कांग्रेस से संजय झा के निलम्बन का मतलब

—दिनेश कुमार गर्ग, स्वतंत्र लेखक 

दिनेश कुमार गर्ग
दिनेश कुमार गर्ग

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के कारण कांग्रेस पार्टी आन्तरिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता , नेतृत्व विकास और सहिष्णुता की पर्याय मानी जाती रही और इस कारण कांग्रेस अन्य राजनीतिक दलों का लोकतांत्रिक माॅडल बनी रही। आज भी मोदी के अधिनायकवाद की आलोचना करते समय आलोचकों को नेहरू याद आते है , पर नेहरू की अल्टीमेट वारिस सोनिया की कांग्रेस अब नेहरू से दूर खिसक कर मायावती की बहुजन समाज पार्टी बनती जा रही है।

राजस्थान के प्रकरण में प्रान्तीय सरकार के नेतृत्व से कलहग्रस्त सचिन पायलट से निपटते निपटते सोनिया कांग्रेस अब अपने मुंह को ही नोचने लग गयी प्रतीत होने लगी है । उदाहरण है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय झा का निष्कासन । संजय झा केन्द्रीय नेतृत्वके विरोधी नहीं है, अपराध बस इतना है कि आलाकमान की लीक पर चलने के बजाय संजय झा ने नेहरू की लकीर पकड़कर आंतरिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का स्वाद लेना शुरू कर दिया था।

उन्होंने सचिन पायलेट की उन सेवाओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर दिया जो सचिन पायलेट ने पार्टी के लिए दी थीं। सचिन की हमदर्दी में संजय झा ने कहा ” सचिन पायलेट ने वर्ष 2013 से 18 तक पांच वर्षों के दौरान कांग्रेस पार्टी के लिए अपना खून, पसीना , आंसू बहाये, मेहनत की , (परिणामस्वरूप) कांग्रेस 21 सीटों से 100 सीटों तक पहुंच सकी। हमने उन्हें परफार्मन्स बोनस दिया . हम इतने प्रतिभा-पसन्द और पारदर्शी हैं।”

संजय झा कल एक न्यूज चैनल एनडीटीवी में भी अभिव्यक्ति के लिए प्रकट हुए थे जिसके तुरंत बाद सोनिया जी ने संजय झा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से सस्पेण्ड कर दिया ।

संजय झा ने 18 जून को भी एक ट्वीट कर कहा था ” Pandit Nehru once wrote a self-critical piece anonymously in a newspaper warning against becoming autocratic. That is the trueCongress; democratic, liberal, tolerant, inclusive. We have drifted far from those values. Why?

I remain a committed fearless ideological soldier of INC.

10:33 AM · Jun 18, 2020

( पंडित नेहरू ने एक बार अपने विरोध में ही एक दूसरे नाम से लेख लिखकर अधिनायकवादी होनेकी चेतावनी दी थी। यही कांग्रेस है, लोकतात्रिक , उदार सहिष्णु और समावेशी। हम इन मूल्यों से बहुत दूर क्यों चले गये है। मैं इंडियन नेशनल कांग्रेस का वैचारिक रूप से निष्ठावान , निर्भीक सिपाही बना रहूंगा। )

पर वे वैचारिक निष्ठावान सिपाही कैसे बने रहेंगे, यह उन्हें सूझा नहीं और नेहरू जो अब अतीत के विषय बन गये उस अतीत को जीने की गलती करने लगे उसी तरह जिस तरह सिन्धिया, राजेश पायलेट आदि कर गये। भूल गये कि उनके कन्धे पर राजमाता , राजकुमार की सवारी है और उसे उन्हें सत्ता तक पहुंचा देना ही उनकी वैचारिक निष्ठा होनी चाहिए।

 

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