साबरमती आश्रम को बचाने के लिए गांधीजन सेवाग्राम पहुँचे
गांधी की विरासत को मिटाने की परियोजना है साबरमती आश्रम का आधुनिकीकरण
अरविंद अंजुम
सेवाग्राम से साबरमती संदेश यात्रा #Save_Aabarmati_Ashram में शामिल होने के लिए देशभर के गांधीजन सेवाग्राम पहुंच चुके हैं। कल बापू कुटी के प्रांगण में सर्व -धर्म प्रार्थना के पश्चात इस यात्रा का प्रारंभ होगा। यात्रा का समापन 24 अक्टूबर को अहमदाबाद में आयोजित एक सम्मेलन में संपन्न होगा।
केंद्र सरकार द्वारा साबरमती आश्रम को को टूरिस्ट पैक में पेश करने की कोशिशों से गांधीजन आहत है। उन्हें लग रहा है कि इस परियोजना के द्वारा गांधी के मूल्यों को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है।
जालियांवाला बाग के आधुनिकीकरण से इस आशंका को बल मिला है। अब जालियांवाला बाग दुख और क्षोभ का एहसास नहीं करा पाएगा बल्कि वह अब पर्यटक स्थल है। इसी तरह साबरमती को आधुनिक बनाने के नाम पर सादगी की प्रेरणा ही खत्म कर दी जाएगी।
सरकार की परियोजना से यह एक सुविधा संपन्न मनोरंजन स्थल में तब्दील हो जाएगा। सत्य,अहिंसा ,प्रेम,सहअस्तित्व ,सादगी आदि मूल्यों से प्रेरित लोगों को सरकार का यह इरादा सख्त नापसंद है। इसलिए वे प्रतिकार स्वरूप कल से साबरमती को बचाने की यात्रा पर निकल पड़ेंगे।
वरिष्ठ पत्रकार राम दत्त त्रिपाठी ने कहा, “साबरमती आश्रम न केवल स्वतंत्रता आंदोलन की जीती जागती विरासत है, अपितु आज हिंसा, झूठ, जलवायु परिवर्तन, बेरोज़गारी , भुखमरी आदि समस्याओं से जूझ रही दुनिया की लिए एक वैकल्पिक विकास का मार्ग भी बताता है।”
इस यात्रा में वरिष्ठ गांधीवादी रामचंद्र राही, कुमार प्रशांत, सुगन बरंठ,आशा बोथरा, राजेंद्र सिंह, संजय सिंह तथा डॉ विश्वजीत, अविनाश काकडे, रमेश दाने ,अरविंद कुशवाहा,अजमत, भूपेश भूषण शिवकांत आदि शामिल रहेंगे।
महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने भी साबरमती आश्रम की तथाकथित आधुनिकीकरण परियोजना का विरोध किया है।