राष्ट्रपति चुनाव : आदिवासी मुर्मू बनाम पूर्व बिहारी अफसर सिन्हा के मायने


चंद्र प्रकाश झा *

Chandra Prakash Jha
चंद्रा प्रकाश झा, वरिष्ठ पत्रकार

भारत के मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का कार्यकाल 25 जुलाई 2022 को खत्म होने के पहले नए राष्ट्रपति का चुनाव हो जाएगा। आठ बरस से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए ये चुनाव अब आसान हो गया है। चुनावी रसायन और गणित के कारण आम धारणा है इसका परिणाम वही होगा जो मोदी जी चाहेंगे। इस चुनाव में भाजपा के नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) की प्रत्याशी और ओडिशा में भाजपा की नेता रहीं द्रौपदी मुर्मू ने आज मोदी जी और अन्य बड़े नेताओं की उपस्थिति में पर्चा दाखिल कर दिया।

उनका मुकाबला बिहार मे भारतीय प्रशासनिक सेवा आईएएस के अफसर रहे और केंद्र सरकार में वित्त और फिर विदेश मंत्री रहे यशवंत सिन्हा से होगा जिनके 27 जून को पर्चा दाखिल करने की घोषणा की गई है। उन्हें 21 जून को 14 विपक्षी दलों ने यशवंत सिन्हा को अपना साझा प्रत्याशी बनाने की घोषणा की। कहते हैं कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के दबाव में यशवंत सिन्हा का नाम आया।

यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार छन्ने के लिए विपक्षी नेताओं की बैठक

यशवंत सिन्हा

यशवंत सिन्हा को कांग्रेस के यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) ने ही नहीं बल्कि कम्युनिस्ट पार्टियों के वामपंथी मोर्चा (वामो) ने संयुक्त रूप से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। वह पटना यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में एमए कर आईएएस अधिकारी बने। उन्होंने सियासत में उतारने के लिए 1984 में आईएएस से इस्तीफा दे दिया। वह राजनीतिक जीवन के शुरुआती दौर में दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से जुड़े। उन्हें 1988 में राज्यसभा के लिए चुना गया। वह कांग्रेस समर्थित चार माह टिकी चंद्रशेखर सरकार में केन्द्रीय वित्त मंत्री रहे। वह कांग्रेस के समर्थन वापसी से चंद्रशेखर सरकार गिर जाने पर भाजपा में आ गये और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 1998 से 2002 तक वित्त मंत्री रहे और 2002 से 2004 तक  विदेश मंत्री रहे। वह अपैल 2018 तक भाजपा में रहे।  मार्च 2021 में वह टीएमसी में शामिल होकर उसके उपाध्यक्ष हो गये।

उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनने के लिए टीएमसी से इस्तीफा दे दिया। कहते हैं इसमें चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर भूमिका थी। यशवंत सिन्हा ने बाद के दिनों में बिहार की बजाय झारखंड को अपना चुनाव क्षेत्र बनाया।वह हजारीबाग से कई बार सांसद चुने गये। अभी उनके पुत्र और पूर्व वित्त-राज्यमंत्री जयंत सिन्हा वहाँ से भाजपा सांसद हैं जो लोक सभा के 2014 और 2019 के चुनावो में भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते। झारखंड मे रामगढ़ के  2018 के कुख्यात लिंचिंग मामले के दोषियों को फूल-माला देकर लड्डू खिलाते उनकी तस्वीरें मीडिया में वायरल हुई थी। भाजपा छोड़ने से पहले यशवंत सिन्हा का सांप्रदायिक तनाव के मामलों में नाम आया। वह अप्रैल 2017 में रामनवमी के प्रतिबंधित रूट पर जुलूस निकालने के लिए झारखंड की हजारीबाग पुलिस के हिरासत में रखे गए थे। अप्रैल 2014 में यशवंत सिन्हा ने नरेंद्र मोदी का गुजरात दंगों के आरोपों को लेकर बचाव किया

द्रौपदी मुर्मू

द्रौपदी मुर्मू ऑडिसा के मयूरभंज जिले के आदिवासी परिवार की हैं। जब वह झारखंड की राज्यपाल थीं वहाँ  भाजपा की रघुवर दास सरकार थी जिसने आदिवासियों पर जुल्म किये। बड़े पैमाने पर युवाओं की गिरफ्तारियां हुईं। अनेक किशोर-वय के लोगों और बुजुर्गों को राजद्रोह के मामलों में फंसाया गया।झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की गठबंधन की हेमंत सोरेन सरकार बनने पर उन फर्जी मामलों को वापस लिया जाने लगा। द्रौपदी मुर्मू ने कठिन परिस्थितियों में पढ़ाई कर पाद रायरंगपुर के श्री ऑरोबिंदों इंटिग्रल एजुकेशन सेंटर में कुछ समय तक पढ़ाया भी. वह संथाल जनजाति की हैं। उनके पति और दो पुत्रों की अकाल मृत्यु हो गयी थी। वह राजनीति में आने से पहले अध्यापिका और सरकारी क्लर्क रहीं। अभी 64 बरस की द्रौपदी भुबनेश्वर के रामदेवी वीमेंस कॉलेज से बीए पास हैं वह उड़ीसा मे बीजू जनता दल और भाजपा की गठबंधन सरकार में मंत्री भी रही। 

ओडिशा के मयूरभंज ज़िले के बैडपोसी गाँव में जन्मी और रायरंगपुर से दो बार भाजपा की विधायक रही द्रौपदी मुर्मू का निजी जीवन त्रासदी से गुज़रा है. बैंक ऑफ इंडिया में कार्य रत रहे उनके पति और किशोर वय संतान की अकाल मृत्यु हो गई। वह ईसाई नहीं बल्कि हिन्दू धर्मावलम्बी हैं.

राष्ट्रपति पद

भारत के राष्ट्रपति उसकी सेनाओं के सुप्रीम कमांडर भी होते है। पद पर एक कार्यकाल पाँच बरस का है। सिर्फ भारत की संविधान सभा के अध्यक्ष रहे डॉ. राजेन्द्र प्रसाद दो बार राष्ट्रपति रहे। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में नौ जुलाई को निर्वाचन आयोग के नए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में दूसरे चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पाण्डेय और उपआयुक्त धर्मेन्द्र शर्मा की उपस्थिति में राष्ट्रपति चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिए गए थे। इसके तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानी स्थित विधानसभा के परिसर में 18 जुलाई को वोटिंग है जिसमें बैलेट बॉक्स में डाले गए बैलेट पेपर पर मार्क वोटों की गिनती नई दिल्ली में 21 जुलाई को होगी।

चुनाव की गजट अधिसूचना 15 जून को जारी हुई। तभी से उम्मीदवारों के पर्चे भरने की प्रक्रिया खुली है। पर्चे दाखिल करने की आखरी तारीख 29 जून है। अगले दिन नामजदगी के पर्चों की वैधानिकता की जांच होगी। नामांकन पत्र की वापसी की अंतिम तिथि दो जुलाई है।इस चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर राज्यसभा सेक्रेटरी जनरल (महासचिव) है।  
चुनाव के लिए वोटिंग समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत एकल हस्तांतरणीय वोट के जरिए होगी। प्रत्येक सांसद के वोट का मूल्य 700 है।सभी सांसदों के वोटों का कुल मूल्य 5,43,200 है। जो सांसद जेल में या हिरासत में है वे वोट डालने के वास्ते परोल पर छूटने के लिए अर्जी दे सकते है।


कयास

कयास लगे थे कि मौजूदा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू या फिर राजीव गांधी सरकार में मंत्री रहे और अभी केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान एनडीए के प्रत्याशी हो सकते है। भाजपा के निलंबित प्रवक्ताओं नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल के इस्लाम धर्म निंदक बयानों से खाड़ी के देशों में मोदी सरकार की हुई भारी किरकिरी पर मामला शांत करने आरिफ मोहम्मद खान का नाम ट्विटर पर ट्रेंड कराया गया जो मूलतः उत्तर प्रदेश के बहराइच के हैं और जहां उन्होंने सांप्रदाईक सद्भाव के लिए राम-रहीम धाम की स्थापना की हैं। वह कांग्रेस से दो बार और जनता दल और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से एक-एक बार लोक सभा सदस्य रहे हैं। वह भाजपा में भी रहे थे और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) छात्र संघ के सचिव और फिर अध्यक्ष चुने गए थे। उनकी पत्नी रेशमा आरिफ़ भी एएमयू में विधि विभाग की छात्रा थी।


निर्वाचक मण्डल

देश के कुल 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 17 में भाजपा की खुद की या सांझा सरकार है। राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए बहुमत 5 लाख 43 हजार 216 वोटों की दरकार है। राष्ट्रपति का चुनाव भारत के नागरिक अप्रत्यक्ष रूप से एक ऐसे निर्वाचक मण्डल के जरिए करते हैं जो संसद के दोनों सदनों के सदस्यों और सभी 25 राज्यों और दिल्ली,पुडुचेरी, जम्मू–कश्मीर के तीन केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों हैं।इसमें अभी 776 सांसद और कुल 4120 विधायक हैं। जम्मू–कश्मीर विधानसभा अभी भंग है। विधायकों के वोटो का कुल वैल्यू 5,43,231 और सांसदों के वोटों का सकल मूल्य 5,43,200 है। सभी वोटरों के वोट का कुल वैल्यू 10,86,431 है। राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग के लिए राजनीतिक दल अपने सांसदों और विधायकों को व्हिप जारी नहीं कर सकते हैं। वोटरों  के वोटों का मूल्य जटिल फार्मूला से तय होता है ताकि सभी सांसदों और विधायकों के वोट का कुल वैल्यू लगभग एकसमान हो और उनके राज्यों की आबादी के भी अनुपात में  बराबर हो। यह व्यवस्था भारतीय संविधान में समाहित एक वोट एक मूल्य के सिद्धांत की बुनियादी गारंटी के अनुपालन में अपनाई गई है। भारत के संविधान के आर्टिकल 55 और 58 के तहत राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति बनने के लिए भारत का नागरिक , जन्मना होना अनिवार्य है। जिन्होंने देश की नागरिकता अपने विवाह के बाद हासिल की वे इस पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते है।

बिहार सब पर भारी

राष्ट्रपति चुनाव निर्वाचक मण्डल में शामिल कुल 4,809 वोटरों में 223 राज्यसभा सदस्य और 543 लोकसभा सदस्य समेत कुल 776 सांसद और विभिन्न राज्यों के 4,033 विधायक शामिल हैं। बिहार के पास राज्यसभा, लोकसभा और विधानसभा तीनों के वोटरों को मिलाकर 81 हजार 687 मूल्य के वोट हैं।प्रत्येक बिहारी विधायक के मत का मूल्य 173 है। विधायकों के कुल मत का वैल्यू 42 हजार 39 है। इसमें एनडीए के दलों के 52252 मत और भाजपा विरोधी दलों के 23970 वोट है। बिहार में भाजपा के 28189, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के जनता दल युनाईटेड ( जेडीयू ) के 23361 पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के 15980, कांग्रेस के 4703, विभिन्न कम्युनिस्ट पार्टियों में से सीपीआईएमएल के 2076, सीपीआई के 346, सीपीएम के 346, हैदराबाद के सांसद  असदुद्दी  ओवेसी की पार्टी एआईएमआईएम के 865, हम पार्टी के 692 और निर्दलीय 173 वोटर हैं।

विकट गणित

निर्वाचक मण्डल में भाजपा के 42 फीसद और उसके सहयोगी दलों के 6 प्रतिशत वोट मिलाकर एनडीए के 48 फीसद वोट हैं। लेकिन उसे आशा है कि वह ओडिसा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल यानि बीजेडी अध्यक्ष नवीन पटनायक और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वायएस जगन मोहन रेड्डी के दल वायएसआरपी की मदद से यह चुनाव जीत लेगा। कुल 772 सांसदों में भाजपा के खुद के 392 सांसद हैं। इनमे चार राज्यसभा के राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत वे चार सदस्य भी शामिल हैं जो वोटर नहीं है।

जगन मोहन रेड्डी और नवीन पटनायक, दोनों ने हाल में नई दिल्ली में मोदी जी से बातचीत की थी।यूपीए की अगुआ कांग्रेस के 13.5 फीसद, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी , जेएमएम , मुस्लिम लीग, एमडीके, वीसीके आदि सहयोगी दलों के 10.5 फीसद वोट मिलाकर कुल मिलाकर करीब 24 फीसद वोट है। यूपीए से बाहर की टीएमसी के 5.4 प्रतिशत, वायएसआरसीपी के 4 फीसद, बीजेडी के 2.85 प्रतिशत और वामपंथी पार्टियों के 2.5 प्रतिशत वोट है। निर्वाचक मण्डल में शेष 12 फीसद वोटर एनडीए और यूपीए दोनों से बाहर अन्य दलों के हैं। सोलहवें राष्ट्रपति चुनाव में विधायकों के वोटों का  मूल्य 5,43,231 और सांसदों के वोट का वैल्यू 10,86,431 है।

विकट रसायन

ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए 15 जून को विपक्ष के 22 नेताओं को पत्र लिख कर नई दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में बुलाई बैठक में आमंत्रित किया। यूपीए की चेयरपर्सन और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस चुनाव विपक्ष की तरफ से आम सहमति से सांझा उम्मीदवार खड़ा करने के लिए ममता बनर्जी, पूर्व रक्षा मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार के साथ ही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सवादी यानि सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी से भी संपर्क साधा। उन्होंने इन नेताओं को कहा कि इस बारे में आगे की बातचीत के लिए राज्यसभा में विपक्ष के नेता मलिकार्जुन खड़गे कांग्रेस की तरफ से अधिकृत है।

जानकार सूत्रों के अनुसार खड़गे ने इस बारे में उपरोक्त दलों के अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एवं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रविड मुनेत्र कषगम यानि डीएमके के नेता एमके स्टालिन से भी फोन पर बातचीत की। लेकिन उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव से उनकी बातचीत नहीं हो सकी, जिन्होंने 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के संयुक्त प्रत्याशी और लोक सभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार का समर्थन किया था। खड़गे की दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी यानि आप के अध्यक्ष अरविन्द केजरीवाल से भी बातचीत नहीं हुई जिनके दल की अब पंजाब में भी सरकार है। कांग्रेस की तेलंगाना के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्र समिति यानि टीआरएस पार्टी के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव से भी कोई बातचीत नहीं हो सकी।  
प्रत्याशी के नामांकन पत्र पर निर्वाचक मण्डल के कम से कम 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदनकर्ता का हस्ताक्षर अनिवार्य है। ये शर्त बाद में रखी गई ताकि कोई अगंभीर प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ सके। पहले काका जोगिंदर सिंह धरतीपकड़ बरेली वाले भी मजाक– मजाक में अपने नामांकन के पर्चे दाखिल कर उम्मीदवार बन जाते थे।

पिछला चुनाव

निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द मूलतः उत्तर प्रदेश के हैं। वह राष्ट्रपति बनने के पहले 1991 में भाजपा में शामिल होने के बाद इसी प्रदेश से राज्यसभा के लिए 1994 और 2000 में चुने गए थे। वह 8 अगस्त 2015 से बिहार के राज्यपाल रहे। कहते हैं उनकी उम्मीदवारी मोदी जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( आरएसएस ) के सरसंघचालक (प्रमुख) मोहन भागवत की सहमति से तय की थी। कोविन्द जी का जन्म एक अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिला की डेरापुर तहसील के परौंख गाँव में हुआ था। वह कोली / कोरीजाति से है जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जातियों में और गुजरात एवं उड़ीसा में अनुसूचित जनजातियों में शामिल है। वह विधि स्नातक होने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट में 1977 से 1979 तक केंद्र सरकार के वकील रहे। उन्हें एनडीए ने 19 जून 2017 को राष्ट्रपति चुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित किया। चुनाव परिणाम 20 जुलाई 2017 को घोषित हुआ जिसमें एनडीए प्रत्याशी ने 65.65 फीसद वोट पाकर कांग्रेस की अगुवाई के यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) की प्रत्याशी और दिवंगत पूर्व रक्षा मंत्री जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार को करीब 3 लाख 34 हजार वोटों के अंतर से हरा दिया। भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) में अधिकारी रही मीरा कुमार लोकसभा की पूर्व स्पीकर हैं।

इतिहास

भारत के संविधान के पूर्ण बल से 26 जनवरी 1950 को गणराज्य में परिणत होने के बाद कुल 14 राष्ट्रपति हुए हैं। थोड़े समय के लिए तीन कार्यवाहक राष्ट्रपति हुए। इनमें 1969 मे राष्ट्रपति पद पर जाकिर हुसैन के निधन के उपरांत वीवी गिरी प्रमुख हैं जो कुछ ही माह बाद राष्ट्रपति चुने गए। वह एकमात्र व्यक्ति हैं जो कार्यवाहक राष्ट्रपति और राष्ट्रपति भी रहे। आठ राष्ट्रपति ऐसे रहे जो इस पद पर चुने जाने के पहले किसी राजनीतिक दल में थे। उनमें से छह कांग्रेस के, एक नीलम संजीवा रेड्डी, जनता पार्टी के और रामनाथ कोविन्द भाजपा के सदस्य थे। दो राष्ट्रपति, डा. जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अली अहमद का निधन इस पद रहते हुआ। तब नए राष्ट्रपति चुने जाने तक तत्कालीन उपराष्ट्रपति को कार्यवाहक राष्ट्रपति का पदभार सौंपा गया था।जाकिर हुसैन के निधन पर दो कार्यवाहक राष्ट्रपति हुए। तत्कालीन उपराष्ट्रपति गिरी ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद हिदायतुल्ला कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। उस बार राष्ट्रपति चुनाव में स्वतंत्र प्रत्याशी वीवी गिरी का तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी ही पार्टी के दिग्गज नेताओं द्वारा नियंत्रित कांग्रेस के आधिकारिक प्रत्याशी नीलम संजीवा रेड्डी के खिलाफ समर्थन कर दिया था। 2007 में प्रतिभा पाटिल को सर्वप्रथम महिला राष्ट्रपति चुना गया। पहला राष्ट्रपति चुनाव 1952 में हुआ था। सातवें चुनाव में 1977 में 37 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किये जिनकी जांच में 36 के पर्चे खारिज हो गये। एक ही नामांकन पत्र वैध पाया गया , जो नीलम संजीव रेड्डी का था।

वरीयता

वोटर, प्रत्याशियों को अपनी अपनी पसंद के प्रथम वरीयता , द्वितीय वरीयता आदि के हिसाब से वोट दे सकते है। बैलट पेपर पर वोटरों के प्रथम वरीयता के वोट मार्क करना अनिवार्य है वरना वह वोट अवैध हो जाएगा। वोटिंग बूथ पर वोटरों को बैलट पेपर पर मारकिंग के लिए निर्वाचन आयोग अपने अधिकारी के जरिए खास कलम देगा। और किसी कलम से मारकिंग करने पर वोट खारिज कर दिया जाएगा। वोटिंग और वोटिंग के बाद बैलेट बॉक्स को नई दिल्ली में निर्वाचन आयोग तक पहुंचाने के लिए सभी राज्यों में सहायक रिटरनिंग ऑफिसर नियुक्त किये गए है।  

 

*सीपी नाम से चर्चित पत्रकार,यूनाईटेड न्यूज ऑफ इंडिया के मुम्बई ब्यूरो के विशेष संवाददाता पद से दिसंबर 2017 में रिटायर होने के बाद बिहार के अपने गांव में खेतीबाडी करने और स्कूल चलाने के अलावा स्वतंत्र पत्रकारिता और पुस्तक लेखन करते हैं.

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