कहीं आपका माइण्ड हैक तो नहीं हो गया

क्या मेरी टाइमलाइन पर मेरी कोई व्यक्तिगत स्वतंत्रता है? शायद नहीं!!!

वीरेंद्र पाठक, प्रयागराज

प्रयागराज जहां सच और गलत का फैसला होता था और यह फैसला विद्वत जन करते थे। कालांतर में महर्षि भरद्वाज की शुरू की गई परंपरा माघ व कुंभ मेला में बदली। लेकिन इसी का निवासी होकर जब मैं यह आंकलन करता हूं कि क्या मैं निष्पक्ष अपनी बात को तटस्थ रूप से अगर रखूं, तो क्या रख पाता हूं शायद नहीं!

अगर मैंने कंगना रनौत के सिर्फ “आजादी भीख में मिली”। बयान जिससे मैं आहत था, अपनी पीड़ा फेसबुक की टाइमलाइन पर व्यक्त करता हूं तो मेरी टाइमलाइन पर आकर कुछ लोग मुझे ही ज्ञान देकर चले जाते हैं। मैंने कई बार स्पष्ट किया कि ना मुझे कंगना रनौत से दिक्कत है और ना उनके अन्य जीवन चरित्र से। लेकिन इस बयान से मैं आहत हूं, मेरी सोच को, मेरे निर्णय को, तथाकथित लोग प्रभावित नहीं कर सकते! क्योंकि “मैं” निर्णय लेता हूं। ना की किसी के प्रभाव में आकर निर्णय लेता हूं।

मजे की बात है कि केंद्र सरकार मोदी जी या प्रदेश सरकार के योगी जी के किसी अच्छे फैसले का समर्थन करूं तो “हाफ पैंटिया” आदि आदि नवाजा जाता है। पहले से ही अलंकारों से लोग नवाजते रहे! आजीवन कांग्रेस से जुड़े रहे एक परिवार के प्रमुख व्यक्ति जो पूर्व कुलपति भी रहे ने, केंद्र की मोदी सरकार की शिक्षा नीति की तारीफ की। यही तारीफ मैंने की, तो कुछ लोग नाराज हो गए।

मजे की बात है कि केंद्र सरकार मोदी जी या प्रदेश सरकार के योगी जी के किसी अच्छे फैसले का समर्थन करूं तो “हाफ पैंटिया” आदि आदि नवाजा जाता है। पहले से ही अलंकारों से लोग नवाजते रहे! आजीवन कांग्रेस से जुड़े रहे एक परिवार के प्रमुख व्यक्ति जो पूर्व कुलपति भी रहे ने, केंद्र की मोदी सरकार की शिक्षा नीति की तारीफ की। यही तारीफ मैंने की, तो कुछ लोग नाराज हो गए।

सपा के जिला अध्यक्ष और सपा के कुछ लोग को चरम पर पहुंचने के कारण मैंने ब्लॉक कर दिया।

बेचारे यह नहीं जानते कि अमित शाह के आने पर दो लड़कियों ने विरोध प्रदर्शन किया था। कुछ लोगों ने शरारत कर उसमें पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाकर इसी सोशल मीडिया पर बदनाम करना शुरू किया। उस समय इसी हाफ पैंटिया ने, मैं सत्य के साथ खड़ा रहा। गलत बात का विरोध किया। सही वीडियो डाला। यह कुछ तथाकथित समाजवादी उस समय हिम्मत भी नहीं कर पा रहे थे।

बहुत पहले मैंने एक लेख लिखा था कि आईटी सेल वालों ने लोगों के “दिमाग हैक” कर लिया हैं। थोड़ा सा ज्यादा झूठ के साथ पोस्ट पर क्रिया पर प्रतिक्रिया के चलते वह किसी न किसी एक पार्टी के साथ अनजाने में लोग खड़े हो जाते हैं। फिर दूसरी पार्टी को किस तरह नीचा दिखाया जाए। इसमें लग जाते हैं। मेरे मित्रों मैं पहले समाज के साथ हूं, फिर देश के साथ खड़ा हूं।

मेरी पीड़ा इस बात से है कि, मेरी स्वतंत्रता मेरी है। मैं जब चाहूं अपनी प्रतिक्रिया दूं या ना दूं। अगर मैं किसी दूसरे की टाइमलाइन पर जाकर कुछ लिखता हूं तो जवाब देह हूं , नही तो नहीं।

बहुत पहले मैंने एक लेख लिखा था कि आईटी सेल वालों ने लोगों के “दिमाग हैक” कर लिया हैं। थोड़ा सा ज्यादा झूठ के साथ पोस्ट पर क्रिया पर प्रतिक्रिया के चलते वह किसी न किसी एक पार्टी के साथ अनजाने में लोग खड़े हो जाते हैं। फिर दूसरी पार्टी को किस तरह नीचा दिखाया जाए। इसमें लग जाते हैं। मेरे मित्रों मैं पहले समाज के साथ हूं, फिर देश के साथ खड़ा हूं।

अगर समाज नहीं रहेगा, तो देश नहीं बन पाएगा!

भूत से सबक लेकर वर्तमान के जरिए भविष्य को बनाना ही समझदारी है। मैं कभी भी किसी भी घृणा के साथ नहीं खड़ा हूं। अधिकतर राजनीतिज्ञों ने घृणा का साम्राज्य खड़ा कर दिया है। राजनीति, व्यवसाय और कैरियर हो गया है। जो लोग कल तक भाजपा पर जो आरोप लगाते थे, आज खुद उसी का आचरण कर रहे हैं। अच्छे और समझदार लोग चुप है। कुछ लकड़बग्घा अलग-अलग पार्टियों में एकजुट होकर उस ताने-बाने पर हमला कर रहे हैं जिसे सनातन धर्मी यों ने जमाने से मजबूत करके रखा था।

इसे भी पढ़ें:

चित्रकूट में गूंजा ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का नारा, प्रियंका बोलीं, एकजुट हो राजनीति में आएं महिलाएं

मैं किसी राजनैतिक विचारधारा से प्रभावित नहीं हूं और ना ही सार्वजनिक रूप से उस पर टिप्पणी करना चाहता हूं। जिस तरह धर्म व्यक्तिगत है उसी तरह राजनीति भी मेरे लिए व्यक्तिगत है। जो अच्छा करेगा, भाजपा, मोदी जी कंगना राणावत योगी जी या कोई अन्य सबकी तारीफ करूंगा।

पक्षपात और देश समाज को तोड़ने वाले लोगों के साथ कैसे खड़ा हो जाऊं? जबकि मेरी बुद्धि भी है और लोभ वा लाभ में अंधा नहीं हूं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

eighteen − four =

Related Articles

Back to top button