शाहरुख खान के बेटे के लिए कानून है तो केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे के लिए क्यों नहीं?

लखीमपुर खीरी हिंसा और क्रूज ड्रग्स मामला

क्रूज ड्रग्स मामले में शाहरुख खान Shahrukh Khan के बेटे आर्यन का नाम आया तो Narcotics Bureau एनसीबी ने उनकी गिरफ्तारी कर पूछताछ शुरू कर दी. वहीं लखीमपुर खीरी हिंसा Lakhimpurkhiri Violence में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चहेते केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा का नाम आया तो उन पर कार्रवाई नहीं की गई? आखिर क्यों?

-सुषमाश्री

एक ओर आर्यन खान और दूसरी ओर आशीष मिश्रा. मीडिया में इन दिनों दोनों ही छाए हैं. पहले ड्रग्स मामले में पूछताछ के लिए गिरफ्तार हैं और दूसरे का नाम लखीमपुर खीरी हिंसा में आया है, हालांकि उनकी गिरफ्तारी अब तक हो नहीं पाई है.

आर्यन खान बॉलीवुड के शहंशाह कहे जाने वाले शाहरुख खान के बेटे हैं और आशीष मिश्रा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने मुंबई से गोवा जा रहे क्रूज पर छापा मार कर 8 लोगों को हिरासत में लिया था. आर्यन के अलावा इनमें अरबाज मर्चेंट, मुनमुन धमेचा, नुपुर सारिका, इसमीत सिंह, मोहक जसवाल, विक्रांत छोकर और गोमित चोपड़ा का नाम भी शामिल है.

बता दें कि रविवार को खबरों में आए मुंबई से गोवा जा रही क्रूज ड्रग पार्टी मामले में आर्यन खान पर NDPC 8C, 20B, 27 और 35 की धाराएं लगाई गई हैं. इन धाराओं के तहत ड्रग्स का सेवन करना, जानबूझकर ड्रग्स लेना और ड्रग्स खरीदने जैसी चीजें आती हैं. इन्हीं के तहत आर्यन की गिरफ्तारी हुई है. सूत्रों के मुताबिक आर्यन खान ने माना है कि उन्होंने ड्रग्स का सेवन किया था. हालांकि, आर्यन ने ड्रग्स खरीदने की बात से इनकार किया है.

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा का नाम आया, लेकिन अब तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

दूसरी ओर, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर आरोप है कि रविवार को ही उनकी कार ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को रौंद दिया, जिससे 4 की मौत हो गई. वहीं, इसके बाद भड़की हिंसा में 4 और लोग भी मारे गए. बता दें कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार को भड़की हिंसा में 8 लोगों की मौत हो गई थी.

हालांकि आर्यन खान और आशीष मिश्रा दोनों ने अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया है, और दोनों मामलों का एक दूसरे से कोई लेना देना भी नहीं है. लेकिन जिस तरह से एक ही दिन दोनों युवक चर्चा में आए हैं, और उसके बाद उनके साथ जिस तरह का व्यवहार किया जा रहा है, उससे दोनों मामलों को एक साथ जोड़कर देखने की कोशिश की जा रही है.

एनसीबी ने 23 वर्षीय आर्यन खान को 7 अक्टूबर तक रिमांड पर लिया है और उससे पूछताछ जारी है. लेकिन आशीष मिश्रा तक अब तक गिरफ्तारी की तलवार तक लटकती नहीं दिख रही. मीडिया में भी आर्यन खान तो नजर आ रहे हैं लेकिन आशीष मिश्रा की ओर कोई भी कैमरे जाते नहीं दिख रहे.

ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल आ रहा है कि क्या बॉलीवुड से जुड़े लोगों के लिए ही मीडिया के सवाल और कानून रह गए हैं. राजनीति से जुड़े बड़े नेताओं तक न तो मीडिया के कैमरे पहुंचते हैं और न ही कोई कानून. यकीनन ऐसे में इस तरह के सवाल उठने लाजिमी हैं.

बताने की जरूरत नहीं कि कुछ ही महीनों में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. प्रदेश में जीत को लेकर किसान आंदोलन सत्ताधारी बीजेपी के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बनी हुई है. ऐसे में लखीमपुर खीरी हिंसा में अगर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा का नाम सामने आने के बावजूद उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा रहा तो यह साफ हो जाता है कि इसके पीछे क्या वजह है?

विपक्षी दल इस मामले को लगातार उठाने का प्रयास कर रहे हैं और चाहते हैं कि इस मामले में दोषी को सजा मिले, लेकिन उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ केवल सांत्वना दे रहे हैं कि दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. दरअसल, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस मुद्दे पर अगर आशीष मिश्रा पर किसी भी तरह की कार्रवाई हुई तो आने वाले विधानसभा चुनाव में यह बीजेपी के हक में नहीं जाने वाली. यही वजह है कि इतनी बड़ी हिंसात्मक घटना के बावजूद इस मामले में सरकार, कानून और मीडिया, सभी चुप हैं.

जबकि दूसरी ओर बॉलीवुड हस्तियों को बदनाम करना बेहद आसान है और ऐसी खबरों में लोगों का इंट्रेस्ट भी ज्यादा रहता है. यही वजह है कि मीडिया और कानून चाहे जितना भी इनके पीछे लगी रहे, सरकार के कान में जूं भी नहीं रेंगती. हां, लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में दोषी अगर विपक्षी पार्टियां होतीं तो बेशक राज्य की योगी सरकार सहित केंद्र की बीजेपी सरकार भी इसमें दखल देती.

जनता जनार्दन है. हम किसी भी मामले में किसी को दोषी या किसी को क्लीन चीट देने वाले कोई नहीं. इसलिए ऐसा कर भी नहीं रहे. हम तो बस जनता की आवाज को ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. अब आप खुद ही समझ लीजिए कि दो युवकों पर आरोप लगने के बाद देश के कानून ने केवल एक पर ही शिकंजा क्यों कसा? क्या दोनों पर कानूनी कार्रवाई की जरूरत एक समान नहीं थी?

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