विनोबा जी ने स्त्री शक्ति को नवीन आयाम प्रदान किए: डाॅ.सुजाता चौधरी

विनोबा विचार प्रवाह अंतर्राष्ट्रीय संगीति

शाहजहांपुर 21 अगस्त। स्त्रीशक्ति को नया आयाम प्रदान करने में विनोबा जी का अभूतपूर्व योगदान है। उन्होंने ब्रह्मचारी स्त्रियों के लिए ब्रह्मविद्या मंदिर की स्थापना कर अध्यात्म के क्षेत्र में क्रांति कार्य किया। उनके पास मातृ हृदय था। धार्मिक जगत में पददलित स्त्रियों को विनोबा जी ने सम्मान दिया।यह बात रास बिहारी मिशन ट्रस्ट बिहार की डाॅ.सुजाता चौधरी ने विनोबा जी की 125वीं जयंती पर विनोबा विचार प्रवाह द्वारा फेसबुक माध्यम पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगीति में कही।

सत्य सत्र की वक्ता डाॅ.चौधरी ने कहा कि जब एक भगवा वेशधारी ने विनोबा जी से पूछा कि साधुओं को शारीरिक श्रम की जरूरत है क्या ? तब विनोबा जी ने कहा साधु वेश से नहीं होते। साधु तो वृत्ति होती है। सभी साधुओं का शारीरिक श्रम करना चाहिए।

डाॅ.चौधरी ने कहा कि विनोबा जी ने स्त्री-पुरुष में कभी भेद नहीं किया। उनके आश्रम में स्त्रियां वेद भी पढ़ती हैं और उन्हें मोक्ष का भी अधिकार है। विनोबा ने हमेशा यही माना कि स्त्रियों को अधिकार देने वाले पुरुष कौन होते हैं ? जब एक बार विनोबा जी को महिला आश्रम में भाषण देने के लिए आमंत्रित किया तब विनोबा जी यही विचार करते रहे कि वे क्या बोलेंगे ?

तब उन्हें यही सूझ पड़ा कि उनके मन में स्त्री-पुरुष केा लेकर कोई भेद नहीं है। विनोबा जी की दृष्टि में प्रयोग करने का दूसरा नाम ही शिक्षा है। भारतीय साहित्य में स्त्रियों को लेकर जो काव्य रचा गया है, उसने भी स्त्रियों के विषय में विशेष धारणा को बल प्रदान किया है। विनोबा जी ने इसे वितंडा कहा है। काव्य में लिखा है कि सैरंध्री के महल में वायु का प्रवेश भी नहीं हो सकता था, क्योंकि वायु पुरुष हैं।विनोबा जी ने विचार करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह कवि ने अतिशयोेक्तिपूर्ण वर्णन किया है। शब्दों के खेल से स्त्रियों को पीछे धकेला गया है। इसका विनोबा जी ने प्रतिकार किया है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि साहित्य में ऐसी बातें नहीं आना चाहिए।

Vinoba Bhave
Vinoba Bhave

डाॅ.चौधरी ने कहा कि भोजन बनाने काम केवल स्त्रियों का ही नहीं है। पुरुषों को भी उसमें भागीदारी करनी चाहिए। विनोबा जी के आश्रम में श्री गौतम भाई रोटियां बेलने का काम करते रहे हैं। विनोबा जी का मानना था कि रोटियां बनाने से अहंकार दूर होता है।

दादा धर्माधिकारी के प्रसंग को सुनाते हुए डाॅ.चौधरी ने कहा कि ईश्वर ने पहले मनुष्य बनाया। जब ईश्वर को उसमें कुछ कमी नजर आयी स्त्री बनाकर उस कमी को दूर कर दिया। महात्मा गांधी की दृष्टि में विनोबा भीम थे। ब्राह्मण और अछूतों को एक साथ पढ़ाने का उन्होंने हमेशा समर्थन किया। इससे ब्राह्मण का दंभ कुछ कम होगा।

प्रेम सत्र के वक्ता डायरेक्टर जनरल इन्कमटैक्स श्री राकेश पालीवाल ने कहा कि हमें सकारात्मकता रखते हुए गुण दर्शन की कला का विकास करने की जरूरत है। अच्छाइयों का संग्रह करने से अध्यात्म मार्ग में मदद मिलती है। आज विनोबा जी के भूदान-ग्रामदान आंदोलन का दस्तावेजीकरण करने की आवश्यकता है।

करुणा सत्र के तृतीय वक्ता श्री डिकेंद्र पटेल ने उदयपुर में जेल में किए जा रहे प्रयोगों की जानकारी दी। जेल के नकारात्मक वातावरण को बदल कर नयी चेतना जाग्रत की जा सकती है। आज व्यक्ति का अच्छा आदमी बनना दूभर हो गया है। जेल में शिक्षण के अनेक प्रयोग किए जा रहे हैं। संचालन श्री संजय राय ने किया। आभार श्री रमेश भैया ने माना।

डाॅ.पुष्पेंद्र दुबे

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