UP Election 2022: आरक्षण समर्थकों का बड़ा एलान, दलित-पिछड़ा वर्ग बने चुनावी मुद्दा
UP Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव इस बार सभी पार्टियों के लिए चुनौती से भरा हुआ रहेगा.
UP Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव इस बार सभी पार्टियों के लिए चुनौती से भरा हुआ रहेगा. आरक्षण समर्थकों का बड़ा एलान इस बार के विधानसभा चुनाव में दलितों व पिछड़ों का आरक्षण बड़ा चुनवी मुद्दा बनेगा. इस बार प्रदेश में वही राजनैतिक पार्टियां दलितों व पिछड़ों के दिल में जगह बना पायेगा जो आरक्षण का पूरी समर्थन करेगा ।
86 सुरक्षित सीटों पर आरक्षण समर्थकों के वोट का न हो बंटवारा इसलिये संघर्ष समिति ने बनायी रणनीति और कमेटियां गठित कर सौंपी जिम्मेदारी। दलितों व पिछड़ों का पदोन्नतियों में आरक्षण पर सभी दल अपनी स्थित करे साफ जिससे यह तय हो सके की उनकी पार्टी आरक्षण समर्थक पार्टी है अथवा नहीं. शत प्रतिशत वोट की एकजुट चोट कराने हेतु लगातार जागरूकता अभियान जारी। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति संयोजक मण्डल प्रान्तीय कार्यसमिति की आज एक आवश्यक बैठक सम्पन्न हुई,
जिसमें विधान सभा चुनाव 2022 में सभी 8 लाख आरक्षण समर्थक कार्मिकों व उनके परिवार नातेदारों से चुनाव में शत प्रतिशत वोट की चोट कर अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने का आहवान किया गया. संघर्ष समिति ने उत्तर प्रदेश के सभी 7 चरणों में होने वाले विधान सभा चुनाव हेतु संयोजक मण्डल को दिये गये कार्यों की समीक्षा की और उन्हें यह निर्देश किया कि सभी आरक्षण समर्थक कार्मिक यह सुनिश्चित कर लें कि उनके परिवार, नातेदार पूरी तरीके से शत प्रतिशत वोट के लिये तैयार हैं. संघर्ष समिति ने अपने सभी जिला संयोजकों से यह अपील की है कि वह करो मरो की तर्ज पर अभियान चलाकर यह भी सुनिश्चित कर लें कि परिवार के सभी सदस्यों का नाम वोटर लिस्ट में अंकित करा लें जिससे कि किसी का भी वोट छूटने नहीं पाये.
संघर्ष समिति ने उप्र की 86 आरक्षित विधान सभा सीटों पर विशेष ध्यान रखने के लिये अलग-अलग समितियों का गठन किया है, जो सुरक्षित सीटों पर अपने वोटों का बंटवारा न हो इसके लिये उन्हें जागरूक कर शत प्रतिशत वोट की एकजुट चोट कराकर आरक्षण समर्थक दल को वोट करवायेंगे. आरक्षण समर्थकों ने कहा इस बार के विधान सभा चुनाव में दलितों व पिछडो का आरक्षण बड़ा चुनवी मुद्दा बनेगा इस बार प्रदेश में वही राजनैतिक दल दलितों पिछडो के दिल में जगह बना पायेगा जो आरक्षण का पूर्ण समर्थन करेगा. दलितों व पिछडो का पदोन्नतियों में आरक्षण पर सभी दल अपनी स्थित करे साफ जिससे यह तय हो सके की उनकी पार्टी आरक्षण समर्थक पार्टी है अथवा नहीं.
संजोजक मंडल ने लोकसभा में पदोन्नतियों में आरक्षण का 117 वे लंबित बिल को सभी राजनैतिक पार्टियों के घोषणा पत्र में शामिल कराने उप्र में आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा-3(7) को बहाल कराने और उनकी पार्टी का स्टैंड साफ करने के लिए पुनः सभी दलों से अपील की. वही आरक्षण समर्थको ने पुनः यह बात दोहराई की पिछड़े वर्गो को भी पदोनतेयो में आरक्षण की वयवस्था बहाल की जाए.
आपको बताते चलें कि आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजकों अवधेश कुमार वर्मा, अनिल कुमार, अजय कुमार, डॉ. राम शब्द जैसवारा, आरपी केन, श्याम लाल आदि उपस्थित रहे. इस दौरान प्रेमचन्द्र ने कहा कि संघर्ष समिति ने आज यह भी बड़ा निर्णय लिया है कि पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को लागू कराने में शत-प्रतिशत योगदान देने वाले आरक्षण समर्थक दल को ही प्रदेश के करोड़ों आरक्षण समर्थक वोट करें. सभी आरक्षण समर्थकों की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह वोट के समय पूरी तरीके से यह सुनिश्चित कर लें कि आरक्षण समर्थक पार्टी के ही उम्मीदवार विधान सभा चुनाव में पहुंचे जिससे वह लम्बित पदोन्नति बिल को पास कराकर लम्बे समय से लम्बित दलितों के संवैधानिक हक को उन्हें दिला सकें.