Search Results for: प्रकृति
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कोरोना : प्रकृति के शोषण से जड़ी बूटियाँ प्रभावहीन हो जाती हैं
🔊 सुनें आयुर्वेद की नीव अथर्ववेद ही है –इस वेद का सबसे उल्लेखनीय विषय आयुर्विज्ञान ही है \ –अथर्ववेद में…
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अयोध्या
शास्त्रों में राम के विविध रूप
🔊 सुनें डा चन्द्रविजय चतुर्वेदी ,प्रयागराज। चंद्रविजय चतुर्वेदी भारतीय शास्त्रों में राम के विविध रूप हैं। राम का…
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पर्यावरण
भारतीय सांस्कृतिक रिक्थ और पर्यावरण
🔊 सुनें डा चंद्र्विजय चतुर्वेदी ,प्रयागराज भारतीय संस्कृति की मान्यता है कि मानव पञ्च महातत्वों –जल ,अग्नि ,आकाश, पृथ्वी ,तथा…
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धर्म
सूर्य ब्रह्मांड की आत्मा हैं
🔊 सुनें मकर संक्रांति पर्व पर वरिष्ठ लेखक और भारतीय संस्कृति के विद्वान हृदय नारायण दीक्षित का लेख – सूर्य…
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प्रमुख खबरें
जोशीमठ त्रासदी के लिए कौन जिम्मेदार?
🔊 सुनें अभी कुछ समय पहले तक उत्तराखंड का रैनी गाँव सुर्खियों में था। और अब, पास का ही जोशीमठ खबरों…
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प्रमुख खबरें
जोशीमठ त्रासदी पर सुंदर लाल बहुगुणा की याद
🔊 सुनें विनोद कोचर उत्तराखंड में चमोली जिले के जोशीमठ में जमीनें फट रही हैं, पहाड़ खिसक रहे हैं, जमीन से पानी के स्रोतफूट रहे हैं। ऐसे में पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा की यादें फिर से ताजा हो गई हैं। मत प्रकृति अंग पर कर प्रहार’ यह शत्रु नहीं, जननी उदार!! आज नौ जनवरी को उनका जन्मदिवस है और जोशीमठ सहित पहाड़ों में विकास के नाम पर किए जा रहेनिर्माण कार्यों के खिलाफ फिर से बड़े आंदोलन की जरूरत महसूस होने लगी है क्योंकि विकास के नाम परजिस तरह से पहाड़ों का सीना चीरा जा रहा है,धरती के नीचे लंबी लंबी विशालकाय सुरंगें खोदी जा रही हैं, प्रकृति के साथ बलात्कारकिया जा रहा है, उसके खिलाफ समय समय पर बहुगुणाजी आंदोलन करते रहे। आज उनकी जन्मतिथि पर एक बार फिर से उत्तराखंड के पर्यावरण को बचाने के लिए एक बड़े आंदोलन कीजरूरत महसूस की जा रही है। …
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स तीर्थराजो जयति प्रयागः –तीन
🔊 सुनें गतांक से आगे डा चंद्र्विजय चतुर्वेदी चंद्रविजय चतुर्वेदी सितासिते यत्र तरंग चामरेंनद्यो विभाते मुनि भानु कन्यके नीलात्पत्रम वट…
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स तीर्थराजो जयति प्रयागः –एक 
🔊 सुनें डा चन्द्रविजय चतुर्वेदी भारतीय संस्कृति की विशिष्टता प्रकृति के साथ तादात्म्य है |भारतीय मानस में गंगा -यामुना जैसी…
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स्वास्थ्य
गोवा में कल्पवास
🔊 सुनें कई मित्रों ने यह जानने की उत्सुकता ज़ाहिर की है कि भला मैं गोवा में क्या कर रहा था ? एक शब्द में कहूँ मैं गोवा में कल्पवास कर रहा था , यानी प्रकृति के बीच रहते हुए आहार और सेहत पर एक कार्यशाला अटेंड कर रहा था. राम दत्त त्रिपाठी इसका आयोजन एक पत्रकार मित्र ने ही किया था और प्रशिक्षक ग़ाज़ियाबाद दिल्ली से आयी थीं . सबसे जरूरी बात यह कि हम गोवा के मडकई गॉंव के जिस कैम्पस में टिकाये गये वह एक छोटे से गाँव में यह कैम्पस अद्भुत है . यहॉं तरह -तरह के पेड. पौधे वनस्पतियाँ हैं . आम , जामुन , नारियल , सुपारी , तेज पत्ता . इलायचीऔर काली मिर्च आदि आदि. इसलिए हवा में औषधियॉं . जैसे कभी लोग नैनीताल के भुवाली में स्वास्थ्य लाभके लिए जाते थे. इसलिए यहाँ रहना प्रयागराज के कल्पवास जैसा…
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पर्यावरण
पर्यावरण विनाश के मूल में कंपनी और सरकार का भ्रष्टाचार
🔊 सुनें राम दत्त त्रिपाठी , वरिष्ठ पत्रकार बड़ी कंपनियों और सरकारों का मिला जुला भ्रष्टाचार दुनिया के पर्यावरण को…
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