ह्यूमैनिटेरियन सोल्जर पुरस्कार 2021 डॉ. अभय बंग को

ह्यूमैनिटेरियन सोल्जर पुरस्कार 2021 से सम्मानित होंगे डॉ.अभय बंग

पद्मश्री समेत 70 से ज्यादा पुरस्कार अब तक अपने नाम कर चुके ह्यूमैनिटेरियन सोल्जर डॉ.अभय बंग को बहुत जल्द ह्यूमैनिटेरियन सोल्जर पुरस्कार 2021 से सम्मानित किया जाएगा. गढ़चिरौली में आदिवासियों के स्वास्थ्य एवं विकास के लिए कार्यरत वर्धा के डॉ. अभय बंग को 18वां वार्षिक ह्यूमैनिटेरियन सोल्जर डॉ.अभय बंग पुरस्कार 2021 प्रदान करने की घोषणा कर दी गई है.

मीडिया स्वराज डेस्क

ब्रह्मा ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. सुबुंग बसुमतारी और उनके सहयोगियों ने गढ़चिरौली स्थित शोधग्राम का दौरा कर डॉ. अभय बंग को ह्यूमैनिटेरियन सोल्जर पुरस्कार 2021 से पुरस्कृत करने के लिए एक पत्र दिया और डॉ. बंग दंपती को बोडोलैंड आमंत्रित किया. डॉ. बंग को ये पुरस्कार आने वाले 13 नवंबर को असम विधानसभा के अध्यक्ष के हाथों कोकराझार में आयोजित सार्वजनिक समारोह में दिया जाएगा.

बता दें कि डॉ. अभय बंग व उनकी पत्नी डॉ. रानी बंग ने पिछले 35 वर्षों से महाराष्ट्र के पिछड़े जिलों में से एक माने जाने वाले गढ़चिरौली जिले के आदिवासी वर्ग के बीच रहकर न केवल उनके उत्थान के लिए काम किया है बल्कि गरीब और अनपढ़ आदिवासियों के स्वास्थ्य और अन्य समस्याओं को हल करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

वर्ष 1986 में, यह बोडो दंपती गढ़चिरौली चले गए और गांव के आदिवासियों और गरीबों को मुफ्त चिकित्सा सेवा देने लगे. यही वजह है कि आज उन्हें ह्यूमैनिटेरियन सोल्जर डॉ. अभय बंग पुरस्कार 2021 के सम्मा​न से सम्मानित किया जा रहा है.

उन्होंने SEARCH सोसायटी फोर एजुकेशन, एक्शन एंड रिसर्च इन पब्लिक हेल्थ की स्थापना की. इनका यह शोधग्राम असल में एक आदिवासी गांव है. पति पत्नी ने सोचा कि यदि वे आदिवासी क्षेत्रों में काम करना चाहते हैं तो उन्हें आदिवासी जीवन के साथ एकीकृत होने का प्रयास करना होगा. इसके बाद यह महसूस करते हुए कि आदिवासियों को अलग थलग या नया महसूस नहीं करना चाहिए, उन्होंने उनके लिए अस्पताल की स्थापना की.

बाल मृत्यु दर को कम करने के लिए उन्हें विश्व प्रसिद्ध होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. उन्होंने युवाओं के लिए निर्माण गतिविधियों, दारुमुक्ति आंदोलन और नशा मुक्ति के लिए मुक्तिपथ अभियान चलाया. डॉ. बंग भारत सरकार के जनजातीय स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष भी रहे.

खास बात यह है कि भारत में आदिवासियों के स्वास्थ्य पर पहली राष्ट्रीय रिपोर्ट उनके नेतृत्व में तैयार की गई थी. ह्यूमैनिटेरियन सोल्जर डॉ.अभय बंग को वर्ष 2021 का ‘ह्यूमैनिटेरियन सोल्जर’ पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा से पहले पद्मश्री, टाइम मैग्जीन ग्लोबल हेल्थ हीरो, वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन पब्लिक हेल्थ चैंपियन आफ इंडिया, सेव द चिल्ड्रन अमेरिका, मैकआर्थर फाउंडेशन, पूर्वी महाराष्ट्र भूषण समेत 70 से अधिक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.

डॉ. बंग दंप​ती पर महात्मा गांधी और आचार्य विनोबा भावे के विचारों का प्रभाव साफ देखा जा सकता है, खासकर अभय बंग पर. नई तालीम में पढ़ते समय वे गांधीजी की विचारधारा से आकर्षित हुए और फिर आगे भी गांधी जी के साथ यह लगाव जारी रहा. गांधीवादी विचारों का प्रभाव ​गढ़चिरौली जैसे पिछड़े आदिवासी वर्ग में काम करने के उनके निर्णय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था. कॉलेज जीवन में उन्होंने आचार्य विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था.

बोडोलैंड के जनक उपेंद्रनाथ ब्रह्मा ने असम में बोडो जनजातियों के उत्थान और अधिकारों के लिए एक आंदोलन भी शुरू किया, परिणामस्वरूप असम के भीतर बोडो भूमि का निर्माण हुआ.

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भारत के आदिवासियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण कार्य करने वाले डॉ. उपेंद्रनाथ ब्रह्मा की स्मृति में यहां प्रतिवर्ष उपेंद्रनाथ ब्रह्मा सोल्जर आफ ह्यूमैनिटी अवार्ड दिया जाता है, जिसके लिए इस बार डॉ. बंग का नाम प्रेषित किया गया है. इससे पहले यह ब्रह्मा ट्रस्ट अवार्ड महाश्वेता देवी, बीजी वर्गीस, नटवर भाई ठक्कर, अरुणा रॉय और प्रो.गणेश एन देवी, रमेशचंद्र भारद्वाज आदि को भी प्रदान किया गया.

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