महाराष्ट्र के नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम में शिंदे मुख्यमंत्री बने
चंद्र प्रकाश झा *
महाराष्ट्र में गुरुवार की शाम अत्यंत नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम में शिवसेना के “ बागी “ विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री के पद और गोपनीयता की विधिवत शपथ ली। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणनवीस ने इसी समारोह में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। दोनों ने मराठी में और ईश्वर के नाम शपथ ली। शिंदे ने शपथ में शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बालासाहब ठाकरे का नाम लिया।
इससे पहले असम की राजधानी शिंदे गुवाहाटी में एक पंचतारा होटल ब्ल्यू रेडिसन मे शिवसेना के सभी बागी विधायकों के साथ कई दिनों से टिके शिंदे एक चार्टर्ड हवाई जहाज से गोआ होते हुए मुंबई पहुंचे। उनके कहने पर अन्य सभी बागी विधायक गोआ में ही एक होटल में रुक गए। शिंदे ने अपरहन्न तीन बजे महाराष्ट्र के राजभवन जाकर राज्यपाल कोश्यारी के समक्ष राज्य में नई सरकार बनाने का दावा पेश करने का पत्र सौंपा। उनके साथ फडणनवीस भी थे जो शिंदे सरकार में कुछ आनाकानी के बाद उपमुख्यमंत्री बनने से पहले विधानसभा में विपक्ष के नेता थे। पहले फडणनवीस ने प्रेस कांफ्रेस में साफ कहा था कि भाजपा नई सरकार का पूर्ण समर्थन करेगी पर वह खुद इसमें शामिल नहीं होंगे। वह केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संकेतों और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड़ड़ा के जोर डालने पर उपमुख्यमंत्री बनने राजी हो गए ताकि शिंदे सरकार सुचारु रूप से चल सके।
उद्धव ठाकरे
इससे पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने (एमवीए) गठबंधन के विधायक दल के नेता, विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देने के अलावा मुख्यमंत्री पद से भी अपना त्यागपत्र राज्यपाल कोश्यारी को सौंप दिया।
उद्धव ठाकरे ने तीन बरस पुरानी अपनी सरकार के प्रति विधानसभा में 30 जून को विश्वासमत प्राप्त करने के राज्यपाल के आदेश की वैधानिकता को भारत के सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली शिवसेना की याचिका पर सुनवाई के पहले ही सियासी और न्यायिक हवा का रुख भांप कर अपनी सरकार का इस्तीफा दे देने की तैयारी कर ली थी। उक्त याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 29 जून को शाम पाँच बजे से रात नौ बजे के तक चली सुनवाई के बाद उसे खारिज कर दिया गया। लेकिन ठाकरे उसके कुछ दिनों पहले ही मुख्यमंत्री का राजकीय आवास ख़ाली कर चुके थे। राज्यपाल ने उनसे कोई वैकल्पिक व्यवस्था होने तक मुख्यमंत्री बने रहने के लिए कहा था। चौबीस घंटे के भीतर ही वैकल्पक व्यवस्था से नई सरकार बन गई।
ठाकरे सरकार के अंतिम अहम फैसले
उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना की दाखिल याचिका पर सुनवाई खत्म होने के पहले ही अपने मंत्रिमण्डल की आखरी बैठक में औरंगाबाद का नाम बदल कर संभाजी नगर, उस्मानाबाद का धाराशिवनगर और नवी मुंबई एयरपोर्ट का नाम पूर्व रक्षा मंत्री शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानि एनसीपी के दिवंगत नेता के नाम पर डीबी पाटील इंटरनेशनल एयरपोर्ट करने का प्रस्ताव पारित करवा लिया। उद्धव ठाकरे ने इसके बाद फेसबुक लाइव सम्बोधन में बातें भी कहीं जिसका सार था कि दूसरों ने नहीं बल्कि शिवसेना के ही कुछ मंत्रियों और विधायकों ने उनकी पीठ में छुरा घोंपा है।
इससे पहले उद्धव ठाकरे ने 28 जून को गुवाहाटी में एक पाँच सितारा होटल ब्ल्यू रेडिसन में कुछ दिनों से आराम फरमा रहे शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे गुट के करीब विधायकों के प्रति भावनात्मक अपील कर पार्टी में साथ रहने के लिए मुंबई लौट आने की अपील की थी।
भाजपा के खुले एक्शन
इस अपील की प्रतिक्रिया में भाजपा खुल कर एक्शन में आ गई। फडणवीस तुरंत नई दिल्ली गए। वह वहाँ प्रधानमंत्री से मिले। फिर उन्होंने अमित शाह और जेपी नड्डा के साथ बैठक में उद्धव ठाकरे सरकार का तख्ता पलटने की नई रणनीति तय की। उसके बाद वह कल रात ही मुंबई में अपने सागर बंगले पर लौट आए जहां उनकी कोर टीम इंतजार में बैठी थी।
भाजपा के इस दावे के झूठ की कलाई खुली
लेकिन इस कवायद में भाजपा के इस दावे के झूठ की कलाई खुल गई कि शिवसेना विधायकों के विद्रोह और उद्धव सरकार को गिराने की कोशिशों में उसका कोई हाथ नहीं है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना, कांग्रेस, पूर्व रक्षा मंत्री शरद पवार की एनसीपी और अन्य की गठबंधन सरकार को गिराने की कोशिशों में भाजपा बुरी तरह फंस चुकी थी। इससे उबरने भाजपा को सुप्रीम कोर्ट और राज्यपाल कोश्यारी के आदेशों का ही सहारा बचा था। अस्पताल से डिस्चार्ज होते ही राज्यपाल भी एक्शन में आ गए। उन्होंने ठाकरे सरकार से राजकाज के पिछले तीन दिन की फाइलों का हिसाब मांगा।
शिंदे गुट
इस बीच, शिवसेना के बागी विधायकों की सदन की सदस्यता खत्म करने की विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल की नोटिस पर शिंदे गुट की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने और आगे सुनवाई होने तक कोई कारवाई पर 12 जुलाई तक रोक लगा दी थी। बागी विधायक भाजपा शासित असम की राजधानी गुवाहाटी के एक भव्य होटल में पिछले कई दिनों से ठहरे हुए थे। वे मुंबई नहीं आ रहे थे। उन्हें डर लगता था कि वे मुंबई आने पर सुरक्षित नहीं रह सकेंगे। इन बागी विधायकों के मुंबई लौटे बगैर उद्धव सरकार के भविष्य का कोई ठोस फैसला नहीं हो सकता था। शिंदे जी ने उनकी संख्या शिवसेना के कुल विधायकों की करीब दो-तिहाई होने का दावा कर रखा है।
बहरहाल, महाराष्ट्र की नई शिंदे सरकार कब तक टिकेगी इस सवाल का जवाब भविष्य के गर्भ में है। राज्य विधानसभा के नए चुनाव 2024 में निर्धारित है। लगभग तय है कि विधान सभा चुनाव लोक सभा के अगले चुनाव के साथ ही 2024 में होंगे।
(सीपी नाम से चर्चित पत्रकार,यूनाईटेड न्यूज ऑफ इंडिया के मुम्बई ब्यूरो के विशेष संवाददाता पद से दिसंबर 2017 में रिटायर होने के बाद बिहार के अपने गांव में खेतीबाड़ी करने और स्कूल चलाने के अलावा स्वतंत्र पत्रकारिता और पुस्तक लेखन करते हैं। इन दिनों वह भारत के विभिन्न राज्यों की यात्रा कर रहे हैं।)