भारत ने नहीं ली बिजली तो नेपाल को दस अरब का नुकसान
काठमांडू। आने वाले दिनों में नेपाल यदि भारत को अपनी उत्पादित बिजली नहीं बेच पाता है तो नेपाल को करीब दस अरब का बड़ा आर्थिक नुकसान सहना पड़ सकता है।
यह चेतावनी दोनों देशों के बीच तनाव के माहौल को देखते हुए नेपाल इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (इप्पन) के वाइस प्रेसिडेंट आशीष गर्ग ने दी है।
गर्ग दो दिन पूर्व नेपाल इकोनॉमिक्स जनर्लिस्ट सोसायटी द्वारा आयोजित उर्जा व्यापार के वेबिनार में बोल रहे थे।
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गर्ग ने साफ कहा कि नेपाल की वर्तमान बिजली उत्पादन क्षमता एक हजार तीन सौ साठ मेगावाट है।
इसके आगामी तीन वर्षों में बढ़कर 6हजार मेगावाट हो जाने की संभावना है। शंका जाहिर की कि उत्पादन बढ़ने के साथ खपत में वृद्धि नही हो पाने की संभावना है।
बिजली की खपत की मौजूदा स्थित तथा अधिक उत्पादित बिजली की खपत के लिए नेपाल में औद्योगिकीकरण की भारी कमी है।
मौजूदा ओद्योगिक इकाइयों को देखते हुए अगले तीन वर्षों में बिजली की मांग अधिकतम 17-1800 मेगावाट ही होगी।
उस स्थिति में, अगर बिजली नहीं बेची जाती है तो 4,000 मेगावाट बिजली बर्बाद हो जाएगी।
नेपाल विद्युत प्राधिकरण (एनईए) के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल की रात के समय में 200 मेगावाट बिजली बर्बाद हो गई थी।
दावा किया कि बारिश के मौसम में बिजली बर्बाद होने की मात्रा बढ़ जाएगी।
अभी नेपाल के 70% शहरी क्षेत्रों के लोग रसोई के लिए लकड़ी और गैस का उपयोग कर रहे हैं।
उपाध्यक्ष गर्ग ने कहा,यदि ये लोग इंडक्शन कुकर का प्रयोग शुरू कर दें तो अतिरिक्त 1,000 मेगावाट की खपत बढ़ जाएगी।
इसके अलावा, यदि एक लाख वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदल दिया जाय तो खपत 2,000 मेगावाट बढ़ सकती है।
बिजली का मुख्य बाजार भारत
नेपाल के बिजली का मुख्य बाजार भारत है।
अगर सरकार पहल करती है तो बिजली व्यापार के लिए अभी भी अवसर है।
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उन्होंने कहा कि चीन के साथ अंतरदेशीय ट्रांसमिशन लाइन की निर्माण प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है।
लेकिन निर्माण पूरा होने में कम से कम पांच साल लगेंगे।
और निर्माण के बाद भी, 500 किलोमीटर से अधिक ट्रांसमिशन लाइन को बिजली ले जाना होगा,जो आसान नहीं है।
अभी, नेपाल सरकार जीटूजी में भारत को बिजली बेच सकता है।
मध्यम और दीर्घकालिक में इसे बेचने में कोई समस्या नहीं है।
व्यापार नियम संहिता (सीबीआर) केवल भारतीय बिजली के 10 प्रतिशत खुले बाजार के लिए है।
नेपाल को बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों को बिजली बेचने के लिए भी भारत की मंजूरी की आवश्यकता होगी।
यशोदा श्रीवास्तव