मार्क टली, भारत से  संवेदना ही नहीं ,हनुमान की आस्था के तार से भी जुड़े हैं

राम दत्त त्रिपाठी के साथ बातचीत की समीक्षा 

डा मुदिता तिवारी, प्रयागराज

डा मुदिता तिवारी, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर , प्रयागराज 

यह दो पत्रकारों के मध्य समसामयिक घटनाओं पर हुई एक सार्थक बातचीत है.मार्क टली, भारत से  संवेदना ही नहीं ,हनुमान की आस्था के तार से भी जुड़े हैं .इतनी कम देर की बातचीत में भी दो साथियों के मध्य भारत में शांति और सौहार्द बनाए रखने , प्रदूषण में आई  कमी को बरकरार रखने और इस विपत्ति की घड़ी में कामगारों  के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की गहरी इच्छा झलकती है.

यह दिखाता है कि संवेदनशील पत्रकार सदैव समाज के लिए गहरे प्रतिबद्ध होते हैं ।और यह संयोग नहीं है कि नवजागरण के दौर में जन नायकों ,महान साहित्यकारों ने बतौर पत्रकार जन जागृति का काम करने के साथ ही सरकार की कमियों और व्यवस्था की खामियों को भी इंगित किया । आज भी लोकतंत्र के इस चौथे खंभे की सशक्तता बेहतर भविष्य का निर्माण करेगी

समसायिक विषयों पर मार्क टली  एवम् रामदत्त त्रिपाठी जी के सार्थक संवाद के महत्वपूर्ण बिंदु 

विश्वसनीयता की परवाह किए बगैर यदि हम गंभीर प्रकृतिकी सूचनाओं को संप्रेषित करते हैं तो उन्माद , भ्रम ,अफवाह, आक्रोश के चलते होने वाली हिंसा और बढ़ते वैमनस्य में हमारा सक्रिय योगदान होता है ।लोग परिवार के प्रति तो जिम्मेदारी का वहन नहीं कर रहे है, ऐसे में देश के प्रति जिम्मेदारी की कितनी आशा रखी जा सकती है ! इसलिए फेक न्यूज़ एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है ।

विश्वसनीयता की परवाह किए बगैर यदि हम गंभीर प्रकृतिकी सूचनाओं को संप्रेषित करते हैं तो उन्माद , भ्रम ,अफवाह, आक्रोश के चलते होने वाली हिंसा और बढ़ते वैमनस्य में हमारा सक्रिय योगदान होता है ।लोग परिवार के प्रति तो जिम्मेदारी का वहन नहीं कर रहे है, ऐसे में देश के प्रति जिम्मेदारी की कितनी आशा रखी जा सकती है ! इसलिए फेक न्यूज़ एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है ।

तात्कालिकता और एकदम नया और ताज़ा की  जो होड़ लगी है उससे मीडिया बिल्कुल अछूता नहीं है ।तबलीगी जमात को लेकर हाल ही में जो फेक नकारात्मक खबरें फैलाई गईं उस पर गहरी आपत्ति दर्ज की दक्षिण एशिया में लंबे समय तक बीबीसी की पहचान रहे वरिष्ठ पत्रकार और लेखक मार्क टली ने।

पुराने सहयोगी और बीबीसी पूर्व संवाददाता रामदत्त त्रिपाठी ने मार्क टली से  बातचीत के दौरान उस लेख के विषय में पूछा जिसमें उन्होंने मोदी सरकार की तारीफ और सोनिया जी के खिलाफ लिखा है ।उन्होंने बताया गूगल को लीगल लेटर लिखने के बावजूद उसमे कोई सफलता प्राप्त नहीं हुई ।

नरम सेंशरशिप  

कुछ चैनल और अखबारों द्वारा तटस्थ तरीके से  सूचना संप्रेषित न किए जाने को सेंसरशिप से  जोड़कर देखे जाने के सवाल पर मार्क ने  कहा, इमरजेंसी के जमाने में बहुत सख्त सेंसरशिप था ।आज वैसा सख्त सेंसरशिप नहीं है ,लेकिन नरम सेंशर है प्रेशर है। 

हनुमान भक्त 

हनुमान भक्त मार्क टली आज भी संकट के समय संकटमोचक को याद करते है। वह कहते हैं कि अपने पत्रकारिता के करियर के दौरान भी वह मुश्किल के समय हनुमान जी को याद करते थे इसलिए उनको हनुमान चालीसा कंठस्थ है। लेकिन उनसे प्रेरणा लेकर , काम करना भी बहुत महत्वपूर्ण है ।

गंगा – जमुना की सफ़ाई  

कॉरोना के चलते लॉक डाउन से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव के संदर्भ में मार्क टली ने एक महत्वपूर्ण बात कही ।उन्होंने कहा ,”गंगा और जमुना नदी  में पानी साफ है. इसके मतलब ये है कि जो कारखाने गंगा के किनारे पर है, वह गंदा पानी डालता है ।” सरकार को चाहिए कि उन औद्योगिक इकाइयों को तभी खुलने दें ,जब वह पॉल्यूशन फीड को बंद करे। जल की स्वच्छता से स्पष्ट है कि प्रदूषण नियंत्रण कागजों पर हुआ था ,ज़मीन पर नहीं । यह भारत में फैले भ्रष्टाचार का जीता जागता साक्ष्य है ।

करीब पांच दशक तक दक्षिण एशिया से लेकर भारत में हर बड़ी घटनाओं के कवर करने वाले और उसके साक्षी रहे मार्क टली वर्तमान में मजबूर मजदूरों के पलायन करने और उनके लगातार हादसे के शिकार होने से व्यथित नजर आते है।

कृपया पूरा  पढ़ें : https://mediaswaraj.com/mark_tully_ganga_corruption_ram_dutt_tripathi/

हमदर्दी का अभाव 

मोदी जी के भाषण में उन्हें मजदूरों के प्रति सहानुभूति नहीं दिखाई देती ।उत्तर प्रदेश सरकार की प्रवासी मजदूरों के प्रति नीतियां उन्हें आश्वस्त नहीं करती हैं ।

अतः इस संदर्भ में उचित और शीघ्र निर्णय लेने चाहिए।

कृपया सुनें राम दत्त त्रिपाठी को https://www.youtube.com/watch?v=S1xijSaKJW8&t=1183s

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