उपचुनाव 2021 में आखिर क्यों ​गिरा बीजेपी का वोट

बीजेपी से हुआ जनता का मोहभंग

मंगलवार को आए उपचुनाव 2021 के नतीजों ने भारतीय जनता पार्टी को करारा झटका दिया है. उपचुनाव में गिरी बीजेपी. चुनावी नतीजों से बीजेपी भले ही सकते में हो, लेकिन राजनीति में अपनी खास पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि इन नतीजों ने उन्हें कतई भी नहीं चौंकाया है. पिछले कुछ सालों में बीजेपी ने जिस तरह का काम किया है, उसे देखकर आश्चर्य तो हमें इस बात से है कि उन्हें इतनी सीटें भी कैसे मिल गईं? आइए, जानते हैं कि उपचुनाव में बीजेपी का वोट गिरने के पीछे क्या कारण बताते हैं विशेषज्ञ…

सुषमाश्री

उपचुनाव में गिरी बीजेपी : 14 राज्यों में तीन लोकसभा और 29 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव 2021 के नतीजों ने मंगलवार को सभी को चौंका दिया है. ये नतीजे केंद्र में सत्ता चला रही भाजपा के लिए उत्साहित करने वाले नहीं कहे जा सकते. बंगाल में टीएमसी से दोबारा हार चुकी बीजेपी को हिमाचल प्रदेश में तो अपनी सारी सीटें ही गंवानी पड़ी हैं. पार्टी के लिए यह हार शर्मनाक और ज्यादा निराशाजनक इसलिए भी है क्योंकि बीजेपी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का गृह राज्य होकर भी हिमाचल प्रदेश के नतीजे उनके पूरी तरह से खिलाफ हैं, उस पर भी तब जबकि यहां सरकार भी बीजेपी की ही है.

मंडी लोकसभा सीट समेत तीन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने बीजेपी को हरा दिया है.

हिमाचल प्रदेश के नतीजे बीजेपी के लिए इसलिए भी चिंताजनक हैं क्योंकि सिर्फ पार्टी चीफ जेपी नड्डा ही नहीं बल्कि कैबिनेट मंत्री अनुराग ठाकुर भी हिमाचल से ही आते हैं. इसके बावजूद मंडी लोकसभा सीट समेत तीन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने बीजेपी को हरा दिया है.

बीजेपी से जनता का हुआ मोहभंग

उपचुनाव में गिरी बीजेपी : बीबीसी के पूर्व वरिष्ठ संवाददाता उपचुनाव में बीजेपी का वोट कम होने और उनका वोट प्रतिशत गिरने के लिए आम जनता का बीजेपी से मोहभंग हो जाना मानते हैं. वे कहते हैं कि उपचुनाव के नतीजों से स्पष्ट संकेत मिलता है कि भारतीय जनता पार्टी से अब लोगों का मोहभंग हो रहा है. इस मोहभंग का बड़ा कारण जनता के जीवन से जुड़े विषयों पर बीजेपी का ध्यान न देना है, जैसे- पेट्रोल, डीज़ल, सरसों तेल आदि के दाम बढ़ना, बेरोज़गारी दर बढ़ना, स्वरोज़गार में परेशानी वगैरह.

देशभक्ति और राष्ट्रभक्ति हर चुनाव नहीं जिता सकता

चंदौली समाचार के संपादक व वरिष्ठ पत्रकार विजय तिवारी बीजेपी की इस हालत के लिए इसके नेताओं के ओवरकॉन्फिडेंस को जिम्मेदार मानते हैं. वे कहते हैं, बीजेपी की हालत ऐसी इसलिए हुई है क्योंकि बीजेपी के नेता ओवरकॉन्फिडेंस में हैं. उनको लगता है कि जनता और आम आदमी के मुद्दे को अगर हम नजरअंदाज करेंगे और केवल देशभक्ति और राष्ट्रभक्ति और देश विदेश का गान करेंगे तब भी सारे चुनाव जीत जाएंगे. जबकि चुनाव जब लोकल होते हैं तो लोकल मुद्दे ही ध्यान में रखने होते हैं. हिमाचल में जो हार हो हुई तो वहां के मुख्यमंत्री ने कहा कि महंगाई के मुद्दे के कारण हार गए हम. तो भाजपा के नेताओं को लगता है कि विधायक कुछ न करे, मुख्यमंत्री कुछ न करे, मंत्री कुछ न करे तो सबकुछ मोदी के नाम पर हो जाएगा. यकीनन बीजेपी में दो चार लीडर ऐसे हैं, लेकिन फिर भी उनके नाम पर वोट मांगने की आदत बंद करनी पड़ेगी. और आदमी को परफॉर्म भी करना पड़ेगा और जनता के जो मुद्दे हैं, जो स्थानीय लेवल के मुद्दे हैं, जो वोट देता है, उनकी जरूरतों को भी ध्यान में रखना होगा, जो कि भाजपा नहीं कर रही है.

आदमी को परफॉर्म भी करना पड़ेगा और जनता के जो मुद्दे हैं, जो स्थानीय लेवल के मुद्दे हैं, जो वोट देता है, उनकी जरूरतों को भी ध्यान में रखना होगा, जो कि भाजपा नहीं कर रही है.

मंदिर और 370 पूरे देश का मुद्दा नहीं

​वे आगे कहते हैं, आप मंदिर बना रहे हैं, अच्छा है. 370 अच्छा है, लेकिन यह पूरे देश के लिए अच्छा नहीं है. पूरे देश के लोगों की आजीविका पर उसका कोई असर नहीं दिखता. न राम मंदिर का और न ही 370 का, पूरे देश की आजीविका पर कोई फर्क पड़ेगा. या सिविल कोर्ट. तीन तलाक जैसे मुद्दों का भी पूरे देश पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. पूरे देश पर महंगाई, डीजल, पेट्रोल, शिक्षा, स्वास्थ्य और ऐसे ही मुद्दों का फर्क पड़ेगा. इन मुद्दों का असर हर आदमी पर पड़ेगा, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, वर्ग, संप्रदाय का राजनीतिक पार्टी का भी क्यों न हो!

चुनावी घोषणापत्र में बीजेपी का नोट बांटो एजेंडा

विजय तिवारी आगे कहते हैं, भाजपा के एजेंडा में अब एक नई बात आ गई है, पैसे बांटो. जिन जिन राज्यों में चुनाव हैं, वहां घोषणा पत्र में उन्होंने यह शामिल कर लिया है कि कोरोना काल में जिनके घरों में किसी की मृत्यु हो गई है, उन्हें 50 हजार रुपये देने की बात उन्होंने अपने एजेंडे में डाल लिया है. लेकिन इससे क्या होगा, क्या इससे उस घर का जो अपना चला गया है, वह वापिस आ जाएगा? ऐसा पहले निचले स्तर के चुनावों में देखने को मिलता था. लोकल स्तर पर विधायक के चुनाव में वोट के लिए प्रत्याशी नोट बांटते थे, लेकिन अब यह नेशनल लेवल की पार्टियों ने भी करना शुरू कर दिया है. ये टैक्स का पैसा है. मोदी जी इसे अपने घर से नहीं देते बल्कि आम आदमी से टैक्स के नाम पर सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, पानी वगैरह के नाम पर जो पैसे वसूले जाते हैं, यह वही पैसा है. इस पैसे को इन मदों पर खर्च किया जाना चाहिए था न कि अपने चुनावी घोषणा पत्र में कोरोना के दौरान मरने वालों के नाम पर या फ्री में चावल देने के नाम पर. फ्री चावल देकर आप किसी के जीवन में बदलाव नहीं ला सकते. उसे काम देकर ला सकते हैं.

भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ

उपचुनाव में गिरी बीजेपी : उन्होंने कहा, बीजेपी के सत्ता में आने के बाद या फिर नोटबंदी के बाद भी भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ है, बल्कि भ्रष्टाचार पहले के मुकाबले दोगुने से कहीं ज्यादा बढ़ गया है. यूपी की ही बात कर लें अगर तो यहां पहले जो काम 100 रुपये में हो जाता था, आज 500 रुपये देकर भी नहीं हो रहा है. पहले पैसे लेकर काम न करने पर लोग डरते थे कि पिटाई न हो जाए. पर आज तो पैसे लेकर भी लोग काम नहीं करते. उन्हें फर्क भी नहीं पड़ता, न ही डर लगता है कि पैसे लेकर भी काम नहीं कर रहे.

मीडिया भी जिम्मेदार

वरिष्ठ पत्रकार मीडिया को भी इन सबके लिए जिम्मेदार मानते हैं. वे कहते हैं कि मीडिया से भी लोगों का भरोसा उठ रहा है. मीडिया इन लोगों को बरगला रही है पर किसी को धोखा देने की आपकी आदत कितने दिनों तक चलेगी? गांवों की हालत भी अच्छी नहीं है. मीडिया की सहायता से गांवों को चमकाकर वहां डिबेट करा दें तो इससे आप चुनाव नहीं जीत सकते. हकीकत तो सभी को पता है. सड़क पर चलते समय गाड़ी में पेट्रोल भराना होगा तो लोगों को मालूम चल ही जाएगा कि आखिर हालात कैसे हैं, महंगाई कैसी है? गाड़ी चलाने के लिए उसके पास रोजगार होना चाहिए, रोजगार के लिए अच्छी शिक्षा होनी चाहिए.

उपचुनाव में गिरी बीजेपी : उन्होंने आगे कहा, जमीनी हकीकत से भाजपा दूर हो रही है. उनको लगता है कि राष्ट्रवाद, धर्मवाद, हिंदू मुसलमान और भारत पाकिस्तान को लेकर वे चुनाव जीतते रहेंगे. वो तो चल गया पांच साल, लेकिन हर बार वही नहीं चलेगा. किसी के जज्बात का फायदा उठाकर आप कितने दिनों तक वोट लेते रहेंगे? केवल हिंदू को बचाने के लिए भाजपा नहीं है. जीतने के बाद आप सबके प्रधानमंत्री हैं. आपको सभी को बचाने के लिए खड़ा होना पड़ेगा. सबको बचाना है, सबके लिए काम करना है, केवल डरा डरा कर आप कब तक लोगों से वोट ले सकते हैं?

बढ़ती कीमतों पर चर्चा भी नहीं करती सरकार

वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश शुक्ला कहते हैं, वास्तव में लोगों पर जो असर पड़ रहा है, वह है महंगाई का. महंगाई विशेषकर डीजल और गैस की. ये मुख्य कारण हैं. आपने सबको सिलेंडर दे दिया, लेकिन उसके दाम बढ़ते जा रहे हैं, और उस पर कोई नियंत्रण है नहीं. डेली इनकी कीमत बढ़ जाती है, कोई सरकार इस पर चर्चा भी नहीं करना चाहती. ऐसा लगता है जैसे कि सब देने के लिए पैदा हुए हैं इन्हें पैसा. मुझे तो ताज्जुब है कि इतनी सीटें पा गए ये, वरना जब रोज दाम बढ़ रहे हों, गैस की कीमत 1000 रुपये सिलेंडर हो गया हो, तब तो पूरी तरह से सफाया हो जाना चाहिए था इनका.

लोगों की अपनी पीड़ा होती है

उपचुनाव में गिरी बीजेपी : एक बार को मान लिया जाए कि पेट्रोल के दाम ज्यादा हैं तो हम इस खर्च में कुछ कटौती कर लें लेकिन किसान को खेती करनी है तो बगैर डीजल के वो खेतों में सिंचाई का काम कैसे कर सकेगा भला? वहीं, गैस सिलेंडर पर एक बार खाना बनाने का मौका देकर मोदी सरकार ने गांव की महिलाओं को जो सुविधा दिखा दी है, अब महंगाई बढ़ने के बाद घर पर खाली पड़े सिलेंडर देखकर उनके दिल की क्या हालत होती है, यह आप खुद भी समझ सकते हैं. लोगों की अपनी पीड़ा होती है. ऐसा नहीं है कि आप आंखें बंद कर लें और यह समझ लें कि सारे लोग बेवकूफ हैं. कोई कुछ समझेगा ही नहीं.

मंडी में बीजेपी को नहीं मिली सीट

बहरहाल, अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मंडी लोकसभा सीट पर कांग्रेस की उम्मीदवार और पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने बीजेपी को हरा दिया है. प्रतिभा सिंह ने बीजेपी के अपने प्रतिद्वंद्वी कुशाल ठाकुर को 8 हजार 766 वोटों के अंतर से हराया है. हालांकि, यह सीट बीजेपी के लिए ज्यादा मायने इसलिए रखती है क्योंकि मौजूदा सीएम जयराम ठाकुर इसी क्षेत्र से आते हैं. उनका चुनावी क्षेत्र सिराज भी मंडी जिले के अंदर ही आता है.

इन राज्यों में भी बीजेपी अच्छा नहीं कर पाई

बीजेपी को राजस्थान में भी उसे कोई सीट नहीं मिली. हालांकि मध्यप्रदेश, असम और तेलंगाना में भाजपा का प्रदर्शन जबरदस्त कहा जा सकता है. मध्यप्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की. इसके अलावा दो विधानसभा सीटों पर भी उसे जीत हासिल हुई है. राजस्थान में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए दोनों सीटें अपने नाम कीं. वहीं बिहार में जेडीयू ने कुशेश्वरस्थान और तारापुर सीट पर कब्जा जमाते हुए राजद को जोरदार झटका दिया.

मध्यप्रदेश में भाजपा का परचम

मध्यप्रदेश में भाजपा ने जोबट और पृथ्वीपुर विधानसभा सीटें कांग्रेस से छीन ली है. हालांकि, कांग्रेस ने भाजपा से रैगांव सीट छीन ली है. जोबट में कांग्रेस से दो बार विधायक रहने के बाद भाजपा में शामिल हुई सुलोचना रावत ने कांग्रेस के महेश पटेल को हरा दिया है. रैगांव में कांग्रेस की कल्पना वर्मा और पृथ्वीपुर में डॉ. शिशुपाल यादव ने जीत हासिल कर ली है. खंडवा संसदीय सीट पर भाजपा ने कब्जा कायम रखा है. 

बंगाल में टीएमसी के आगे भाजपा पस्त

पश्चिम बंगाल और असम में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन एनडीए ने विधानसभा उपचुनावों में मंगलवार को शानदार जीत हासिल की. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस ने 30 अक्टूबर को हुए उपचुनावों में भाजपा को रिकॉर्ड अंतर से हराते हुए राज्य की सभी चार सीटें अपने नाम कर लीं. तृणमूल ने भाजपा से उसकी दोनों सीटें भी छीन लीं. पार्टी ने कूचबिहार और नदिया जिलों में दिनहाटा सीट और शांतिपुर सीट पर भाजपा से भारी मतों के अंतर से जीत हासिल की.

सत्तारूढ़ तृणमूल ने उत्तरी 24 परगना और दक्षिणी 24 परगना जिलों में खारडाह और गोसाबा विधानसभा सीटों पर भी कब्जा भारी मतों के अंतर से बरकरार रखा. चार विधानसभा क्षेत्रों में उसे कुल 75.02 फीसदी वोट मिले, जबकि भाजपा सिर्फ 14.48 फीसदी वोट ही हासिल कर सकी. 

दिनहाटा में तृणमूल के लिए जीत का अंतर 1.64 लाख वोटों के रिकॉर्ड को पार कर गया. इस साल विधानसभा चुनाव में गृह राज्य मंत्री निशिथ प्रमाणिक ने इस सीट पर जीत हासिल की थी. दिनहाटा में इस बार एकतरफा मुकाबला देखने को मिला, जहां तृणमूल के उदयन गुहा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के अशोक मंडल को 1,64,089 मतों के अंतर से हराया.

तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार सुब्रत मंडल ने भी गोसाबा विधानसभा उपचुनाव में 1,43,051 मतों के बड़े अंतर से जीत हासिल की. तृणमूल के सुब्रत मंडल को 1,61,474 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के पलाश राणा को महज 18,423 वोट मिले. शांतिपुर विधानसभा क्षेत्र में तृणमूल के ब्रज किशोर गोस्वामी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के निरंजन विश्वास को रिकॉर्ड 64,675 मतों से हराया. इस साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा की जीत हुई थी. खारडाह विधानसभा क्षेत्र में राज्य के मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के जॉय साहा को 93,832 मतों के अंतर से हराया.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को बधाई दी. उन्होंने ट्वीट किया- जीतने वाले सभी चारों उम्मीदवारों को मेरी हार्दिक बधाई! यह जीत आम लोगों की जीत है, और यह दिखाता है कि किस प्रकार बंगाल हमेशा प्रचार और नफरत की राजनीति की अपेक्षा विकास और एकता को चुनेगा. लोगों के आशीर्वाद से, हम बंगाल को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने का वादा करते हैं.

असम में सरमा ने दिलाई जीत

हालांकि, पश्चिम बंगाल में भाजपा को भारी झटका लगा, लेकिन करिश्माई हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में राजग ने पड़ोसी असम में शानदार प्रदर्शन किया और अपने सहयोगी यूपीपीएल के साथ सभी पांच सीटों पर कब्जा कर लिया. भाजपा तीन सीटों पर विजयी रही, वहीं दो विधानसभा सीटें उसकी सहयोगी यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) ने जीती. 

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मेघालय एमडीए को मिली जीत 

मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) नीत मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस (एमडीए) को तीनों विधानसभा सीटों पर जीत मिली. नेशनल पीपुल्स पार्टी ने कांग्रेस से राजबाला और मावरेंगकेंग विधानसभा सीटें छीन ली. वहीं, एमडीए सरकार में सहयोगी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी को मावफलांग सीट पर जीत हासिल हुई. मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने ट्विटर पर कहा कि उनके उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित कर लोगों ने अपनी पसंद जाहिर कर दी. उन्होंने इसे जनता की जीत करार दिया है. उन्होंने कहा कि लोग उनकी सरकार के विकास कार्यों से अवगत हैं और आज का परिणाम यह बताता है कि लोग विकास चाहते हैं.

बहरहाल, इस जीत से कांग्रेस काफी खुश है. और पार्टी और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष ने इस जीत के लिए अपने कार्यकर्ताओं को बधाई भी दी है.

कांग्रेस पार्टी के ट्वीटर हैंडल से किये गये ट्वीट में लिखा है— देशभर में हुए उपचुनाव में कांग्रेस पर भरोसा जताने वाले सम्मानित मतदाताओं को कांग्रेस परिवार की तरफ से धन्यवाद और जीत हासिल करने वाले सभी कांग्रेस प्रत्याशियों को हार्दिक शुभकामनाएं।

वहीं, कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को जीत की बधाई कुछ इस तरह दी है— कांग्रेस की हर जीत हमारी पार्टी के कार्यकर्ता की जीत है।
नफ़रत के ख़िलाफ़ लड़ते रहो। डरो मत!

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