कोरोना वैक्सीन को लेकर संशय और सचाई
कोरोना वैक्सीन से जुडी कुछ भ्रांतियाँ
कोरोना वैक्सीन Coronavirus vaccine को लेकर संशय की स्थिति है. बहुत से लोग सोशल मीडिया , अखबार और टीवी पर ख़बरें पढ़/देख कर विज्ञान की जटिलता से अनभिज्ञ होने के कारण जाने-अनजाने भ्रांतियाँ पालते और फैलाते हैं. इसलिए कोरोना वैक्सीन से जुडी कुछ भ्रांतियों का निवारण करने के लिए कुछ मूल बातों पर अमेरिका से कैंसर वैज्ञानिक डाक्टर महेंद्र सिंह का लेख.
कोरोना वैक्सीन की आजकल दुनिया भर में चर्चा हो रही है। Pfizer और Moderna की दो वैक्सीन को FDA द्वारा अनुमति मिलने के बाद अमेरिका, और यूरोप के कई देशों में ये दोनों वैक्सीन लोगों में लगाई भी जाने लगीं हैं। जहाँ बहुत से लोग इस कोरोना वैक्सीन को लगवाने के लिए प्रतीक्षारत हैं वहीं ऐसे भी कई लोग हैं जो इस इस वैक्सीन के बनाये जाने की प्रक्रिया पर पर संदेह व्यक्त कर रहे हैं।
१) वैक्सीन का विरोध करने वाले अक्सर कहते मिलते हैं कि 95% efficiency वाली वैक्सीन की क्या जरुरत जब बीमारी का सर्वाइवल रेट ही 99% है।
उत्तर: दरअसल यह सवाल ही गलत है। 95% Vaccine efficiency का मतलब यह हुआ कि अगर 100 लोग वायरस के संपर्क में आये तो 95 लोगों को या तो वायरस का संक्रमण ही नहीं हो पायेगा या फिर अगर हुआ भी तो उनमे बीमारी घातक नहीं हो पायेगी और उन्हें अस्पताल जाने की नौबत नहीं आएगी।
जबकि survival rate इस बात का पैमाना है कि जितने भी संक्रमित हुए उनमे से कितने लोग जिन्दा बचे। पर मत भूलिए जितने लोग जिन्दा भी बचे उनमे से पता नहीं कितने ऐसे होंगे जिनके अंगों में वायरस अपना असर कर चुका होगा और वे जीवित होते हुए भी ढेर सारी परेशानियों से जूझने के लिए अभिशप्त होंगे।
अब आप खुद सोचिये कि अगर सारी आबादी में से 95 % लोगों को वैक्सीन की मदद से वायरस के इन्फेक्शन से ही रोक दिया जाय तो बाकी केवल 5 % लोग ऐसे बचे जिनमे इन्फेक्शन होगा और वे ही गंभीर बीमार पड़ेंगे और केवल उस 5 % आबादी का १ % लोग ही मरेंगे। क्या यह अपने में सफलता नहीं है? थोड़ा बहुत गणित का ज्ञान आपको मदद कर सकता है यह सोचने में।
२) वैक्सीन पर संदेह करने वाले अक्सर कहते मिलेंगे कि जब Herd immunity से ही बचाव हो सकता है तो वैक्सीन लगाने की क्या जरुरत है?
HERD IMMUNITY
उत्तर: आइये पहले यह समझें कि Herd immunity है क्या? साधारण भाषा में जब “किसी आबादी का एक बड़ा हिस्सा (the herd) किसी बीमारी के लिए प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर ले ताकि उस बीमारी के एक आदमी से दूसरे में फैलने की संभावना नगण्य हो जाय। इसके परिणामस्वरूप वह पूरी आबादी उस रोग के लिए प्रतिरोधी बन जाती है”
जो बीमारी जितनी अधिक contagious (संक्रामक) होती है उसके लिए एक आबादी के अधिकतम लोगों को संक्रमित होने की आवश्यकता होती है तभी herd immunity प्राप्त किया जा सकता है। जैसे चेचक के मामले में 94 % आबादी के संक्रमित होने के बाद ही herd immunity का स्तर प्राप्त हो सकता है और इसी तरह COVID19 के मामले में कम से कम 70 % लोग संक्रमित हों तभी लोगों में herd immunity प्राप्त हो सकेगी।
इस Herd इम्युनिटी को पाने के दो तरीके हैं:
a) प्राकृतिक, b) वैक्सीन
पुराने जमाने में जब वैक्सीन नहीं थी, तब लोग स्वाभाविक/प्राकृतिक तरीके से herd imunity प्राप्त करते थे – पर मत भूलें कि इस Herd immunity को प्राकृतिक तरीके से प्राप्त करने में आबादी के बड़े हिस्से को मरना पड़ता था।
अब कोरोना के मामले को ऐसे समझें कि अगर कुछ न किया जाय तो Herd इम्युनिटी को पाने के लिए क्या कीमत चुकानी होगी – अकेले भारत में 70 % आबादी यानी 130 करोड़ की आबादी में से लगभग 91 करोड़ लोग जब संक्रमित होंगे तब यह Herd Immunity प्राप्त होगी। और मत भूलें कि इस 91 करोड़ लोगों में से 1 % mortality रेट है यानि लगभग 91 लाख मरेंगे तब जाकर पूरा देश सुरक्षित होगा।
b) वैक्सीन के बाद की दुनिया में, धन्यवाद एडवर्ड जेनर को जिन्होंने लगभग 200 साल पहले वैक्सीन की तकनीक ईजाद की), पूरी दुनिया में संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए टीका ही एकमात्र उपाय है जिससे Herd immunity हासिल की जाती है।
अब एक नज़र डालें कि अगर भारत में सभी लोग vaccinate कर दिए जाएँ तो 95 % efficiency वाली वैक्सीन के कारण केवल 5 % यानी 6.5 करोड़ लोग ही ऐसे होंगे जिन्हे यह इन्फेक्शन होगा और चूँकि वायरस का mortality rate केवल 1 % है इसलिए केवल 6.1 लाख लोग ही शायद मरने को अभिशप्त होंगे।
कुल मिलाकर यह समझें कि वैक्सीन भी herd immunity को पाने का जरिया है और केवल वैक्सीन के इस्तेमाल से मौत के आंकड़ों में 10 गुने से अधिक का अंतर हो सकता है: 91 लाख बगैर वैक्सीन के और 6 लाख वैक्सीन के बाद।
और सिर्फ मौत के आंकड़ों के अलावा यह तथ्य भी महत्त्वपूर्ण है कि अगर वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाय तो संक्रमित लोगों की संख्या केवल 6.5 करोड़ होगी जिनका इलाज़ करने के लिए मौजूदा अस्पताल और अन्य संसाधनों का ज्यादा अच्छी तरह इस्तेमाल किया जा सकता है बनिस्पत कि वैक्सीन के अभाव में संक्रमित होने वाले 91 करोड़ होंगे जिनका इलाज़ करने के लिए दुनिया की कोई भी व्यवस्था भरभरा कर ढह सकती है।
mRNA Technology vaccine
बहुत से लोगों को mRNA आधारित वैक्सीन से शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को लेकर चिंताएं हैं जो वाज़िब भी हैं। उनके लिए यह बताना जरुरी है कि हालाँकि कोरोना वैक्सीन से पहले mRNA पर आधारित कोई वैक्सीन अभी तक FDA से स्वीकृत नहीं हुई थी पर यह टेक्नोलॉजी नई नहीं है।
सालों से इस टेक्नोलॉजी पर आधारित कई अन्य वैक्सीन टेस्ट होती रही हैं जैसे Zika, Influenza, Rabies जैसे वायरस के लिए दुनिया भर में इस टेक्नोलॉजी के क्लीनिकल ट्रायल हो चुके हैं और अभी तक mRNA के इस्तेमाल को लेकर कोई दुष्प्रभाव नहीं देखा गया।
हम कैंसर वैज्ञानिक तो mRNA का प्रयोग कैंसर के ईलाज में खूब करते हैं। तकनीकी तौर कहें तो यह समझिये कि मानव कोशिकाओं के जीनोम में mRNA के integrate होने की क्षमता नहीं होती इसलिए यह अन्य वैक्सीन टेक्नोलॉजी की तरह ही सुरक्षित है.
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Mahendra K. Singh, Ph.D.
Research Assistant Professor –
Department of Surgery
University of Miami Miller School of
Medicine, USA
Member – Sylvester Comprehensive Cancer , Center