Swami Prasad Maurya कौन हैं?

Swami Prasad Maurya: स्वामी प्रसाद मौर्य के राजनीतिक करियर की बात करें तो उन्होंने राजनीति में साल 1980 में कदम रखा.

Swami Prasad Maurya: जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे बीजेपी को उसके ही विधायक उसे बड़ा झटका दे रहे हैं.  इस बीच योगी सरकार के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने भारतीय जनता सरकार से त्यागपत्र दे दिया है। उन्होंने समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव से मुलाक़ात की है, हालाँकि अभी भाजपा से त्यागपत्र नहीं दिया है। आज हम बताएंगे कौन हैं स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) .

कौन हैं स्वामी प्रसाद मौर्य

भारत के राजनीतिज्ञों में से एक स्वामी प्रसाद मौर्य इन दिनों चर्चा के विषय बने हुए हैं. उत्तर प्रदेश में ये 17वीं विधानसभा के सदस्य हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य का जन्म 2 जनवरी 1954 को यूपी के प्रतापगढ़ में हुआ था.

शिक्षा

स्वामी प्रसाद मौर्य की शिक्षा की बात करे तो उन्होंने इलाहाबाद विश्विविद्यालय से लॉ में स्नताक किया. इसके साथ ही उन्होंने कला में मास्टर डिग्री की.

स्वामी प्रसाद मौर्य की पर्सनल लाइफ

बीजेपी का दमन छोड़ सपा के साथ हाथ मिलाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की पर्सनल लाइफ के बारें में बहुत कम लोग जानते होंगे. बता दें कि इनकी शादी शिव मौर्य से हुआ है. स्वामी के एक बेटा और एक बेटी हैं. इनकी बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से बीजेपी सांसद हैं.

स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनीतिक करियर

अगर स्वामी प्रसाद मौर्य के राजनीतिक करियर की बात करें तो उन्होंने राजनीति में साल 1980 में कदम रखा. वह पहली बार इलाहाबाद युवा लोकदल के प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने. इसके बाद उन्होंने जून 1981 से 1989 तक महामंत्री का पद संभाले. यहीं से स्वामी के राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई. सबसे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य बहुजन समाजवादी पार्टी के सदस्य थे. लेकिन साल 2016 में उन्होंने बसपा का साथ छोड़ दिया. इसके बाद उन्होंने साल 2017 में बीजेपी का दमन थाम लिया. जहां उन्हें यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर चुना गया.  साल 2019 में योगी सरकार ने कैबिनेट विस्तार में उन्हें श्रम, रोजगार और समन्वय  मंत्रालय का मंत्री बनाया.

पांच बार पडरौना से विधायक

स्वामी प्रसाद मौर्य अपने निर्वाचन क्षेत्र पडरौना से पांच बार विधायक रह चुके हैं. लेकिन 11 जनवरी 2022 को उन्होंने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले yogi आदित्यनाथ और भाजपा से इस्तीफ़ा दे दिया. उनके इस निर्णय से भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है.

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