PM मोदी को किसानों ने भेजी चिट्ठी, छह मुद्दों पर बातचीत की मांग

तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी है. संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को खत लिखकर छह मुद्दों पर बातचीत की मांग की है.

तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी है. संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को खत लिखकर छह मुद्दों पर बातचीत की मांग की है.

बस, चार और दिन. आने वाले 26 नवंबर को किसान आंदोलन का एक साल पूरा हो जाएगा. इससे कुछ दिन पहले पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के ऐलान के बाद सोमवार को लखनऊ में किसान पंचायत का आयोजन किया गया. इससे पहले रविवार को भी संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बैठक की थी, जिसमें फैसला लिया गया कि किसान आंदोलन फिलहाल जारी रहेगा. किसान नेताओं का कहना है कि अभी तक फसल के पूरे दाम मिलने (एमएसपी गारंटी बिल) की मांग नहीं मानी गई है.

एसकेएम ने लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए केंद्रीय कानून समेत किसान आंदोलन की लंबित मांगों को लेकर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र भेजा है. किसान नेताओं ने अपने पहले घोषित कार्यक्रमों को जारी रखने का भी निर्णय लिया है. सोमवार को योजना के मुताबिक लखनऊ में एक रैली के बाद एसकेएम की अगली बैठक 27 नवंबर को घटनाक्रम की समीक्षा करने के लिए होगी और ‘संसद चलो’ मार्च 29 नवंबर को होगा.

पीएम की इस घोषणा का किसान संगठनों ने स्वागत किया है लेकिन वे अभी धरना स्थलों से वापस जाने के लिए तैयार नहीं हैं। किसान संगठन सरकार एमएसपी पर कानून बनाने सहित कुछ अन्य मांगों पर सरकार से भरोसा चाहते हैं। उन्होंने अपनी मांगों को लेकर पीएम को पत्र लिखा है।

आइए यहां जानते कि उनकी छह मांगें क्या हैं-

  1. एमएसपी पर कानूनी गारंटी
  2. बिजली संशोधन विधेयक की वापसी
  3. पराली जलाने पर किसानों पर दर्ज मामलों की समाप्ति
  4. विभिन्न राज्यों में प्रदर्शन के दौरान किसानों पर दर्ज मामलों की वापसी
  5. गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा की गिरफ्तारी एवं मंत्रिमंडल से बाहर की मांग
  6. आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले करीब 700 किसानों के परिजनों को मुआवजा

एसकेएम का कहना है कि छह में से अंतिम तीन उसकी मांगें नई हैं। ये तीन मांगें अभी उसकी तरफ से नहीं उठाई गई थीं। इसलिए इन नई मांगों का भी तुलंत हल निकाला जाना जरूरी है। एसकेएम ने कहा कि 22 नवंबर को लखनऊ में होने वाली किसान महापंचायत की बैठ​क में भी इन मांगों पर चर्चा की जाएगी। तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने की पीएम मोदी की घोषणा का स्वागत करते हुए मोर्चा ने कहा कि उसे उम्मीद है कि सरकार अपने वादे को जल्द से जल्द पूरा करेगी। खास बात है कि एसकेएम ने एमएसपी तय करने के लिए सरकार को नया फॉर्मूला सी2+50% सुझाया है।

संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू हो हो रहा है। इसके दो दिन पहले मोर्चा 27 नवंबर को अपनी बैठक करेगा। इस दौरान उनकी मांगों को लेकर सरकार का रुख क्या करता है, इसे देखते हुए मोर्चा इस बैठक में भविष्य की अपनी रणनीति बनाएगा।

इस बीच सूत्रों का कहना है कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के विधेयकों को बुधवार को कैबिनेट से मंजूरी मिल सकती है। मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद इन विधेयकों को संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा है कि वे संसद द्वारा कानून निरस्त किए जाने तक प्रदर्शन स्थल पर डटे रहेंगे।

सिंधु बॉर्डर पर किसान आंदोलन मुख्यालय में अपनी पहली बैठक में प्रधानमंत्री द्वारा शुक्रवार को अपनी सरकार के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के निर्णय की घोषणा के बाद एसकेएम ने देश के सभी किसानों और श्रमिकों को अभूतपूर्व एक वर्ष के लंबे संघर्ष के बाद उनकी ऐतिहासिक जीत के लिए हार्दिक बधाई दी.

एसकेएम के एक बयान में कहा गया है, “हम आंदोलन के सभी नागरिकों से अपील करते हैं कि वे सभी दिल्ली के कार्यक्रमों में भाग लें और राज्यों में राज्य स्तर पर किसान-श्रमिक विरोध प्रदर्शन करें.”

बयान में कहा गया नरेंद्र मोदी या उनकी सरकार किसान आंदोलन के लगभग 700 बहादुर किसानों द्वारा किए गए भारी और परिहार्य बलिदान को स्वीकार नहीं करती है.

साथ ही किसानों ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग की गई है. अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर किसानों को जीप से कुचलने का आरोप है. मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा लखीमपुर खीरी हत्याकांड का मुख्य आरोपी है. हिंसा में चार किसान समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.

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