प्रोफेसर (डा•) रामजीलाल जांगिड का निमंत्रण
अन्तरराष्ट्रीय आभासी गोष्ठी और संचार माध्यम शब्दकोश के राजस्थानी रुपान्तरण का लोकार्पण
06 नवंबर 2021 को मैंने 81 साल पूरे कर लिये हैं। रविवार 07 नवम्बर 2021 को मैं 82वें वर्ष में प्रवेश करूंगा। मेरे रक्त सम्बन्धियों में मेरी बुआ के मंझले बेटे प्रो. ब्रजमोहन और ससुराल में मेरी स्वर्गीया पत्नी के सबसे बड़े भाई श्री बालकृष्ण जी 92 वर्ष के और मेरी सलहज कुमुदिनी जी 84वर्ष की हैं। ये तीन व्यक्ति मुझ से बड़े हैं। शेष रक्त सम्बन्धी उम्र में छोटे हैं। मैं सब रक्त सम्बंधियों, भावना के धागों से बंधे सम्बन्धियों, मित्रों और स्नेह रखने वाले सभी परिचितों की शुभकामनाएं चाहता हूँ।
मैं रविवार 07 नवम्बर 2021 को अपने जन्मदिन पर आप सबको सायं 7 बजे से मेरे सम्मान में आयोजित होने वाली अन्तरराष्ट्रीय आभासी गोष्ठी और संचार माध्यम शब्द कोश के राजस्थानी रुपान्तरण के लोकार्पण के अवसर से जुड़ने के लिए आमंत्रित कर रहा हूँ। मैं केक काटकर जन्मदिन नहीं मनाता। मुझे इस मौके पर बौद्धिक चर्चा कराने में रुचि है। पिछली बार जल संचयन पर हिन्दू कालेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में गोष्ठी की थी। उससे पहले दौलतराम कॉलेज में संगोष्ठी की थी। मैं शराब, मांस, अंडे, मछली, नशे के विरूद्ध हूँ। केवल सलाद और फलों पर जोर देता हूँ। इसलिए 81 वर्ष में न कभी बीमार पड़ा, न बुखार, जुकाम, खांसी, हदय रोग, लीवर, फेफड़ों की तकलीफ हुई। बचपन से ही शाकाहारी रहा हूँ। शिक्षकों का लाडला रहा हूँ। इसलिए नौकरी के लिए कभी अर्जी नहीं देनी पड़ी। आठवीं कक्षा उत्तीर्ण करके अपने पिताजी से कह दिया कि अब आप से कोई पैसा नहीं लूंगा। अपने सहपाठियों की नवीं कक्षा से ट्यूशन करता रहा। अच्छे अंक आते रहे। शुल्क मुक्ति मिलती रही और पी.एच.डी. हो गई।
81 बेमिसाल वर्षों में कम से कम 8। उपलब्धियां मिल गईं। न कभी पैसे की कमी रही, न कभी किसी के आगे हाथ फैलाया। दो कॉलोनियां बसा दी – पहली रोहिणी, दिल्ली में, और दूसरी गोराबाज़ार, गाजीपुर (पूर्वी उत्तर प्रदेश) में। कई संस्थाएं बना दीं। कई हिन्दी और अंग्रेजी में पत्रिकाएं निकाल दीं। न कभी किसी से दबा, न डरा। हमेशा अपनी शर्तों पर जीवन जिया।
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- प्रो. रामजी लाल जांगिड, शनिवार, 06 नवम्बर 2021