चीन में कोरोना की तीसरी लहर ने दी दस्तक, PM मोदी ने सावधान रहने की दी सलाह
वैक्सीन लेने के बाद कब तक बनी रहती है इम्यूनिटी
एक ओर देश कोविड वैक्सीन के 100 करोड़ डोज देने पर उत्सव मना रहा है तो दूसरी ओर चीन में आई कोरोना की तीसरी लहर ने सबकी चिंता बढ़ा दी है. इसी बीच शुक्रवार की सुबह 10 बजे पीएम मोदी ने देशवासियों को संबोधित किया. अपने इस संबोधन में उन्होंने 100 करोड़ वैक्सीन डोज देने पर एक ओर देशवासियों को बधाई दी तो दूसरी ओर वैक्सीन का कवच पहनने के बावजूद कोरोना से बचाव को लेकर अपनाई जा रही सावधानियां रूपी अपने हथियार न डालते हुए हर वक्त अलर्ट रहने की जरूरत को भी सबको याद दिलाया.
सुषमाश्री
दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश में से एक, अकेला भारत ही है, जहां कोरोना वायरस से जंग लड़ने का टीका सौ करोड़ लोगों को लग चुका है. गुरुवार को सरकार ने इस अवसर को सबसे लंबा, चौड़ा और वजनी खादी का तिरंगा लाल किले पर फहराकर इस दिन को एक उत्सव के रूप में भी मनाया है.
आज यानि शुक्रवार सुबह 10 बजे खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए 100 करोड़ वैक्सीन डोज लगाने की देश की सफलता पर देशवासियों को बधाई दी. उन्होंने याद दिलाया कि इस लक्ष्य तक पहुंचने से पहले देश को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ा. हालांकि, इस बात से भी इनकार नहीं किया किया कि वैक्सीन के डोज लगने के बावजूद हमें पूरी सावधानी बरतने की जरूरत है.
पीएम मोदी ने कहा, “जब हमें किसी युद्ध के लिए जाना होता है तो हम कवच पहनना नहीं भूलते और कवच पहनने के बावजूद पूरे युद्ध के दौरान हम एक पल के लिए भी अपने हथियारों को खुद से दूर नहीं करते हैं, यही हमारी सावधानी को दर्शाता है. ठीक इसी तरह कोरोना के खिलाफ हमारी जंग अब भी जारी है और हमें कवच रूपी वैक्सीन लेने के बावजूद हमें अपने मास्क, बार बार हाथ धोना और दो गज की दूरी बनाए रखना, जैसे हथियारों को खुद से दूर नहीं करना है. “
उन्होंने आगे कहा, “जिस तरह घर से बाहर निकलने से पहले हम जूते पहनना नहीं भूलते, ठीक उसी तरह मास्क पहनना और भूलना है. यही नहीं, हमें कोविड नियमों का भी पूरी तरह से पालन करते रहना है ताकि कोविड की तीसरी लहर हमारे देश में कभी आ ही न पाए.”
एबीपी की एक खबर के मुताबिक, दुनिया को कोविड महामारी में धकेलने वाला चीन अब कोरोना की तीसरी लहर से जूझ रहा है. वहां के हालात हमें ही नहीं, पूरी दुनिया को कोविड की तीसरी लहर से जूझने को कमर कसकर तैयार रहने की सीख दे रहे हैं. कोविड वैक्सीनेशन के आंकड़े के 100 करोड़ पार होने पर बेशक देश आज जश्न में डूबा है, लेकिन हमें इस बात से भी इनकार नहीं करना है कि ये खुमारी कहीं हमारे लिए दोबारा किसी खतरे की घंटी न बन जाए!
तीसरी लहर से जूझ रहा है चीन
यह सवाल इसलिये भी है कि कोरोना महामारी का जन्मदाता चीन है, जहां से कोविड-19 वायरस की शुरुआत दिसम्बर 2019 में हुई थी. उसी चीन में अब इस वायरस के एक नए रूप का पता लगने के बाद वहां के कई प्रांतों में लॉकडाउन लगा दिया गया है. चीन ने अपने यहां से उड़ान भरने वाली सैंकड़ों फ्लाइट्स कैंसल कर दी है और बच्चों के स्कूल भी बंद कर दिए हैं.
यकीनन यह जानकर भारत समेत दुनिया के किसी भी देश का कोई भी नागरिक खुश नहीं बल्कि चिंतित व भयभीत ही होगा. हम लोगों के लिए तो इसकी और भी बड़ी वजह ये है कि वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद अगले कितने वक़्त तक इस वायरस से बचा जा सकता है, इसका खुलासा देश की वैक्सीन निर्माता दोनों कंपनियों ने अभी तक नहीं किया है. जो दावे किए भी गए हैं, तो उस पर न तो WHO ने और न ही दुनिया के काबिल वैज्ञानिकों की टीम ने पुख्ता तौर पर अभी तक अपनी कोई मुहर लगाई है.
हालांकि, चीन ने फ़िलहाल इसे कोविड की तीसरी लहर नहीं माना है लेकिन वो ऐहतियात बरतने में दुनिया के तमाम मुल्कों से बहुत आगे है क्योंकि इस वायरस के खतरों का रहस्य उससे ज्यादा कोई और समझ ही नहीं पाया है. इस वैश्विक महामारी को कथित रूप से फैलाने और उसका तोड़ निकालने में भी चीन ही अकेला ऐसा मुल्क रहा है, जिसने अपने वुहान प्रांत से इसे बाहर नहीं निकलने दिया और महज़ चंद दिनों में ही वहां भी इस पर पूरी तरह से काबू पा लिया.
चीन में कैसे लौटा तीसरी बार कोरोना
हालांकि, लगातार पांच दिनों से कोरोना के नए मामलों के सामने आने के बाद अब चीन थोड़ा डर गया है, खासकर इसलिए कि उसके उत्तरी व उत्तर पश्चिमी प्रांतों से ही ऐसे मामलों के सामने आने की खबरें आ रही हैं. चीन की हेल्थ अथॉरिटी को लगता है कि कोरोना के जो नए मामले सामने आ रहे हैं, उसके लिए एक ऐसा बुजुर्ग जोड़ा जिम्मेदार है, जो कई पर्यटकों के ग्रुप में शामिल था. दरअसल, वे दंपति शंघाई में थे और वहां से गांसू प्रांत के सियान और इन मंगोलिया में दाखिल हुए थे. उनके इस सफर के दौरान वायरस की चपेट में आये कई नये लोगों के मामले सामने आने के बाद चीनी सरकार की नींद उड़ चुकी है.
बताया गया है कि वे पांच प्रांतों में बहुत लोगों से मिले थे और उनमें से कई इस वायरस की चपेट में आये हैं, जिनमें अब राजधानी बीजिंग भी शामिल हो चुका है. लिहाज़ा, चीन के लिए ये सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात है क्योंकि जब पूरी दुनिया इस महामारी से जूझ रही थी, तब भी बीजिंग में कोविड का एक भी केस सामने नहीं आया था.
वैक्सीन लेने के बाद कब तक बनी रहती है इम्यूनिटी
अब बात करते हैं उस खतरे की, जो कोरोना की तमाम वैक्सीन से जुड़ा है और जिसके बारे में WHO भी अभी तक ये दावा करने में नाकाम रहा है कि आखिर किस वैक्सीन की दो डोज लेने के बाद भी किसी इंसान को दोबारा उसकी जरुरत नहीं पड़ेगी. इस सवाल का माकूल जवाब अभी तक किसी को नहीं मिल पाया है कि वैक्सीन से बनी इम्युनिटी आखिर कब तक हमारे शरीर में रहती है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO की डॉक्टर कैथरीन ओब्रायन के मुताबिक अभी तक यह बात स्पष्ट नहीं है कि वैक्सीन के दोनों डोज़ लेने के बाद बनी इम्युनिटी कब तक रहती है. उनके अनुसार हमें अभी तक नहीं पता है कि वैक्सीन से बनी इम्युनिटी कब तक रहती है क्योंकि इसके बारे में पूरी जानकारी जुटाने में थोड़ा समय लगेगा.
वे कहती हैं, ”हम टीकाकरण करवा चुके लोगों पर नजर रख रहे हैं. हम ये भी देख रहे हैं कि इन लोगों में समय के साथ इम्युनिटी रहती है और इससे वे बाकी बीमारी से बचे रहते हैं या नहीं. लेकिन सच ये है कि हमें वाकई कुछ समय तक इंतजार करना होगा, जिससे पता चल सकेगा कि कोविड वायरस के खिलाफ ये वैक्सीन कब तक प्रभावी रहती है.”
वैक्सीन की लाइफ लेकर क्या कहते हैं वैज्ञानिक
अब तक आईं प्रमुख वैक्सीन पर रिसर्च करने के बाद दुनिया के अधिकांश वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि फाइजर वैक्सीन की दो डोज़ लेने के बाद उसका प्रभाव छह महीने या इससे ज्यादा दिनों तक रहता है. इसी तरह मॉडर्ना वैक्सीन की भी दूसरी डोज़ के बाद एंटी बॉडी छह महीने तक ही शरीर में रहती हैं. भारत में जो कोविशील्ड वैक्सीन लग रही है, उसके बारे में दावा किया गया है कि इससे इम्यून सिस्टम एक साल या इससे ज्यादा दिनों तक रह सकता है.
ऐसा दावा करने वाले वैज्ञानिकों के मुताबिक ”हम कह सकते हैं कि ऑक्सफोर्ड की ChAdOx1 तकनीक, जिस भी वैक्सीन में इस्तेमाल की जा रही है, उससे बनी एंटी बॉडी एक साल या इससे ऊपर तक रह सकती है.” गौरतलब है कि कोविशिल्ड की भारतीय निर्माता कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ने इसे ऑक्सफ़ोर्ड के सहयोग से ही बनाया है.
कोरोना के नए वैरिएंट पर वैज्ञानिकों का मत
पिछले कुछ महीनों में भारत समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना के नए वैरिएंट सामने आये हैं. मेडिकल जर्नल की रिपोर्ट्स के मुताबिक वैक्सीन B.1.617.1 और B.1.617.2 दोनों ही वैरिएंट के खिलाफ कारगर हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो वैक्सीन की दो डोज़ के बाद एक बूस्टर डोज़ की भी जरूरत पड़ेगी. कोवैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटेक ने बूस्टर डोज़ के ट्रायल शुरू भी कर दिए हैं.
बूस्टर डोज़ का ट्रायल उन लोगों पर किया गया है, जिन्हें दूसरी डोज़ लिए छह महीने बीत चुके थे. बूस्टर डोज का मतलब ये है कि उसके बाद इस तरह का टीका लगवाने की जरूरत कभी नहीं रहेगी.
मेडिकल साइंस की दुनिया में हो रही बहस पर यकीन करें, तो कोविड एक ऐसा वायरस है जिसकी वैक्सीन हर साल-छह महीने में लगवाये बगैर कोई इंसान पूरी तरह से सुरक्षित नहीं रह पायेगा. बहरहाल, कोई भी नहीं चाहेगा कि चीन के ये नये मामले भारत के लिए अनजाने खतरे का कोई पैगाम लेकर आएं, इसलिये समझदारी और भलाई इसी में है कि हम लोग इस वायरस को अपना दुश्मन मानते हुए जरा भी लापरवाही बरतने से खुद को संभालें, जैसा कि पीएम मोदी ने आज देश को संबोधित करते हुए कहा भी.