जोशीमठ त्रासदी पर सुंदर लाल बहुगुणा की याद

           विनोद कोचर 

उत्तराखंड में चमोली जिले के जोशीमठ में  जमीनें फट रही हैं, पहाड़ खिसक रहे हैं,  जमीन से पानी के स्रोतफूट रहे हैं। ऐसे में पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा की यादें फिर से ताजा हो गई हैं। 

मत प्रकृति अंग पर कर प्रहार’

यह शत्रु नहीं, जननी उदार!!

         आज नौ जनवरी को उनका जन्मदिवस है और जोशीमठ सहित पहाड़ों में विकास के नाम पर किए जा रहेनिर्माण कार्यों के खिलाफ फिर से बड़े आंदोलन की जरूरत महसूस होने लगी है क्योंकि विकास के नाम परजिस तरह से पहाड़ों का सीना चीरा जा रहा है,धरती के नीचे लंबी लंबी विशालकाय सुरंगें खोदी जा रही हैं, प्रकृति के साथ बलात्कारकिया जा रहा है, उसके खिलाफ समय समय पर बहुगुणाजी आंदोलन करते रहे। 

    आज उनकी जन्मतिथि पर एक बार फिर से उत्तराखंड के पर्यावरण को बचाने के लिए एक बड़े आंदोलन कीजरूरत महसूस की जा रही है।

                   1976 में तत्कालीन गढ़वाल मंडलायुक्त महेश चंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञों कीकमेटी ने जोशीमठ में ऐसे खतरों को लेकर सचेत किया था। कई कमेटियों की रिपोर्ट यहां अनियोजित निर्माणपर सवाल उठाती रही है। 

            पीएम मोदी या उनके सलाहकारों को क्या ये मालूम नहीं कि उत्तराखंड भूकंप के सबसे खतरनाकजोन-5 में आता है और वहाँ कम तीव्रता वाले भूकंप लगातार आते ही रहते हैं?

             लेकिन पीएम मोदी की संघवादी देशभक्ति का पैमाना कुछ और ही है।

       इसीलिए, पीएम मोदी के सपनों का आल वेदर रोड और ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक बन रहे 125 किलोमीटर लंबे रेल प्रोजेक्ट को साकार करने के लिए उत्तराखंड के चार जिलों-चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी औरपौड़ी के श्रीनगर, मलेथा गौचर जैसे गांवों के नीचे से रेलों को दौड़ाने के लिए सुरंगें खोदी जा रही हैं जिनके लिएबारूदी धमाके किये जा रहे हैं जिनके चलते, घरों में दरारें आ रही हैं।इन परियोजनाओं के अलावा भी, बदरीनाथका मास्टर प्लान और जल विद्युत योजनाओं पर भी काम चल रहा है जिनके चलते भी,पहाड़ों को छलनी करनेका सिलसिला खत्म नहीं हो रहा है।

                              शहरों और गांवों की बसाहट वाली धरती के नीचे से सुरंगें खोदने वाली मोदीजी के सपनोंकी रेल प्रोजेक्ट के कारण श्रीनगर के घरों में आ रही दरारों से क्षुब्ध होकर , धरने पर बैठने की धमकी देने वालेउत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत को समझाने के लिए बैठाई गई जांच की रिपोर्ट भी तब, डर के साये मेंलिपटी हुई नजर आई जब जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के जांच अधिकारियों ने ये रिपोर्ट देकर पीएममोदी की विनाशकारी रेल प्रोजेक्ट को क्लीन चिट दे डाली कि मकानों में आ रही दरारों का कारण रेल प्रोजेक्टनहीं है।

           उत्तराखंड की विनाशलीला का निरंतर बढ़ता जा रहा खतरा अब राहत कामों और लोगों की रक्षा केकामों तक ही सिमट कर रह गया है।प्रकृति के विनाश की परियोजनाएं थमने का नाम तक नहीं ले रही हैं।

           उत्तराखंड और केंद्र में भाजपा की डबल इंजिन सरकारें, उत्तराखंड को खून के आंसू रुला रही हैं।

    ऐसे समय में पर्यावरण के गांधी कहे जाने वाले, उत्तराखंड की गुदड़ी के लाल सुंदरलाल जी बहुगुणा बहुतयाद आ रहे हैं😢😢

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