सेवाग्राम से साबरमती आश्रम तक यात्रा: गांधी जी की विरासत को बचाने का एक प्रयास

सेवाग्राम से साबरमती आश्रम तक यात्रा

गुजरात सरकार साबरमती आश्रम को विश्वस्तरीय पर्यटक स्थल बनाने की तैयारी कर रही है. गांधी स्मारक निधि से जुडे ट्रस्टियों का कहना है कि प्रदेश की बीजेपी सरकार लोगों के दिलों से गांधी के विचार को भी खत्म करने की यह गहरी साजिश रच रही है. यानि कहा जा सकता है कि गोडसे के विचारों से प्रभावित बीजेपी गांधी की हत्या के बाद अब उनके विचारों की भी हत्या करने का प्रयास कर रही है.

— सुषमाश्री

गांधी स्मारक निधि और Gandhi Peace Foundation समेत कई गांधी संगठनों ने तय किया है कि 17 से 23 अक्टूबर के बीच गांधी के सिद्धांतों और मूल्यों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए सेवाग्राम से साबरमती संदेश यात्रा निकाली जाएगी.

संगठनकर्ताओं ने कहा कि लोगों की जैसी प्रतिक्रिया हमें मिलेगी, उसी के हिसाब से हम आगे की रणनीति तय करेंगे. उन्होंने कहा कि मार्च के महीने में इन दोनों आश्रमों की महत्ता का संदेश हम जन जन तक पहुंचाएंगे. साथ ही उन्हें बताएंगे कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने खुद इन दोनों संगठनों की स्थापना की थी. साथ ही सबको यह भी बताएंगे कि उनके संदेशों को किस तरह से संजोकर रखा जा सकता है.

कहने का अर्थ है कि गुजरात सरकार के वरिष्ठ अफसरों और साबरमती आश्रम चलाने वाली संस्था साबरमती ​प्रीजरवेशन और मेमोरियल ट्रस्ट (SAPMT), समेत कुल छह ट्रस्टों के बीच गुजरात विद्यापीठ में पहली बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें 1200 करोड के साबरमती आश्रम मे​मोरियल और Precinct Development project में देश के तकरीबन 130 जाने माने व्यक्तित्व शामिल हुए. सूत्रों के मुताबिक, सरकारी अफसरों और मास्टर प्लानर आर्किटेक्ट बिमल पटेल के इस प्रोजेक्ट के बैठक का जो लोग हिस्सा बने, उन्होंने बैठक में कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि हर स्टॉक होल्डर ने प्रोजेक्ट को लेकर अपने विचार व्य​क्त किए हैं.

सरकारी अधिकारी अब तक अपने इस वायदे पर कायम हैं कि वे कभी भी साबरमती आश्रम को नहीं छुएंगे. लेकिन आने वाले समय में एक नए सरकारी अंग या ट्रस्ट को आश्रम की सारी सुविधाओं की देखरेख के लिए तैयार किया जाएगा. जल्द ही संस्था का एक वेबसाइट भी तैयार किया जाएगा जिसमें यहां पहुंचने के लिए लोगों को सभी जानकारियां मुहैया की जाएंगी.

मौजूदा छह ट्रस्ट – एसएपीएमटी, साबरमती हरिजन आश्रम ट्रस्ट, खादी ग्रामोद्योग प्रयोग समिति, साबरमती आश्रम गौशाला ट्रस्ट, गुजरात हरिजन सेवक संघ और गुजरात खादी ग्रामोद्योग मंडल – के पास गांधी आश्रम मेमोरियल और सीमा विकास प्रोजेक्ट के अलावा साबरमती और उसके आसपास लगभग 55 एकड़ जमीन है, जिसे एक विशाल सीमा के तौर पर बदल दिया जाएगा.

सरकार ने वायदा किया है कि वह पर्यटकों के लिए वह विश्वस्तरीय सुविधाएं मुहैया कराएंगे. चिंता इस बात की है कि 1200 करोड के इस प्रोजेक्ट के बाद साबरमती आश्रम की सादगी को एम्यूजमेंट पार्क के तौर पर बदल दिया जाएगा. इसके अलावा चिंता का विषय यह भी है कि इन सारे बदलावों के बाद एसएएमपीटी संस्था की स्वायत्तता को भी सरकार से खतरा हो सकता है.

सरकार आश्रम की सीमा के साथ छेडछाड करके आखिर इसके विकास की कोशिश कर रही है या उसकी मंशा इसकी मूलता को नष्ट करने की है.

देश की लगभग 130 प्रख्यात हस्तियों ने एक साथ आकर एक बयान जारी किया है कि प्रस्तावित परियोजना वर्तमान आश्रम की “सरलता और पवित्रता से गंभीर रूप से समझौता” करेगी और “गांधी थीम पार्क” को इसके लिए सबसे खराब गांधीजी की “दूसरी हत्या” के रूप में देखा जा सकता है।”

गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष राम चंद्र राही, गांधी शांति फाउंडेशन, दिल्ली के अध्यक्ष कुमार प्रशांत और गांधी स्मारक निधि के सचिव संजय सिंह ने एसएपीएमटी अध्यक्ष इला भट्ट, ट्रस्टी सुदर्शन अयंगर, कार्तिकेय साराभाई और अशोक चटर्जी ने मिलकर एक बैठक की, जिसमें इन कारणों पर गहराई से विचार किया गया. यह भी टटोलने की कोशिश की गई कि सरकार आश्रम की सीमा के साथ छेडछाड करके आखिर इसके विकास की कोशिश कर रही है या उसकी मंशा इसकी मूलता को नष्ट करने की है.

साबरमती आश्रम के दूसरी ओर स्थित तोरन होटल में राही ने डेक्कन हेराल्ड से कहा, “हम यहां यह समझने के लिए आए थे कि सरकार आश्रम के साथ क्या करने की योजना बना रही थी क्योंकि लोग दिल्ली में हमसे इससे जुडे कई सवाल कर रहे हैं. हमें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली जहां हमने स्थिति को समझने की कोशिश की. हालांकि, ट्रस्टियों के पास भी इस बारे में बहुत जानकारी उपलब्ध नहीं है.”

आश्रम के पूरे सिस्टम को चलाने के लिए कुछ ट्रस्टियों को मिलाकर एसएपीएमटी संंस्था का निर्माण किया गया था, जिसमें मौजूद हर शख्स अंदर से गांधीवादी भी है. यह केवल गांधीवादी संस्था नहीं है बल्कि इससे जुडा हर व्यक्ति गांधी को दिल से फॉलो करने वाला भी है. यह ट्रस्ट इन सभी लोगों की भावनाओं को लेकर चलता है. यही वजह है कि इनकी गांधीवादी भावनाओं और विचारों का ध्यान रखते हुए ही यह आश्रम चलाया जाता रहा है.

राही कहते हैं कि हमें उम्मीद है कि इस मामले में वे यानी सरकार अपनी स्थिति पूरी तरह से साफ कर देगी.

हमें नहीं लगता कि सरकार के पास गांधी के विचारों को लेकर कोई समझ है. बल्कि सरकार इसे बाधा के रूप में ले रही है, तभी तो उनके इस आश्रम को पर्यटक स्थल के रूप में बदलने की कोशिश कर रही है. सरकार ने तो बिरला हाउस के बजाय नई दिल्ली में गांधी जी के समाधि स्थल राजघाट पर विश्वस्तरीय मेहमानों को बुलाकर उस स्थान की भावनाओं की भी हत्या कर दी है, जहां उनकी हत्या कर दी गई थी.

सवाल यह उठता है कि बिरला हाउस और गांधी समिति में से कौन सा अब अधिक महत्वपूर्ण है. सरकार नहीं चाहती कि 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की जो हत्या कर दी गई थी, उसका दर्द भी कोई महसूस कर सके. गांधी के आश्रम में लोग विश्वस्तरीय सुविधाएं देखने नहीं आते बल्कि उनके प्रति अपनी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए आते हैं लेकिन सरकार को इसमें दुकानदारी नजर आ रही है.

सेवाग्राम से साबरमती यात्रा
शुरू शुरू में हम अपनी इस यात्रा को गांधी के विचारों को जन जन तक पहुंचाने के लिए शुरू कर रहे हैं. 17 अक्टूबर को सेवाग्राम से एक बस से शुरू होकर यह यात्रा 23 अक्टूबर को साबरमती आश्रम पर जाकर पूरी की जाएगी. लोगों की प्रतिक्रिया को देखते हुए हम यह तय करेंगे कि साबरमती आश्रम को लेकर गुजरात सरकार यह जो योजना बना रही है, हमें उस पर किस तरह से काम करना है.

वर्धा, महाराष्ट्र स्थित सेवाग्राम भी खुद गांधीजी द्वारा स्थापित किया गया था. सेवाग्राम से आरंभ किए गए इस बस यात्रा का समापण साबरमती पर जाकर खत्म किया जाएगा. 24 को आश्रम में इस बाबत एक कार्यक्रम का आयोजन ​भी किया जाएगा. इसे गांधी जी के विचारों को लेकर जन चेतना यात्रा के तौर पर चलाने की कोशिश की जाएगी, जिसमें इस बात पर खासतौर पर बल दिया जाएगा कि आखिर गांधी की विरासत को किस तरह संजोकर रखा जाए.

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