PM को खत, IIM छात्रों ने लिखा, आपकी चुप्पी…
IIM छात्रों का PM को खत
बीते कुछ दिनों में देश में अलग अलग समुदायों के बीच नफरत और दूरियां बढ़ता देख आईआईएम छात्रों ने पीएम को खत लिखा है। बताने की जरूरत नहीं कि बीते कुछ महीनों में कहीं ‘धर्म संसद’ के जरिये देश में नफरत का जहर फैलाया जा रहा है तो कहीं अन्य तरीकों से। नफरत का यह जहर देश को खोखला बना रहा है, जिसे देखते हुये शुक्रवार को (IIM छात्रों का PM को खत) IIM के छात्रों और फैकल्टी मेंबर्स ने PM को खत (IIM Students letter to PM) लिखा है।
भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) बेंगलुरू और अहमदाबाद के छात्रों और फैकल्टी मेंबर्स के एक समूह ने शुक्रवार को ( IIM छात्रों का PM को खत) IIM के छात्रों और फैकल्टी मेंबर्स ने PM को खत (IIM Students letter to PM) लिखा है। ) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत (IIM Students letter to PM) लिखा है, जिसमें लिखा है कि आपकी चुप्पी देश में बढ़ रही नफरत को और भी बढ़ा रही है।
IIM छात्रों का PM को यह खत (IIM Students letter to PM) प्रधानमंत्री आफिस को या कहें कि PM को खत मेल किया गया है जिसमें 183 लोगों के हस्ताक्षर हैं, जिसमें IIM बेंगलुरू के 13 और आईआईएम अहमदाबाद के तीन फैकल्टी मेंबर्स के हस्ताक्षर भी हैं।
IIM छात्रों का PM को लिखे खत में नफरत फैलाने वाले भाषण और अल्पसंख्यकों पर हमले का मुद्दा उठाया गया है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हेट स्पीच और जाति आधारित हिंसा के खिलाफ बोलने की अपील की गई है।
स्टूडेंट्स और फैकल्टी मेंबर्स ने लेटर के माध्यम से कहा कि देश में बढ़ती असहिष्णुता पर आपकी चुप्पी हम सभी के लिए निराशाजनक है। आपकी चुप्पी नफरत भरी आवाजों को बढ़ावा दे रही है और देश की संप्रभुता और अखंडता को भयभीत कर रही है। उन्होंने खत के माध्यम से पीएम से अपील की कि देश को बांटने वाली इन ताकतों को यहां से दूर भगायें।
बेंगलुरू के पांच फैकल्टी सदस्यों ने यह खत ड्राफ्ट किया है। ये हैं- स्ट्रैटजी के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रतीक राज, पब्लिक पॉलिसी के एसोसिएट प्रोफेसर दीपक मल्घान, एंटरप्रेन्योरशिप के एसोसिएट प्रोफेसर दल्हिया मानी, डिसीजन साइंसेज के एसोसिएट प्रोफेसर राजलक्ष्मी वी मूर्ति और पब्लिक पॉलिसी के एसोसिएट प्रोफेसर हेमा स्वामीनाथन। बता दें कि मल्घन एक जाने माने इकोलॉजिकल इकोनोमिस्ट हैं।
छात्रों और फैकल्टी मेंबर्स के सदस्यों के इस समूह ने प्रधानमंत्री को यह खत लिखने का निर्णय इसलिये लिया क्योंकि उन्हें लगा कि चुप्पी इन सबका समाधान नहीं हो सकती।
एक नजर पूरी चिट्ठी पर डालें..
माननीय प्रधानमंत्री जी,
देश में बढ़ती असहिष्णुता पर आपकी चुप्पी हम उन सभी के लिए बेहद निराशाजनक है, जो देश के बहु-सांस्कृतिक ताने-बाने को महत्व देते हैं। प्रधानमंत्री जी, आपकी चुप्पी ने नफरत भरे भाषणों को प्रोत्साहित किया है और देश की एकता व अखंडता के लिए खतरा पैदा किया है। हम आपके नेतृत्व से हमारे दिलो-दिमाग को एक राष्ट्र के रूप में तब्दील करने, हमारे लोगों के खिलाफ नफरत भड़काने से (हमें) दूर ले जाने का आग्रह करते हैं। हमारा मानना है कि कोई समाज क्रिएटिविटी, इनोवेशन और समृद्धि पर ध्यान केंद्रित कर सकता है या समाज खुद में विभाजन पैदा कर सकता है।
अभी हमारे देश में डर की भावना है। हाल के दिनों में चर्च सहित पूजा स्थल पर तोड़फोड़ की गई और हमारे मुस्लिम भाइयों-बहनों के खिलाफ हथियार उठाने का आह्वान किया गया था। ये सभी चीजें कानून के डर के बगैर की गईं। संविधान ने लोगों को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता का गरिमा के साथ, बगैर भय और शर्म के आचरण करने का अधिकार दिया है। हम लोग एक ऐसे भारत का निर्माण करना चाहते हैं, जो विश्व में समावेशिता और विविधता का एक उदाहरण बने और आप एक प्रधानमंत्री के तौर पर सही विकल्प चुनने की दिशा में देश को आगे ले जाएं।
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हरिद्वार में मुसलमानों के खिलाफ हेट स्पीच
बता दें, हाल ही में हरिद्वार में धर्म संसद में हेट स्पीच का मामला सामने आया था। धर्म संसद में कुछ हिंदू धार्मिक नेताओं ने लोगों से मुसलमानों के खिलाफ हथियार उठाने और नरसंहार का आह्वान किया था। हरिद्वार के भूपतवाला स्थित वेद निकेतन धाम में तीन दिवसीय धर्म संसद 17 से 19 दिसंबर तक चली। इसका विषय ‘इस्लामिक भारत में सनातन का भविष्य’ था।
इसमें स्वामी अमृतानंद, स्वामी सत्यव्रतानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि, स्वामी वेदांत प्रकाश सरस्वती, स्वामी परमानंद, स्वामी ललितानंद महाराज, पंडित अधीर कौशिक समेत कई राज्यों के करीब 500 महामंडलेश्वर-संत शामिल हुए थे।
सेना के 5 पूर्व प्रमुखों समेत 100 से अधिक लोगों ने भी लिखी थी चिट्ठी
हरिद्वार में धर्म संसद के दौरान हेट स्पीच पर हाल ही में सेना के 5 पूर्व प्रमुखों समेत देश के 100 से ज्यादा प्रमुख लोगों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर विरोध जताया था। पत्र में उत्तराखंड के हरिद्वार और राजधानी दिल्ली में आयोजित अलग-अलग कार्यक्रमों में भारतीय मुसलमानों के नरसंहार के खुले आह्वान पर चिंता जताई गई है। इसमें ईसाई, दलित और सिख जैसे अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का भी उल्लेख है।