नवरात्र –शक्ति की उपासना का पर्व –श्रीमाँ ललिता का रहस्य

माँ की आराधना साधक अपने गृहों में अंतर्मुखी रूप में करे


–ऋतुराज वसंत के आगमन से नव संवत्सर का अभिनन्दन वंदन करता है –नव ऊर्जा के संचरण से –यही सनातन संस्कृति है जो नवरात्र को शक्ति की उपासना के पर्व के रूप में मनाता है ।
–राज राजेश्वरी -त्रिपुर सुंदरी माँ ललिता त्रैत शक्ति –महालक्ष्मी –महाकाली -महा सरस्वती का समेकित स्वरूप है ।तंत्र चूड़ामणि में कहा गया कि  बावन शक्तिपीठों में माँ ललिता का प्रयाग एक शक्ति पीठ है –जहाँ सती की हस्तांगुली गिरी थी –अंगुलिश्चैव हस्तस्य प्रयागे ललिता भव् –माँ प्रयाग में त्रिकोण बनाते हुए अलोपशंकरी -कल्याणी और ललिता मंदिर में स्थित हैं \

-माँ ललिता ही सम्पूर्ण जगत की ईश्वरी हैं –सम्पूर्ण प्राणियों के शरीर में जिव रूप में माँ ललिता ही निवास करती हैं \
–अनादिकाल से महाशक्ति की वन्दना सद्पुरुष देवगन करते आ रहे हैं —
नमो दैव्ये महादेव्यै शिवाये सततः नमः
नमः प्रकृत्यै भद्राये नियतः प्रणताः स्मताम
–श्रीमा ललिता का सगुन रूप है –महकामेश्वर के अंक में पंचमहाभूतों के आसान पर विराजमान –सृष्टि का सृजन पांच महाभूतों से हुआ है –ब्रह्म के शक्ति विलास को धारण करने वाले –ये पंचमहाभूत है –ब्रह्मा –विष्णु -रूद्र –ईश्वर और सदाशिव ये पंचकृत्यों को सम्पादित करते हैं –सृष्टि –स्थित -लय –निग्रह -अनुग्रह
—इच्छा ज्ञान क्रिया का भागी होता तब सेवा अनुरागी।
–माँ ललिता की इच्छा है की नवरात्र –२०२० में माँ की आराधना साधक अपने गृहों में अंतर्मुखी रूप में करे।

ललिता सहस्रनाम में कहा गया है की –अंतर्मुखी समारध्या बहिर्मुखी सुदुर्लभा –माँ ललिता की श्रेष्ठ साधना अंर्तमुखी साधना है


–माँ की आराधना से सारे संकट दूर होंगे –विश्व का कल्याण होगा ।
–जयति जयति जय ललिते माता ]

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