- सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए रूफ टॉप सब्सिडी दी जाए और किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाए जिससे बिजली पर गांवों की निर्भरता कम हो सके।
10- एनजीटी के नियमों में किसानों के लिए ढील देने का काम किया जाए। कृषि में काम आने वाले यंत्रों व साधनों को लेकर विशेष योजना के अंतर्गत समय सीमा में छूट देने का प्रावधान किया जाए।
11- प्राइवेट और कॉमर्शियल वाहनों को चाहे वह किसान के ही क्यों न हो, अलग-अलग वर्गों में विभाजित कर किलोमीटर के हिसाब से उनकी मियाद की गारंटी को निर्धारित किया जाए।
12- राजस्थान की ईस्टर्न कैनाल परियोजना को केंद्रीय योजना के अंतर्गत लाया जाए क्योंकि यह राजस्थान के 13 जिलों की जीवन पद्धति को प्रभावित करेगी।
13- पहाड़ी राज्यों में पहाड़ी कृषि नीति के तहत स्थानीय संसाधनों और बाजार व्यवस्था को मजबूर करने का काम किया जाए। प्राकृतिक खेती की दिशा में हो रहे प्रयासों के मद्देनजर पहाड़ी राज्यों को ऑर्गेनिक राज्य का दर्जा दिलाया जाए।
14- आदिवासी इलाकों में जल-जंगल-जमीन को बचाने के लिए चल रहे आंदोलनों से सबक लेते हुए केंद्र व राज्य सरकारें आदिवासियों के कल्याण के लिए योजनाओं को धरातल पर उतारें और उन्हें उस जमीन का मालिकाना हक दिलाएं।
15- आवारा पशुओं की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। विशेष नीति के तहत छुट्टा पशुओं को गऊशालाओं में पहुंचवाने के लिए पंचायत स्तर पर जिम्मेदारी सुनिश्चित कर किसानों की खेती की सुरक्षा और संरक्षा का ध्यान रखा जाए।

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