Hunger Deaths in India: सुप्रीम कोर्ट ने भुखमरी पर की सरकार की बोलती बंद, जानें किस बात लगाई फटकार

Hunger Deaths in India: देश-दुनिया में सर्वे के आंकड़े यह बता रहे हैं कि भारत में न केवल भूख की समस्या है बल्कि इतनी प्रभावी है कि भूख से लोगों की जानें जा रही हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने भूखमरी पर की सरकार की बोलती बंद, जानें किस बात लगाई फटकार
Source: Social Media

Hunger Deaths in India: सुप्रीम कोर्ट केंद्र ने केंद्र सरकार को एक बार फिर से फटकार लगाई है. देश में एक भी व्यक्ति की मौत भूख से नहीं हो रही है, इस बात को जब केंद्र सरकार ने कोर्ट के सामने रखा तो उसने भी सरकार को नहीं छोड़ा. कोर्ट ने सरकार के इस रवैये पर हैरत जताई और कहा,’You expect us to believe it!’ (सरकार जो भी कहेगी, कोर्ट उसे मान लेगा). कोर्ट ने कहा कि भूख से लोगों की जानें जा रही हैं और इसे रोकने के लिए तुरंत कम्यूनिटी किचन शुरू किया जाना चाहिए.

कोर्ट ने सरकार की बात का खंडन करते हुए कहा कि देश-दुनिया में सर्वे के आंकड़े यह बता रहे हैं कि भारत में न केवल भूख की समस्या है, बल्कि इतनी प्रभावी है कि भूख से लोगों की जानें जा रही हैं. साथ ही कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा कि वो कम्यूनिटी किचन की व्यवस्था करे और सुनिश्चित करे कि एक भी व्यक्ति की मौत भूख से नहीं हो. हालांकि देखने वाली बात यह है कि इस पूरे खर्चे का वहन कौन करता है. फटकार लगाने के बाद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल(K.K. Venugopal) ने इसका उत्तरदायी राज्य सरकारों को बताया. उन्होंने कहा कि केंद्र ने जो कुछ भी कहा है वह सभी आंकड़ें राज्य सरकारों के दावों पर आधारित हैं. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि किसी राज्य सरकार ने नहीं माना कि उसकी राज्य सीमा में किसी भी व्यक्ति की मौत का कारण भूख है.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश:
चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने एजी के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘कुपोषण और भूख का एक-दूसरे से गहरा रिश्ता है, जैसे भी हो, भूख मिटानी ही पड़ती है. सरकार का यह दायित्व है कि भूख से पीड़ित लोगों को भोजन उपलब्ध कराए. इसके लिए ग्रामीण इलाकों में जगह-जगह कम्यूनिटी किचन खोले जाने की जरूरत है.’

केंद्र सरकार से आर्थिक मदद
चीफ जस्टिस ने राज्यों से पेश किये हलफनामों को पढ़ते हुए एजी वेणुगोपाल से कहा कि राज्य सरकारें कम्यूनिटी किचन खोलने के लिए तैयार हैं, पर शर्त यह है कि केंद्र सरकार मौजूदा अनाज कोटा को 2% बढ़ाकर किचन तैयार करने और उसमें लोगों को रखने में आर्थिक मदद कर करे. इस पर एजी ने कहा कि केंद्र अनाज के कोटे को 2% बढ़ाने पर विचार तो कर सकती है परन्तु आर्थिक मदद में सक्षम नहीं है. उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार सामाजिक कल्याण में 131 योजनाएं पहले ही चलाती है और जरूरतमंदों के लिए हर साल लाखों करोड़ रुपये खर्च करती है. अतः कम्यूनिटी किचन पर जो अतिरिक्त खर्च आएगा, उसे राज्य सरकारों को ही उठाना होगा, वें चाहें तो अतिरिक्त टैक्स लगाकर धन इकट्ठा कर सकती हैं.’

ग्राम पंचायत एक अच्छा विकल्प
एजी ने सुझाव देते हुए कहा कि जमीनी स्तर की सरकारी संस्थाएं जैसे पंचायतें कम्यूनिटी किचन चलाने के लिए सर्वोत्तम साबित होंगी क्योंकि उन्हें पता है कि किन इलाकों में कुपोषण की समस्या प्रभावी है. सुप्रीम कोर्ट बेंच ने इस पर सुझाव दिया कि सरकार इस्कॉन (ISKCON) के अक्षय पात्र स्कीम के तौर-तरीकों को भी समझे कि आखिर वह कैसे कई राज्यों में गरीब बच्चों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराता है. याचिकाकर्ता के वकील ने व्यापक योजना तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति की जरूरत बताई. इस पर कोर्ट ने कहा कि वह नीतिगत मुद्दों में उलझना नहीं चाहता बल्कि उसका उद्देश्य भूखों को तुरंत राहत देने पर है.

कम्यूनिटी किचन की रूपरेखा तयारी के निर्देश
कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे दो हफ्तों में कुपोषण और भूख से हो रही मौतों के सारे आंकड़े उपस्थित करें और यह बताएं कि किन-किन इलाकों में यह समस्या बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें अपने हलफनामे अटॉर्नी जनरल को दें जिसके जरिए केंद्र अधिकारी अगले 10 दिनों में योजना की रूपरेखा तैयार कर पाये. कोर्ट ने कहा कि तीन हफ्ते बाद फिर से सुनवाई की जायेगी.

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