कोविड – 19 वायु प्रलय है !

कोरोना वायरस से होने वाली विश्व महामारी कोविड 19 वायु प्रलय है. यह कहना है वरिष्ठ पत्रकार और बीबीसी के पूर्व संवाददाता राम दत्त त्रिपाठी का जो पिछले तीन दशक से अधिक समय से पर्यावरण प्रदूषण पर अध्ययन, भ्रमण और लेखन कर रहे हैं. राम दत्त त्रिपाठी ने अपने इस लेख में आयुर्वेद ग्रंथ चरक संहिता का विस्तृत उद्धरण दिया है. समस्या के दीर्घकालीन समाधान के लिए दुनिया पर्यावरण सुधार पर काम करना ही होगा.

राम दत्त त्रिपाठी
राम दत्त त्रिपाठी

एक अदृश्य अर्धजीव कोरोना वायरस ने समूची दुनिया के मानव समुदाय के लिए अस्तित्व का संकट खड़ा कर दिया है. चार पाँच से सालों के मानव के इतिहास में प्लेग, स्पेनिश  फ़्लू आदि कई महामारियों का ज़िक्र मिलता है. लेकिन भारतीय आयुर्वेद के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ चरक संहिता में जनपदोध्वंसनीयं विमानम  नाम से एक अध्याय है, जिसमें ऐसी बीमारी का वर्णन है जिसमें देश के देश उजड़ जाते हैं. 

यह बात क़रीब ढाई तीन हज़ार साल पुरानी है जब बीमारियों के कारण तमाम ऋषियों,  मुनियों  तपस्वी अध्ययनशील  विद्यार्थियों के पठन – पाठन , धार्मिक गतिविधियों आदि में बाधा पड़ने लगी. कहने का मतलब यह कि अच्छी दिनचर्या, खानपान और अनुशासित जीवन व्यतीत करने वाले भी बीमार पड़ने लगे. तब प्राणियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले महान ऋषि मुनि हिमालय के किसी पवित्र स्थान पर सम्मेलन के लिए एकत्र हुए. इस सम्मेलन में तत्कालीन भारत के विशाल भूभाग के अलावा यूनान और चीन आदि देशों के वैज्ञानिक एकत्र हुए. इस सम्मेलन की कार्यवाही का संग्रह है चरक संहिता. 

सम्मेलन का एक ही  विचारणीय विषय था – अच्छी दिनचर्या, तपस्या और संतुलित आहार विहार वाले लोग क्यों बीमार पड़ रहे हैं? नीचे देखिए गंगा के किनारे पांचाल प्रदेश की राजधानी कंपिल ( उत्तर प्रदेश के फरुखाबाद जिले) में महाराज पुनर्वसु अत्रेय अपने शिष्य अग्निवेश से क्या कहते हैं ?

वह कहते हैं सारे तारे, ग्रह, नक्षत्र, वायु सूर्य, चंद्रमा अग्नि , दिशाएँ ऋतुएँ सब भयंकर रूप से प्रदूषित हो गए हैं.अब कुछ दिनों बाद पृथ्वी भी जड़ी बूटियों में समुचित रूप से रस, वीर्य, विपाक नहीं उत्पन्न करेगी. फलस्वरूप इनके अभाव में बीमारियों का फैलना निश्चित है. इसलिए पृथ्वी में इन पोशाक तत्वों का अभाव होने से पहले हमें इन औषधीय जड़ी बूटियों का संग्रह कर लेना है, ताकि हम समय आने पर इनके रस, वीर्य, विपाक और प्रभाव का उपयोग अपने और अपने हितैषियों के लिए  कर लें.आगे और महत्वपूर्ण बात कही गयी है कि अगर समय पर औषधियों का सही ढंग से संग्रह और सही ढंग उत्पादन करके उनका सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो महामारी का मुक़ाबला करने में कोई समस्या नहीं होगी.

अब आप वर्तमान सन्दर्भ मी देखें . पिछले कई सालों से प्रदूषण की भयंकर स्थिति के कारण कैंसर, हृदय, किडनी, लीवर और दिमाग़ी बुख़ार , सारस, इबोला आदि की अनेक जानलेवा बीमारियाँ दस्तक दे रही हैं.

प्रदूषण का शिकार यमुना जी आगरा में
यमुना आगरा

कोरोना वायरस ने पिछले साल ही दस्तक दी.लेकिन क्या जनता के टैक्स और वोट से चलने वाली सरकार ने लोगों को बचाने की कोई पर्याप्त अग्रिम तैयारी की?

कोरोना वायरस को वीज़ा पासपोर्ट नहीं चाहिए. हवा पर सवार होकर एक देश से दूसरे देश, एक प्रांत से दूसरे प्रांत और ज़िले पहुँच रहा है. चौतरफ़ा प्रदूषण और  शारीरिक मेहनत न करने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गयी है. विशेषकर माध्यम और उच्च वर्ग की जो तमाम मानसिक तनाव में भी रहते हैं.

प्रदूषित हवा से हमारे फेफड़े , हृदय और अन्य महत्वपूर्ण अंग  कमजोर हो गए हैं. जाने कितने जीव जंतु तो लुप्त हो गए हैं. और अब यह वायरस अब लाखों मनुष्यों को अपना शिकार बना रहा है.

जल प्रलय के किससे हम हम पहले पढ़ चुके हैं. मैं इसे वायु प्रलय कहना चाहूँगा. मुनाफ़े की बढ़ोत्तरी  के लिए आयी औद्योगिक क्रांति, अंधाधुंध शहरीकरण, जंगलों का कटान, नदियों – समुद्रों, आकाश, पृथ्वी, आकाश, हवाओं और मौसम के प्रदूषण इन सबका हमारा सामूहिक कर्म. 

कई ऐसे लोग भी इस वायरस का शिकार हुए हैं जो दो तीन हफ़्ते से अपने घर के बाहर ताला लगाकर रह रहे थे. लेकिन वह भूल गए कि वायु तो उनकी खिड़कियों और जाली के दरवाज़ों से भी अंदर आती है. सामान्यतया वायु गंध और औषधियों की वाहक है. लेकिन अब कोरोना वायरस वायु की विभिन्न गैसों, मोटे धूल कणों और  फूलों के परागकणों पर सवार होकर घरों के अंदर भी पहुँच रहा है. 

कृपया देखें

https://www.who.int/emergencies/diseases/novel-coronavirus-2019/media-resources/science-in-5/episode-9—air-pollution-covid-19

सैकड़ों की तादाद में लोग रोज़ मर रहे हैं. शहर और अस्पताल में मारने वालों की तो गिनती हो रही है, लेकिन छोटे क़स्बों और गाँवों में मरने वालों की खबरें नहीं बनतीं. मौत का असली रूप क़ब्रिस्तान और श्मसान घाट पर ही दिखता है.

न शाव के लिए गाड़ी है और न चार कंधे

कई ऐसे मंत्री, विधायक , अफ़सर, व्यापारी, कवि और पत्रकार भी इस बीमारी से जान गँवा चुके हैं जिन्हें अस्पताल में चिकित्सा मिली. चिकित्सा तो मिली लेकिन दूषित हवा और खान पान से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी काम हो चुकी थीं कि डाक्टर और दवाएँ भी नहीं बचा पाए.

इस प्रसंग में बिहार के मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह, उत्तर प्रदेश रेवेन्यू बोर्ड के अध्यक्ष दीपक त्रिवेदी, कवि कुंवर बेचैन, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री चेतन चौहान, न्यूज़ चैनल आज तक टी वी के ऐंकर रोहित सरदाना, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव के नाम उल्लेखनीय हैं.

( क्रमश: ) 

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