किसान मज़दूर संगठन यूपी विधान सभा चुनाव में बीजेपी के ख़िलाफ़ मुख्य भूमिका निभाएँगे

सुषमाश्री

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा योगी मोदी सरकारों के विरोध में किसान और मजदूर संगठन निर्णायक भूमिका अदा करेंगे.दिख रहे हैं न कि राजनीतिक दल. अब इसका फ़ायदा किस विपक्षी दल को मिलेगा यह देखने की बात है.
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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को अब चार ही महीने रह गए हैं. इसके बावजूद यह नहीं कहा जा सकता कि आगामी चुनावों को लेकर यूपी में मौजूद सभी राजनीतिक पार्टियां प्रचार अभियान का काम पूरी लगन और ईमानदारी से कर रही हैं. सड़कें और चौपालें सूनी पड़ी हैं. कानों में काका और ताऊ के बीच राजनीतिक चर्चा-परिचर्चा के स्वर भी सुनाई नहीं दे रहे. धर्म-जाति और अन्य मुद्दों को लेकर विरोध-प्रदर्शन भी देखने को नहीं मिल रहे. ऐसे में यह अनुमान लगा पाना भी मुश्किल हो रहा है कि यूपी चुनाव इतने करीब हैं.

बेशक कोरोना महामारी का दंश यूपी चुनाव पर नजर आ रहा है, ऐसा कहा जा सकता है. लेकिन अगर यह बात सौ ​फीसदी सच होती तो बिहार और बंगाल के चुनाव भी इससे अछूते न होते. फिर क्या कारण है कि कोरोना काल का प्रभाव बिहार और बंगाल के चुनावों पर जितना देखने को नहीं मिला, उतना ही ज्यादा यूपी के चुनावों में देखने को मिल रहा है.

राम दत्त त्रिपाठी
राम दत्त त्रिपाठी

इस मामले में बीबीसी के पूर्व वरिष्ठ संवाददाता रामदत्त त्रिपाठी की यह बात सटीक प्रतीत होती है कि यूपी में ​आज सत्ता अगर बीजेपी की नहीं होती तो माहौल बिल्कुल बिहार और बंगाल चुनावों जैसा ही नजर आता लेकिन मुश्किल यह है कि यहां सरकार खुद बीजेपी की ही है. ऐसे में वह विरोध किसका करे?

राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त त्रिपाठी की मानें तो यूपी में विपक्ष की भूमिका सपा, बसपा, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक दल और आम आदमी पार्टी जैसी राजनीतिक पार्टियां कम निभाती दिख रही हैं, जबकि किसान और मजदूर आंदोलन ही यहां मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका में नजर आ रही है. सोमवार को किसान संगठनों द्वारा किए गए देशव्यापी भारत बंद का जो असर पूरे भारत में देखने को मिला, उसे ही उत्तर प्रदेश के आगामी चुनावों में मुख्य निर्णायक भूमिका अदा करने वाला माना जाए तो गलत न होगा.

जहां तक सोमवार के किसान आंदोलन या भारत बंद की बात है तो किसान संगठनों ने यह दावा किया है कि उनका भारत बंद सफल रहा. भारत बंद के इस आह्वान को यूपी में विपक्षी दलों का समर्थन था. इसे जताने के लिए कांग्रेस पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष यूपी-दिल्ली सीमा पर गाजीपुर में धरना दे रहे किसानों के बीच पहुंचे भी, लेकिन वहां मौजूद किसानों ने धरनास्थल से उन्हें यह कहकर लौटा दिया कि वे इस आंदोलन को सियासी रूप नहीं देना चाहते.

किसानों ने समर्थन करने वाले दलों के नेताओं को अपने पास फटकने तक नहीं दिया. ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर इस किसान आंदोलन का फायदा किस राजनीतिक पार्टी को हो पाएगा? क्या यूपी चुनावों पर इसका असर तो दिखेगा लेकिन यह कह पाना फिर भी मुश्किल होगा कि किसानों की नाराजगी का फायदा आखिर किस राजनीतिक दल को होगा! इसी मुद्दे पर हुई चर्चा में बीबीसी के पूर्व संवाददाता राम दत्त त्रिपाठी और अमर उजाला के पूर्व संपादक कुमार भवेश चंद्र की बातचीत में कुछ मुख्य बिन्दु निकलकर आए.

  1. यूपी चुनाव में विपक्ष अभी शांत है. वह चुपचाप अपनी कोशिश में जुटा है और चुनावों तक शायद ऐसे ही शांति के साथ रहना चाहता है.
  2. यूपी चुनावों को लेकर मुसलमान भी विरोध प्रदर्शन नहीं कर रहे. मालूम होता है उन्होंने भी कुछ तय कर लिया है, जिसे वोटिंग के दिन सीधे बटन दबाकर ही वे जाहिर करने के मूड में हैं.
  3. ऐसा प्रतीत होता है कि यूपी का चुनाव इस बार हर बार से कुछ अलग रंग दिखाने की तैयारी में है. बिना किसी भी तरह के शोर-शराबे के इस बार वोट डालकर यूपी की जनता डायरेक्ट अपनी बात साफ कर देना चाहती है.
  4. विपक्ष का काम इस बार यूपी में मौजूद अन्य राजनीतिक पार्टियां कम, मजदूर और किसान मोर्चा ज्यादा निभाते दिख रहे हैं.
  5. रोजगार और अर्थव्यवस्था के जो बदहाली की इबारत लिखी है, उसका असर यूपी में इस बार कुछ इस कदर देखने को मिल रहा है कि विकास की बात करने वाले मोदी का चेहरा और कद, दोनों ही फीका पड़ गया है.
  6. मोदी की बजाय योगी का चेहरा इस बार ज्यादा दमदार छवि प्रस्तुत करता दिखता है. योगी ​यहां ​आज भी हिंदुत्व का चेहरा माने जा रहे हैं, जिससे बीजेपी को हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की उम्मीद अब भी है.
  7. जातिगत आधार पर अगर बात की जाए तो यूपी चुनाव पर इस बार इसका भी बहुत ज्यादा असर नहीं नजर आ रहा.
  8. यूपी का कितने ही वर्षों पुराना इतिहास रहा है कि यहां लगातार दूसरी बार कोई भी राजनीतिक दल सत्ता में नहीं आई है. ऐसे में बीजेपी का चुपचाप चुनाव नैया तैरकर पार करने की कोशिश के पीछे की वजह तो समझा जा सकता है लेकिन विपक्षी कैंप की शांति हर किसी की व्याकुलता बढ़ा रही है.

बहरहाल, यूपी चुनाव को लेकर बातें तो अभी चलती रहेंगी, लेकिन सोमवार को हुए चर्चा में जितनी बातें मुख्य रूप से गौर करने वाली रहीं, वो इस लेख में हमने बिन्दुवार दिखाने की कोशिश की है. अधिक जानकारी के लिए आप चर्चा का वीडियो देख सकते हैं.

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